Wednesday, May 8, 2024
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गोहत्या पर 10 वर्ष का कारावास, ₹5 लाख का जुर्माना: गोवंश संरक्षण के लिए सख्त हुई UP की योगी सरकार

UP में पहले गोहत्या के आरोपित 7 साल के कारावास की सज़ा के प्रावधान के कारण जमानत पाने में सफल हो जाते थे। अब इसे 10 साल कर दिया गया है। गोहत्या पर लगने वाले जुर्माने को भी 3 से बढ़ा कर 5 लाख रुपए कर दिया गया। उत्तर प्रदेश में अब जो भी गोहत्या या गो-तस्करी में संलिप्त होगा, उसके फोटो भी सार्वजनिक रूप से चस्पाए जाएँगे।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गोहत्या पर पूर्ण लगाम लगाने के लिए ‘Cow-Slaughter Prevention (Amendment) Ordinance, 2020’ को पास कर दिया है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में ‘उत्तर प्रदेश गो वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020’ को मंजूरी दे दी गई। दरअसल, योगी सरकार ने 1956 में लागू हुए गोवध निवारण अधिनियम में बदलाव किया है। इसमें संशोधन कर के इसे और सख्त बनाया गया है।

इससे पहले गोहत्या के आरोपित 7 साल के कारावास की सज़ा के प्रावधान के कारण जमानत पाने में सफल हो जाते थे। इसे ध्यान में रखते हुए सज़ा को अधिकतम 10 साल कर दिया गया है। साथ ही गोहत्या पर लगने वाले जुर्माने को भी 3 लाख रुपए से बढ़ा कर 5 लाख रुपए कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश में अब जो भी गोहत्या या जो-तस्करी में संलिप्त होगा, उसके फोटो भी सार्वजनिक रूप से चस्पाए जाएँगे। मंगलवार (जून 9, 2020) को यूपी कैबिनेट ने ये फ़ैसला लिया।

इसके अलावा अवैध परिवहन से गो-तस्करी में लिप्त लोगों को पकड़े जाने के बाद वाहन चालक और तस्करी में शामिल लोग, बल्कि वाहन के मालिक के खिलाफ भी मुकदमा चलाया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि गोकशी की घटनाओं को पूर्णतः रोकना उसका लक्ष्य है और गोवंशीय जानवरों के संरक्षण के लिए ये फ़ैसला लिया गया है। इससे पहले इस अधिनियम की नियमावली में 1964 और 1979 में संशोधन किया जा चुका है।

एक और ख़ास प्रावधान ये है कि अगर कोई आरोपित इन अपराधों में दोबारा लिप्त पाया जाता है तो सज़ा भी दोगुनी मिलेगी। अर्थात, 20 वर्ष की क़ैद भुगतनी पड़ेगी और 10 लाख बतौर जुर्माना वसूला जाएगा। इस अधिनियम में 1958, 61, 79 और 2002 में इससे पहले संशोधन किया जा चुका है। इन सबके बावजूद प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से गोवंशीय पशुओं की तस्करी और हत्या की वारदातें सामने आती रहती थीं। इसीलिए इसे सख्त बनाया गया।

सबसे बड़ी बात ये है कि इस अधिनियम में भी योगी सरकार ने आरोपितों से ख़र्चा वसूलने वाली सोच पर अमल किया है। गो-तस्करी में लिप्त पाए गए आरोपितों से उन गायों के एक वर्ष के भरण-पोषण का ख़र्च भी वसूला जाएगा। सरकार ने लगातार इन अपराधों के सम्बन्ध में मिल रही शिकायतों के कारण ये क़दम उठाया है। अगर कोई व्यक्ति गोवंश को नुकसान पहुँचाने के इरादे से उसे भोजन-पानी नहीं देता है तो वो भी 1 वर्ष के लिए जेल जाएगा।

अभी तक गोवंश के परिवहन के दौरान किसी भी प्रकार की सज़ा का प्रावधान नहीं था। ताज़ा प्रावधान के बाद गोवंशीय पशुओं के अनियमित परिवहन पर रोक लगेगी, ऐसी उम्मीद जताई गई है। गोवंश से संबंधित अपराधों के आरोपितों के मोहल्ले में ही इनके नाम के साथ फोटो चस्पाई जाएगी। इससे पहले सरकार बनने के तुरंत बाद योगी सरकार ने गोहत्या को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया था। योगी सरकार के ताज़ा फ़ैसले का हिंदूवादी संगठनों ने स्वागत किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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