अब जब बुधवार (सितम्बर 30, 2020) अयोध्या बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई कोर्ट के फैसले का दिन है, आरोपितों में से एक डॉक्टर रामविलास वेदांती ने अपनी बात रखी है। भाजपा के पूर्व-सांसद रामविलास वेदांती ने कहा कि फैसला जो भी हो, उसे वो स्वीकार करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि जिसे लोग विवादित कहते हैं, वो विवादित नहीं था बल्कि राम जन्मभूमि मंदिर का खंडहर था। बाबरी विध्वंस के मामले में 28 वर्षों बाद फैसला आना है।
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से 1998 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सांसद बने रामविलास वेदांती ने कहा कि उन लोगों को पता था कि जब तक इस विवादित ढाँचे को तोड़ा नहीं जाएगा, तब तक भव्य राम मंदिर का निर्माण नहीं हो सकता है। वो श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट के सदस्य भी हैं। डॉक्टर रामविलास वेदांती ने ‘आजतक’ संवाददाता कुमार अभिषेक के साथ बातचीत में कहा,
“जब हमने इस ढाँचे को तोड़ा था तो उसके बाद हुई सुनवाई में जज साहब ने हमसे पूछा कि क्या प्रमाण है कि ये राम मंदिर है। इस पर हमने उन्हें इस स्थल का नक्शा दिखाने को कहा। जब पुराने राम मंदिर का नक्शा दिखाया गया तो 14 कसौटी के खम्भे में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ खुदी हुई थीं। प्रवेश-द्वार पर ही हनुमानजी की मूर्ति थी। इसके अलावा 12 अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति थी, जिनमें माँ दुर्गा और भगवान विष्णु की भी मूर्ति थी। साथ ही ॐ और स्वस्तिक के निशान बने हुए थे।”
साथ ही उन्होंने बताया कि उसमें धनुष-बाण के चिह्न और शंख-चक्र-गदा के चिह्न थे। वेदांती ने कहा कि दुनिया की किसी भी मस्जिद में हिन्दू देवी-देवताओं के चिह्न नहीं होते हैं। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन लोगों ने किसी भी मस्जिद को तोड़ा है। उन्होंने कहा कि उन लोगों ने तो बस मंदिर के ही खँडहर को तोड़ा है, ताकि भव्य राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सके। उन्होंने आरोपों को गलत बताया।
डॉक्टर रामविलास वेदांती ने इन आरोपों से भी इनकार किया कि बाबरी ध्वंस एक साजिश के तहत हुआ और इसके लिए आपराधिक षड़यंत्र किया गया। उन्होंने कहा कि उन लोगों ने खुलेआम तोड़ा, जहाँ लेखों कारसेवक थे और कई पत्रकार, पुलिस बल के लोग और जाँच एजेंसियों के लोग शामिल थे। वेदांती ने कहा कि उन्होंने डर कर कुछ नहीं किया, जो भी किया वो खुलेआम किया। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
‘नवभारत टाइम्स’ की खबर के अनुसार, फैसले से पहले रामविलास वेदांती ने कहा कि उन्हें विश्वास था कि मंदिर था, मंदिर है और मंदिर ही रहेगा। उन्होंने कहा कि उस ढाँचे को तोड़वाने के लिए उन्हें गर्व है। उन्होंने कहा कि अगर इसके लिए उन्हें फाँसी की सज़ा होती है या फिर आजीवन कारावास की सज़ा होती है, तो रामलला के लिए वो भी भोगने के लिए तैयार हैं लेकिन रामलला को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि ये स्पष्ट है कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था लेकिन साथ ही पूछा कि जब मुग़ल बादशाह बाबर कभी अयोध्या आया ही नहीं ता तो फिर अयोध्या में बाबरी मस्जिद कहाँ से आ गई? उन्होंने कहा कि 2005 में एक महीने की गवाही में वो लोग सिद्ध कर चुके हैं कि वहीं रामलला का जन्म हुआ था। उन्होंने कहा कि वो अदालत में आत्मसमर्पण के लिए तैयार हैं और सज़ा सज़ा मिलती है तो ये उनका सौभाग्य होगा। उन्होंने कहा- “हाँ, मैंने ढाँचा तुड़वाया।“