उत्तर प्रदेश के बदायूं के बिल्सी शहर में मंदिर (देवस्थान) के पास कब्र खोदे जाने पर सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक इलाके में ये कब्र सकुरी नाम के व्यक्ति के बेटे समीर के शव के लिए खोदी गई थी, जिसके बाद इलाके की शांति भंग हुई।
लोगों ने जब इस कब्र को देखा तो इस पर आपत्ति जताई और दोनों समुदाय के लोगों में बहस शुरू हो गई। सूचना मिलने के बाद मौके पर पुलिस व तहसील टीम पहुँची। तहसील टीम ने रिकॉर्ड देखकर बताया कि वहाँ एक मंदिर बना है और वहीं कुछ लोगों की निजी जमीन भी है, इसलिए यहाँ कब्र नहीं खोदी जा सकती।
Uttar Pradesh: Communal tension after grave was dug next to a Hindu temple to bury a dead body https://t.co/CChvnrnx7Y
— OpIndia.com (@OpIndia_com) December 9, 2020
पुलिस ने फौरन मामले पर सख्ती दिखाई और जेसीबी बुलवाकर जमीन को पाट दिया। बिल्सी के एसएचओ ने बताया कि लोगों की निजी भूमि के साथ देवस्थान के पास कब्र खोदकर कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। फिलहाल कब्र को पटवा दिया गया है। सुरक्षा-व्यवस्था के लिए मौके पर पुलिस तैनात कर दी गई है। तनाव जैसी कोई स्थिति नहीं है।
बता दें कि सोमवार को ईंटों से भरी ट्रॉली पलट जाने के कारण बिल्सी में समीर की मौत हुई थी। मंगलवार को उसके परिजनों ने उसके शव को दफनाने के लिए मंदिर के पास कब्र खोद दी। जब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया तो पुलिस प्रशासन भी वहाँ पहुँचा, मगर दूसरे समुदाय के लोग शव को उसी जगह पर दफनाने के लिए अड़े रहे।
मामले के तूल पकड़ने पर तहसीलदार ने जमीन का रिकॉर्ड दिखाया, जिससे पता चला कि उस जमीन पर पीपल का पेड़ है और आसपास की जमीन कुछ लोगों के नाम दर्ज है। रिकॉर्ड देखने के बाद पुलिस ने अपनी ओर से जब सख्ती दिखाई, तब दूसरे समुदाय के लोग शांत पड़े।
इस मामले के प्रकाश में आने के बाद लोग समुदाय विशेष की मंशा पर सवाल उठाने लगे हैं। शिवानी भटनागर खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहती हैं कि जमीन हड़प करने का ये बहुत पुराना तरीका है। अपना अनुभव साझा करते हुए वह दावा करती हैं कि उनके पुराने घर के पास ऐसी ही जमीन थी। कुछ दिन बाद दूसरे समुदाय के कुछ लोग वहाँ नमाज पढ़ने आने लगे। फिर संख्या बढ़ी और अब जमीन उनके कब्जे में है।
This is old old tactic for grabbing land. There was this land, near my childhood house. Once in a while we used to have mela there. Since it was Muxlimx majority they started coming for namaz there. 1-2 people. Then the number increased and finally the land was usurped.
— shivani bhatnager (@shivanibhatnage) December 9, 2020