वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ रिटायर्ड जस्टिस सीएस कर्णन ने नामांकन दाखिल करने का निर्णय लिया है। मद्रास और कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश रह चुके कर्णन पहले ऐसे जज थे, जिन्हें पद पर रहते हुए अदालत की अवमानना का दोषी पाया गया था। जस्टिस कर्णन पहले ही मध्य चेन्नई लोकसभा सीट के लिए नामांकन दाखिल कर चुके हैं और वाराणसी दूसरा ऐसा क्षेत्र होगा जहाँ से वह चुनाव लड़ेंगे। कर्णन ने 2018 में एंटी-करप्शन डाइनेमिक पार्टी का गठन किया था। वो इसी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में ताल ठोकेंगे। जून 2017 में रिटायर हुए कर्णन को 6 महीने जेल में गुज़ारने पड़े थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछली बार वाराणसी से रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की थी। 2014 के आम चुनाव में पीएम मोदी सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवार थे। कुल मतों का 56% से भी अधिक प्राप्त करने वाले मोदी को उस चुनाव में वाराणसी से 5,81,122 मत मिले थे जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी अरविन्द केजरीवाल 2,09,238 मतों दूसरे स्थान पर रहे थे। उन्हें कुल मतों का 20.3% हिस्सा प्राप्त हुआ था। इस तरह नरेंद्र मोदी ने रिकॉर्ड 3,71,884 मतों से जीत दर्ज की। मोदी ने केजरीवाल को 36% मतों से हराया था।
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अगर जस्टिस कर्णन की बात करें तो उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई जजों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की बेंच ने इस सिलसिले में जस्टिस कर्णन की लिखी चिट्ठियों का स्वत: संज्ञान लेते हुए उनके ख़िलाफ़ अदालत की अवमानना का मुक़दमा शुरू किया था। जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए कहा था:
“8 फरवरी 2018 से ही ये सात जज (जिसके ख़िलाफ़ उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे) मुझे कोई भी न्यायिक और प्रशासनिक कार्य नहीं करने दे रहे हैं। इन लोगों ने मुझे परेशान कर दिया है और मेरा सामान्य जीवन खराब कर दिया है। इसलिए, मैं सभी सात न्यायाधीशों से मुआवजे के रूप में 14 करोड़ रुपये लेना चाहता हूँ।
तेज बहादुर यादव भी मोदी के ख़िलाफ़ मैदान में
उधर बीएसएफ से बरख़ास्त तेज बहादुर यादव भी वाराणसी से मोदी के ख़िलाफ़ मैदान में उतरे हैं। जिन्होंने बीएसएफ में रहते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से वीडियो बनाकर जवानों को दिए जाने वाली भोजन की गुणवत्ता को ख़राब बताया था। कुछ दिनों पहले उनके बेटे की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। तेज बहादुर ने कहा कि क़रीब दस हज़ार पूर्व सैनिक वाराणसी आकर ‘नकली चौकीदार के ख़िलाफ़ घर-घर में प्रचार करेंगे। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। तेज बहादुर को अनुशासनहीनता का दोषी पाते हुए बीएसएफ से बरख़ास्त कर दिया गया था।