Sunday, November 17, 2024
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फायरब्रांड तपन घोष: दूसरे मजहब की लड़कियों की उनके हिंदू प्रेमियों से शादी करवाई, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की

चंदन सरदार ने इसपा नैया से शादी की थी, बाद में इसपा का नाम छंदा सरदार हो गया। चंदन ने तपन घोष के बारे में बताया "वे मेरे परिवार से मिले और उन्हें बताया कि समुदाय की एक लड़की से शादी करना हिंदू धर्म की सेवा है।"

पश्चिम बंगाल के हिंदुत्व आइकन तपन घोष की रविवार (जुलाई 12, 2020) शाम मौत हो गई। तपन घोष कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे और वो कोलकाता के एक अस्पताल भर्ती थे, जहाँ उनका निधन हो गया

दक्षिणपंथी संगठन हिंदू समहती के संस्थापक तपन घोष ने कट्टरपंथी इस्लाम के प्रति कट्टर विरोध और हिंदू समुदाय के कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के कारण व्यापक लोकप्रियता हासिल की थी।

तपन घोष पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े थे। 2007 में मतभेद होने के कारण उन्होंने आरएसएस को छोड़ दिया। एक साल बाद 2008 में हिंदू समहती संगठन बनाया और 2018 में संगठन के भीतर मतभेदों की वजह से इसको भी छोड़ दिया था।

अपने जीवन के दौरान, तपन घोष को अपने मन की बात कहने के लिए जाना जाता था। उन्होंने पश्चिम बंगाल के हिंदुओं की स्थिति को मजबूत करने के लिए कई सारे रणनीति अपनाए। कुछ अन्य हिंदुत्व संगठनों के विपरीत, वह वैलेंटाइन डे के विचार के खिलाफ नहीं थे। वो हिंदू लड़कों को हिंदू और दूसरे मजहब, दोनों लड़कियों के साथ प्यार के लिए प्रोत्साहित किया करते थे।

उन्होंने एक बार कहा था, “अगर हिंदू लड़के हिंदू लड़कियों के साथ घुल-मिल नहीं पाए तो वो क्या करेंगी? मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप हिंदू और दूसरे मजहब, दोनों लड़कियों के साथ प्यार में पड़ें। यदि आप पारिवारिक दबाव में ऐसा नहीं करते हैं, तो लड़कियाँ दूसरे मजहब वालों के साथ मिल जाएँगी।” तपन घोष ने राज्य में भी तृणमूल सरकार के बारे में अपने मन की बात कहने में संकोच नहीं किया।

उन्होंने एक बार कहा था, “सिद्दीकुल्लाह चौधरी द्वारा आयोजित एक सभा के दौरान रेड रोड पर भीड़ द्वारा पुलिस अधिकारियों पर किए गए हमले का क्या हुआ? चौधरी अभी मंत्री हैं। लेकिन मामलों की स्थिति क्या है? क्या वे अभी भी सक्रिय हैं?” तपन घोष अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों द्वारा किए जा रहे हिंसा को रोकने के लिए राज्य की अक्षमता के बारे में बेहद चिंतित थे।

घर वापसी का मुद्दा उनके दिल के बेहद करीब था। फरवरी 2018 में हिंदू समहती की स्थापना दिवस की रैली में, एक दूसरे मजहब के परिवार के 14 सदस्यों को वापस हिंदू धर्म में परिवर्तित किया गया। तपन घोष ने गर्व के साथ घोषणा की थी कि उनका संगठन उन लोगों का स्वागत करेगा, जिन्हें जबरदस्ती धर्मांतरित किया गया था, और अब वो अपनी आस्था के साथ वापस अपने धर्म में लौटना चाहते हैं।

इसके अलावा तपन घोष ने हिंदू पुरुषों और दूसरे मजहब की महिलाओं के बीच शादी की भी वकालत की थी। वे काफी गर्व के साथ कहते थे कि हिंदू समहती की स्थापना के बाद से, उन्होंने दूसरे मजहब की महिलाओं और हिंदू युवकों के बीच तीन सौ शादियाँ करवाईं। हिंदुत्व आइकन का कहना था कि ये महिलाएँ उन्हें अपने पिता के रूप में मानती थीं, क्योंकि उनमें से ज्यादातर को उनके परिवार ने ठुकरा दिया था।

