Monday, May 6, 2024
Homeदेश-समाज'मरना सब को है, देश के लिए मरना सम्मान की बात, मुझे अपने बेटे...

‘मरना सब को है, देश के लिए मरना सम्मान की बात, मुझे अपने बेटे पर गर्व है’ – बलिदानी कर्नल संतोष बाबू के पिता

"मुझे पता था कि एक दिन आएगा, जब मुझे यह सुनना पड़ सकता है, जो मैं आज सुन रहा हूँ और मैं इसके लिए मानसिक रूप से तैयार था। मरना हर किसी को है लेकिन देश के लिए मरना सम्मान की बात है और मुझे अपने बेटे पर गर्व है।"

पूर्वी लद्दाख के भारत-चीन बॉर्डर पर गलवान घाटी में सोमवार (15, जून 2020) को हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना की तरफ से नेतृत्व कर रहे 16वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू देश के लिए बलिदान हो गए। वे अपने माँ-बाप के इकलौते संतान थे। बेटे की मौत की घटना सुनने के बाद भी कर्नल के माँ-बाप टूटे नहीं। उन्होंने बोला कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है।

बलिदानी कर्नल संतोष बाबू के पिता बी उपेंदर को बेटे के वीरगति होने की खबर मंगलवार को मिली। बलिदानी बेटे की खबर ने उन्हें अंदर से झकझोर जरूर दिया है, मगर वो हारे नहीं है। अपने बेटे को याद करते हुए उन्होंने बताया, “मुझे पता था कि एक दिन आएगा, जब मुझे यह सुनना पड़ सकता है, जो मैं आज सुन रहा हूँ और मैं इसके लिए मानसिक रूप से तैयार था। मरना हर किसी को है लेकिन देश के लिए मरना सम्मान की बात है और मुझे अपने बेटे पर गर्व है।”

पिता का दर्द

एसबीआई बैंक से रिटायर्ड कर्नल संतोष बाबू के 62 वर्षीय पिता बेटे पर गर्व महसूस करते हुए बताते हैं कि कर्नल ने अपने 15 साल के सेना के करियर में कुपवाड़ा में आतंकियों का सामना किया था और आर्मी चीफ उनकी तारीफ कर चुके हैं।

पिता ने बताया कि उन्होंने ही अपने बेटे को आर्मी जॉइन करने के लिए प्रेरित किया था। यह जानने के बावजूद कि इसमें खतरे भी हैं। उनके अनुसार, संतोष ने आंध्र प्रदेश के कोरुकोंडा में सैनिक स्कूल जॉइन किया था। और तभी से उन्होंने अपना पूरा जीवन को सेना को समर्पित कर दिया था।

कर्नल से की गई आखिरी बातचीत

पिता ने बताया कि उन्हें अभी भी अपने कर्नल बेटे से की गई आखिरी बात याद है। कर्नल संतोष ने 14 जून उनसे फोन पर बात की थी। सीमा पर तनाव के बारे में पूछने पर कर्नल ने कहा था, “आपको मुझसे यह नहीं पूछना चाहिए। मैं आपको कुछ नहीं बता सकता हूँ। हम तब बात करेंगे, जब मैं वापस आ जाऊँगा।” और यही पिता-पुत्र की आखिरी बातचीत थी। इसके अगली रात को ही कर्नल संतोष गलवान घाटी में वीरगति को प्राप्त हो गए।

बलिदानी कर्नल ने अपने पैरंट्स को बताया था कि जो टीवी पर वे लोग देख और सुन रहे हैं, जमीनी स्तर पर उसकी सच्चाई काफ़ी अलग है।

कर्नल संतोष की निजी जिंदगी

कर्नल संतोष के पिता ने बताया, ‘मैं सेना जॉइन करना चाहता था लेकिन कर नहीं सका। 10 साल के अपने बेटे को मैंने यूनिफॉर्म पहना कर देश की सेवा करने का सपना जगाया। उन्होंने कक्षा 6 से 12 तक सैनिक स्कूल में पढ़ाई की। उसके बाद वह NDA और फिर IMA में जाकर ऑफिसर बने और उसके बाद जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील जगहों पर पोस्टिंग भी हुई।

कर्नल के पिता और मां मंजुला तेलंगाना के सूर्यपेट में रहते हैं। कर्नल के वीरगति प्राप्त होने की खबर सबसे पहले उनकी पत्नी संतोषी को दी गई। कर्नल की पत्नी संतोषी अपने 8 साल की बेटी और 3 साल के बेटे के साथ दिल्ली में रहती हैं।

देश के लिए बलिदान

कर्नल के पिता कहते हैं, “15 साल में मेरे बेटे को चार प्रमोशन मिले। पिता के तौर पर मैं चाहता था कि वह खूब ऊँचाइयों को चूमें। मैं जानता था कि सेना के जीवन में अनिश्चितता होती है, इसलिए हमें संतोष है कि उसने देश के लिए सबसे बड़ा बलिदान दे दिया।”

देश के लिए बलिदान हुए बेटे की राह देखती माँ

कर्नल संतोष के पार्थिव शरीर को बुधवार तक शमशाबाद एयरपोर्ट पर लाया जाएगा। इसके बाद सड़क के रास्ते अंतिम संस्कार के लिए सूर्यापेट ले जाएगा। कर्नल की माँ अपने बेटे को आखिरी बार देखने के लिए बेचैन हैं। वो बताती हैं कि उन्होंने कर्नल को हैदराबाद ट्रांसफर लेने के लिए कहा था ताकि वह परिवार के पास आ सकें। बेटे को लेकर उन्होंने कहा, “मैं खुश हूँ कि उसने देश के लिए अपना जीवन दे दिया लेकिन माँ के तौर पर दुखी हूँ। मैंने अपना इकलौता बेटा खो दिया।”

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘400 पार’ और ‘जय श्री राम’ से गूँजी अयोध्या नगरी: रामलला के सामने साष्टांग दण्डवत हुए PM मोदी, फिर किया भव्य रोडशो

पीएम मोदी ने भव्‍य एवं दिव्य राम मंदिर में रामलला के दर्शन के बाद राम जन्‍मभूमि पथ से रोड शो शुरू किया।

नसीरुद्दीन शाह की बीवी ने ‘चिड़िया की आँख’ वाली कथा का बनाया मजाक: हरिद्वार से लेकर मणिपुर और द्वारका तक घूमे थे अर्जुन, फिर...

अर्जुन ने वन, पर्वत और सागर से लेकर एक से एक रमणीय स्थल देखे। हरिद्वार में उलूपी, मणिपुर में चित्रांगदा और द्वारका में सुभद्रा से विवाह किया। श्रीकृष्ण के सबसे प्रिय सखा रहे, गुरु द्रोण के सबसे प्रिय शिष्य रहे। लेकिन, नसीरुद्दीन शाह की बीवी को लगता है कि अर्जुन के जीवन में 'चिड़िया की आँख' के अलावा और कुछ नहीं था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -