इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांनिंग एंड मैंनेजमेंट (IIPM) के डायरेक्टर अरिंदम चौधरी को दक्षिण दिल्ली के सीजीएसटी कमिशनरेट ने गिरफ्तार किया है। चौधरी पर लगभग 23 करोड़ रुपए के क्रेडिट सेवा कर के केंद्रीय मूल्य वर्धित कर (CENVAT) के कथित दावे का भुगतान न करने का आरोप है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अरिंदम चौधरी को दक्षिण दिल्ली के सीजीएसटी कमिशनरेट ने शुक्रवार (अगस्त 21, 2020) को वित्त अधिनियम की धारा 89 के तहत गिरफ्तार किया था। अरिंदम चौधरी के साथ ही उनके एक सहयोगी गुरुदास मलिक ठाकुर को भी वित्त अधिनियम की धारा 89 के तहत गिरफ्तार किया गया है।
इसके बाद उन्हें एक स्थानीय कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें 14 दिन की हिरासत में भेज दिया गया है। दोनों को पटियाला हाउस कोर्ट में ड्यूटी मजिस्ट्रेट ज्योति माहेश्वरी के सामने पेश किया गया था।
अब अरिंदम चौधरी और उनकी कंपनी की दिल्ली और विदेश में स्थित सभी संपत्तियों की भी जाँच की जाएगी। चौधरी की कंपनी में 90 फीसदी हिस्सेदारी है। बाकी की 10 फीसदी हिस्सेदारी उनकी पत्नी की है। चौधरी और उनके सहयोगी ठाकुर को अब 3 सितंबर, 2020 को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
इससे पहले अरिंदम चौधरी को 14 मार्च को एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उन्हें जमानत दे दी गई थी। उस समय उन्हें कथित रूप से जाली मेडिकल सर्टिफिकेट पेश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उस समय पुलिस ने उन्हें 2016 के एक मामले के संबंध में जाँच में शामिल होने के लिए कहा था।
बता दें कि अरिंदम चौधरी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जाने-माने समर्थक और हमदर्द हैं। ममता बनर्जी और तृणमूल कॉन्ग्रेस के लिए संपादकीय और ब्लॉग लिख चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने चौधरी के आईआईपीएम से एमबीए की डिग्री हासिल की थी।
पिछले साल, लोकसभा चुनाव के ठीक बाद, अभिषेक बनर्जी द्वारा चुनाव के दौरान उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए हलफनामे में उनकी शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत विवरण प्रस्तुत करने के बाद विवाद खड़ा हो गया था। चुनाव अधिकारियों ने शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 2014 के चुनावों में, बनर्जी ने हलफनामे में बताया है कि उन्होंने आईआईपीएम विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री पूरी की है, जो कि मान्यता प्राप्त नहीं है।