रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के जवान, रेल प्रशासन, चिकित्सा विभाग, राज्य पुलिस और सिविक प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कोरोना संक्रमण का मुकाबला कर रहे हैं। रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के जवान जागरूकता अभियान, खाद्य वितरण, मास्क एवं सेनिटाइज़र के उत्पादन में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
लॉकडाउन दौरान परिसंपत्तियों, कोचों, लोकोमोटिव, स्टेबल रेक, यार्ड, सिग्नलिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्टेशन, रिले रूम, माल शेड, वैगन स्टॉक इत्यादि की सुरक्षा और उपयोग सुनिश्चित की जाती है और सभी फिक्स्ड और मूविंग एसेट्स पर नजर रखी जाती है। इस समय के दौरान, भारतीय रेलवे ने कोरोना वायरस के व्यापक प्रसार से निपटने के लिए एक रणनीति के तहत यात्री सेवाओं की आवाजाही पर रोक लगा दी है। लेकिन आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के लिए मालगाड़ियों की आवाजाही, दवाओं को अभी भी पूरे देश में वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स इसके इतर गरीब और जरूरतमंदों के लिए आगे आई है। वो कई तरह से उनकी सहायता कर रहे हैं। इसमें 2 क्वारंटाइन सेंटर स्थापित करने और संचालित करने के साथ ही जरूरतमंदों के बीच राशन एवं पका हुआ भोजन वितरित करना, Covid19 वॉलेंटियर्स को प्रशिक्षित करना आदि शामिल है।
RPF ने करीब 2.75 लाख लोगों में बाँटा खाना
RPF/DLI फिलहाल 2 क्वारंटाइन सेंटरों का संचालन कर रहा है। इनमें से एक तुगलकाबाद में है और दूसरा दया बस्ती में। इसमें कुल 90 बेड लगे हुए हैं। RPF, आईआरसीटीसी, गैर सरकारी संगठनों के सहयोग और अपने स्वयं के संसाधनों का उपयोग करके लगभग 20 स्थानों पर 2.75 लाख से अधिक पकाए गए भोजन वितरित किए हैं, जो लॉकडाउन के बाद से भारतीय रेलवे द्वारा अखिल भारतीय खाद्य वितरण के 10% से अधिक है।
इसके अलावा जहाँ पर पका हुआ भोजन उपलब्ध कराना मुश्किल है, वहाँ पर लगभग 2000 लोगों को राशन उपलब्ध करवाया गया है। माँग बढ़ने पर, फोर्स के सदस्यों ने अपने स्वयं के संसाधनों का इस्तेमाल करने का फैसला किया और चार जगहों पर रसोई स्थापित की, जहाँ कच्चे माल की सोर्सिंग से लेकर खाना पकाने और वितरण तक सब कुछ आरपीएफ/डीएलआई द्वारा किया जा रहा है।
RPF महिला स्टाफ बना रही मास्क
RPF ने ‘समाज का समाज के लिए योगदान’ प्रोगाम की शुरुआत की है, जिसमें कोविड-19 स्वयंसेवकों को लॉन्च किया गया है। इसका मकसद रेलवे ट्रैक के आस-पास रहने वाले लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ उन पर नजर रखना है। इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा लोगों को मास्क उपलब्ध कराने के लिए आरपीएफ की महिला स्टाफ ने खुद से ही मास्क बनाने का कार्य शुरू किया है। वहीं लॉकडाउन में गरीब लोगों को राशन देने के कार्य के साथ खाना देने का भी काम कर रही है।
Covid-19 के खिलाफ RPF सामुदायिक क्षमता निर्माण कार्यक्रम के स्लम एरिया में वॉलेंटियर्स को व्हाट्सएप जैसी टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। एक स्वयंसेवक को 20 घरों की जिम्मेदारी दी गई है। इसके जरिए वो उन घरों में रहने वाले बुजुर्गों को दवाई और खाने के साथ गर्भवती महिलाओं की इमरजेंसी के जानकारी देने और रेलवे ट्रैक पर घूमने वाले लोगों पर नजर रखने का कार्य करेगा।
आरपीएफ ने अब तक करीब 500 से ज्यादा लोगों को आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड करवाने के साथ उसके प्रति जागरूक भी किया है। आज के समय में तकरीबन हर आरपीएफ सिपाही के फोन में आरोग्य सेतु एप डाउनलोड है। RPF/DLI के लगभग 50 फीसदी कर्मचारियों ने पहले खुद को प्रशिक्षित किया और फिर इनकी मदद में आगे आए।
दिल्ली डिवीजन के सिक्योरिटी कमिश्नर हरीश सिंह पापोला ने बताया कि वो एहतियात बरतने के उपायों के बारे में अपने स्टाफ को हर दिन जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी पोस्ट और आउटपोस्ट का वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बार-बार विजिट किया जा रहा है और वो स्टाफ का मनोबल को ऊँचा रखने के लिए उनके साथ बातचीत भी कर रहे हैं। आगे अधिकारी ने कहा कि ऊपर से नीचे तक सभी लोग इस बात को जान रहे हैं कि ये वक्त अतिरिक्त मेहनत करने की और कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में देश के लिए समर्पित सिपाही बनने का समय है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे एक ऐसा तंत्र है जिसके बिना आप देश को चलाने की कल्पना भी नहीं कर सकते। रेलवे केवल यातायात के लिए ही नहीं, बल्कि देश में जब गंभीर परिस्थितियाँ पैदा होती है तो देश सेवा में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रेलवे की सेवा की तुलना किसी अन्य तंत्र से करना मुमकिन नहीं है। आज देश में कोरोना वायरस का प्रकोप फैला है जिससे देश पूरी तरह से बंद हो चुका है लेकिन इन गम्भीर व कठिन समय में भी रेलवे अपनी सेवाएँ देश को दे रहा है।