घोष ने एक बार कहा था, “बंगाल में जमाई षष्ठी मनाते हैं, हम मे (बेटी) षष्ठी मनाते हैं। यह प्यार को गले लगाने के बारे में है। इनमें से अधिकांश अपने माता-पिता के संपर्क में नहीं हैं और इसलिए वे लोग मेरे साथ अपने पिता की तरह व्यवहार करते हैं। वे मेरे घर को अपने मायके की तरह मानती हैं। जब भी उनके और उनके पति के बीच किसी वैवाहिक मुद्दे पर झगड़े होते हैं तो वे मुझे बुलाते हैं। मेरे पास सभी पुरुषों के लिए सख्त दिशा-निर्देश हैं कि वे अपनी पत्नियों को खुश और सुरक्षित रखें। मैंने अपनी सभी बेटियों को भी कहा है कि अगर उनके पति कभी मौखिक या शारीरिक शोषण करते हैं तो मुझे सूचित करें।”

हिंदू समहती के संस्थापक काफी खुले तौर पर कहते थे कि दूसरे मजहब की महिलाएँ हिंदू में वापस आना चाहती हैं, लेकिन हिंदू पुरुष अक्सर ऐसे रिश्तों के लिए साहस नहीं दिखाते हैं। इसलिए, उनके संगठन से ऐसे जोड़ों को उचित घरों में बसने में मदद मिली है।

उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, “हम देख रहे हैं कि दूसरे मजहब की लड़कियाँ अपने समाज में हो रहे उनकी दुर्दशा के प्रति जागरुक हो रही है और हिंदू लड़कों से शादी करना पसंद कर रही हैं। लेकिन कई हिंदू लड़कों में ऐसे संबंधों के लिए साहस की कमी है। हमने कई ऐसी लड़की-हिंदू लड़के जोड़ों को घर बसाने में मदद की है।”

कई मामलों में, हिंदू समहती ने ऐसे हिंदू पुरुषों को नौकरी खोजने में मदद की है, ताकि नवविवाहित जोड़े एक आरामदायक जीवन जी सकें। यदि लड़के के परिवार का विरोध होता, तो हिंदुत्व संगठन ने उनसे इस मामले को सुलझाने के लिए भी बात की।

चंदन सरदार ने दूसरे समुदाय की लड़की इसपा नैया से शादी की थी, बाद में इसपा का नाम छंदा सरदार हो गया। चंदन ने तपन घोष के बारे में बताया “वे मेरे परिवार से मिले और उन्हें बताया कि समुदाय एक लड़की से शादी करना हिंदू धर्म की सेवा है।”

इसी तरह गोपाल कोनरा से शादी करने और हिंदू धर्म अपनाने के बाद निरूपा सुल्ताना ने अपना नाम रूपा कोनरा कर लिया। उन्होंने बताया, “मुझे गोपाल कोनरा से प्यार हो गया लेकिन मैं अपने धर्म को छोड़ने का साहस नहीं जुटा पाई। फिर मैं हिंदू समहती के तपन घोष के पास गई। उन्होंने मुझे बताया कि मेरा मूल धर्म हिंदू था और मुझे वापस आना चाहिए, अपना जीवन अपने प्यार के साथ बिताना चाहिए। मैं घर से भाग गई और एक आश्रय में रहने लगी। मैं अब खुश हूँ। मैं रोज कॉलेज जाती हूँ। मेरे परिवार ने मुझे अस्वीकार कर दिया है। मैंने वह भी स्वीकार कर लिया है।”

रुकैया खातून, जो बाद में रुमपा चटर्जी बन गई ने कहा, “हमारे साथ तीन जोड़े थे। हम वहाँ लगभग छह महीने रहे। हिंदू समहती के तपन घोष ने मुझे बताया कि वह सब कुछ ठीक कर देंगे। तब से मैं उन्हें बाबा कहती हूँ। 9 सितंबर, 2014 को हमारी शादी हुई।” उनके पिता सिराजुद्दीन मोल्ला ‘सुरक्षा’ के लिए SUCI छोड़ने के बाद भाजपा में शामिल हो गए।

तपन घोष के बारे में ऐसी कई कहानियाँ हैं, जहाँ उन्होंने प्रेम करने वाले जोड़ों को मिलवाया। साथ ही, उन्होंने राज्य में जनसांख्यिकीय बदलाव के खिलाफ बात की और इसकी कठोर आलोचना की। उन्होंने मौजूदा पश्चिम बंगाल सरकार की अल्पसंख्यक नीतियों की भी आलोचना की और हमेशा बंगाली हिंदू समुदाय के कल्याण के लिए बात की।

तपन घोष ने भले ही इस दुनिया को त्याग दिया हो, लेकिन बंगाल में उन्होंने हिंदुत्व की जो आग जलाई, वह आने वाले सालों तक चमकती रहेगी। ऐसे समय में जब राज्य में कट्टरपंथी इस्लाम और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का अंधेरा व्याप्त हो गया था, उन्होंने हिंदू धर्म के पक्षधर बनकर कदम आगे बढ़ाया था। उनकी विरासत आने वाली बंगाली हिंदुओं की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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