जेएनयू की फ्रीलांस प्रोटेस्टर शेहला रशीद ने हाल ही में सक्रिय राजनीति में कदम रखा है। शेहला ने कुछ दिनों पहले ही भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) छोड़कर नेता बने शाह फैसल के द्वारा बनाई गई पार्टी में शामिल होकर राजनीतिक पारी की शुरुआत की है। शेहला ने आज सूरत के एक पुराने वीडियो को रीट्वीट करते हुए भाजपा सरकार की बुराईयों को दिखाने की कोशिश की।
ट्विटर यूजर द्वारा अपलोड किए गए वीडियो में ये दिखाने की कोशिश की गई है कि आज भाजपा समर्थकों द्वारा सूरत में एक बाइक रैली निकाली गई, जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी हुई। लोग काफी गुस्सा हो गए थे। ट्वीटर अपलोड करने वाले ट्वीटर यूजर का यह भी कहना है कि चूँकि ये भाजपा के नकारात्मक छवि को दर्शाता है, इसलिए मेनस्ट्रीम के किसी भी मीडिया चैनल में इतनी हिम्मत नहीं है कि वो इसे दिखा सके।
बता दें कि ट्विटर यूजर द्वारा किया गया ये दावा पूरी तरह से निराधार और बेबुनियाद है। सच्चाई तो ये है कि इस वीडियो या फिर इस मुद्दे को किसी मेनस्ट्रीम मीडिया ने इसलिए कवर नहीं किया, क्योंकि आज सूरत में भाजपा समर्थकों द्वारा कोई बाइक रैली नहीं की गई थी और ट्वीटर यूजर द्वारा जो वीडियो अपलोड की गई है, वो दिसंबर 2017 का एक पुराना वीडियो है। शेहला रशीद ने इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरों का प्रचार करना शुरू कर दिया।
वैसे ये पहली बार नहीं है कि शेहला रशीद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरों और अफवाहों को फैलाने के लिए रंगे हाथों पकड़ी गई है। पुलवामा हमले के बाद अफवाहें फैलाने के लिए हाल ही में शेहला राशीद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इससे पहले एक ट्वीट कर नितिन गडकरी पर पीएम मोदी की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाने की वजह से शेहला के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी और जब गडकरी ने उन्हें कानूनी कार्रवाई की धमकी दी, तो उन्होंने दावा किया कि ट्वीट केवल एक व्यंग्य था और फिर शेहला रशीद ने खुद को इस परेशानी से निकालने के लिए ‘इस्लामोफोबिया’ का कार्ड खेल दिया।