कानपुर में 8 पुलिस वालों की हत्या के आरोपी विकास दुबे के मामले से जुड़ी एक और खबर सामने आ रही है। खबर के मुताबिक़ विकास दुबे के सहयोगियों की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं। पुलिस ने कुल 15 ऐसे लोगों का पोस्टर जारी किया है जिन पर विकास दुबे की मदद करने का संदेह है। पोस्टर में उन सभी सहयोगियों का नाम भी साफ़ तौर पर लिखा है।
फ़िलहाल अभी तक पुलिस को इस मामले में कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है, घटना के कई दिनों बाद भी 8 पुलिस कर्मियों की हत्या का आरोपित विकास दुबे पुलिस की गिरफ़्त से बाहर हैl पुलिस की 30 टीमें उसकी तलाश में जुटी हुई हैं और पुलिस ने उस पर 2.5 लाख रूपए का इनाम भी रखा हैl ऐसा बताया जा रहा है कि विकास दुबे की आख़िरी लोकेशन बिजनौर पता चली थी।
पुलिस ने विकास के सहयोगी जय वाजपेयी के घर भी सर्च ऑपरेशन चलाया थाl अभी तक पुलिस ने अपनी तरफ से की गई कार्रवाई में दो बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराया था और उनके पास से लूटे गए हथियार भी बरामद किए थे। इसके अलावा विकास दूबे के 3 अन्य साथी पकड़े गए हैं और एक सहयोगी गिरफ्तार किया जा चुका है।
पुलिस फिलहाल जय वाजपेयी से लगातार पूछताछ कर रही है, ऐसे में सवाल उठता है कि जय वाजपेयी कौन है? जय विकास का बेहद क़रीबी मित्र है, वह विकास दुबे के लगभग हर निजी कार्यक्रम में शामिल होता था। पुलिस के मुताबिक़ वह विकास को लग्ज़री वाहन उपलब्ध कराता था। पुलिस ने जय की 3 लग्ज़री गाड़ियाँ कानपुर के काकादेव से लावारिस हालत में बरामद की थी। अभी जय वाजपेयी से पूछताछ जारी है और पूछताछ के बाद ही पुलिस की इस पर प्रतिक्रिया सामने आएगी।
कुछ ही सालों में एक आम इंसान से करोड़पति बना जय वाजपेयी। साल 2012-13 के दौरान एक प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी करता था और साझे में एक पान की दूकान भी चलाता था।
साल 2013-14 में विकास दुबे के संपर्क में आया। अगले ही साल से इलाके में ज़मीन खरीदने और बेचने का काम करने लगा। विकास दुबे के नाम के सहारे अवैध तरीके से भी खूब ज़मीनें खरीदीं। 2015-16 में ब्याज पर रूपए देना शुरू किया। साल 2016-17 के बीच तमाम मकान और फ़्लैट खरीदे। इसके बाद करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया।
ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि लखनऊ कानपुर मार्ग पर इसका एक बेनामी पेट्रोल पम्प भी है (इस तथ्य की पुष्टि बाकी है) 2019 से 2020 के दौरान कानपुर में खुद को एक समाजसेवी और नेता के तौर पर पेश करने लगा।