राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने पाया है कि असम और मणिपुर में बदरुद्दीन अजमल के मरकाजुल मारीफ के द्वारा संचालित 6 बाल संरक्षण गृहों में फंड्स का गलत इस्तेमाल किया गया है। इनमें से एक बाल संरक्षण गृह को तो उस NGO से फंड्स मिले, जिसकी वैश्विक आतंकी संगठन अलकायदा से लिंक्स की जाँच की जा रही है। शुक्रवार (दिसंबर 25, 2020) को NCPCR ने कहा कि उसकी इंस्पेक्शन टीम को बताया गया कि इन 6 बाल संरक्षण गृह में 778 बच्चे रह रहे हैं।
असम के विवादित सांसद बदरुद्दीन अजमल ने इन बाल संरक्षण गृहों की स्थापना की है। लोकसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध उनके बायो में बताया गया है कि इनमें 1010 बच्चे रह रहे हैं। मरकाजुल मारीफ की वेबसाइट पर इनमें 1080 बच्चों के होने की बात बताई गई है। इस तरह से संस्था द्वारा दी गई जानकारी और अन्य आँकड़े अलग-अलग हैं। NCPCR का कहना है कि बाकी के 300 बच्चों के बारे में पता करना आवश्यक है।
IHH नामक अंतरराष्ट्रीय NGO से संस्था को धन प्राप्त हो रहा है। साथ ही बच्चों की एक सूची भी मिली है, जिन्हें इस धन का ‘फायदा’ मिल रहा है। 2017 की एक सूची के अनुसार, इन बच्चों को IHH स्पॉन्सर कर रहा है। तुर्की के इस NGO से तुर्की में ही पूछताछ चल रही है, क्योंकि उसके अलकायदा से जुड़ने होने की बात सामने आई है। आयोग ने अभी तक उन बच्चों के डिटेल्स को लेकर कुछ नहीं बताया है, जिन्हें इस NGO ने स्पॉन्सर कर रखा है।
आयोग का कहना है कि इन गृहों में 302 बच्चे ऐसे हो सकते हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है और उनके बारे में पता किया जा रहा है। इंस्पेक्शन टीम ने कहा है कि इस मामले में अब NIA को जाँच कर के तथ्यों का पता लगाना चाहिए। दिसंबर 14-18 के बीच हुई जाँच के बाद असम और मणिपुर की सरकारों को सौंपी गई रिपोर्ट में NCPCR ने कहा है कि इन बाल संरक्षण गृहों में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 सहित कई नियमों का उल्लंघन किया गया है।
वहाँ के गंदे व अनहाइजेनिक टॉयलेट्स, लड़कियों के लिए असुरक्षा, बाँस के डंडे से दंड देने सहित कई ऐसी चीजें हैं, जिनके बारे में रिपोर्ट में बताया गया है। इनमें से कइयों में CCTV कैमरे भी नहीं हैं। इनका निर्माण भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर जारी दिशा-निर्देशों के तहत नहीं किया गया है। इससे बच्चों को प्रताड़ित किए जाने की आशंका है। कर्मचारियों ने भी स्वीकारा है कि बच्चों को शारीरिक रूप से दंड दिए जाते हैं।
एक बच्चे ने भी जाँच टीम से अपनी पिटाई किए जाने की शिकायत की, जिसके बाद दोषियों के खिलाफ आयोग ने FIR करने की बात पर बल दिया है। एक बाल संरक्षण गृह में तो पुरुष कर्मचारियों को बच्चियों के कमरों में घूमते हुए देखा गया और वो वहाँ भी घूम रहे थे, जहाँ ये बच्चियाँ सोती हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन बच्चियों की प्रताड़ना की आशंका है। आयोग की रिपोर्ट के बाद दोनों राज सरकारों पर कार्रवाई का दारोमदार है।
इनमें से 5 बाल संरक्षण गृह असम के धुबरी, गोलबरा और नगाँव, जबकि एक मणिपुर के थौबल में स्थित है। इन सभी का नाम ‘मरकज दारुल यातमा’ रखा गया है। बच्चों के मेडिकल के लिए कोई डॉक्टर नहीं था। बच्चों के बायोलॉजिकल गार्जियंस को ढूँढने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। बच्चों की केस हिस्ट्री नहीं तैयार की गई। जिन-जिन क्षेत्रों के जिन कर्मचारियों को वहाँ नियमानुसार होना चाहिए, वो नहीं थे।
1000 स्क्वायर फ़ीट के कमरे होने चाहिए, जबकि सभी इससे छोटे थे और उनमें से दुर्गंध आ रही थी। साफ़-सफाई की व्यवस्था नहीं थी और काउंसिलिंग रूम की व्यवस्था भी नहीं की गई थी। न तो सही से बाउंड्री पर फेंसिंग की गई थी, न ही सुरक्षा की कोई व्यवस्था थी। आयोग ने पाया कि इनमें से कई के रजिस्ट्रेशन एक्सपायर हो चुके थे, लेकिन उन्होंने फिर से अप्लाई नहीं किया। 2012 में मुख्यमंत्री की योजना के तहत भी इन्हें धन मिला था।
NCPCR ने ये भी पाया कि इन बाल संरक्षण गृहों के परिसर में खुलेआम जानवरों की हत्या की जा रही थी, जबकि बच्चों को इस तरह से दृश्य नहीं देखने चाहिए। उन्हें बीमारी होने पर बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएँ दी जा रही थीं। कुछ दिनों पहले ये भी खबर आई थी कि इन बाल संरक्षण गृहों को चीन की संस्थाओं से फंडिंग मिल रही है। बच्चों की वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए भी व्यवस्था नहीं की गई है। NCPCR ने ऐसी कई अनियमितताएँ पाईं।
#Breaking NCPCR recommended inquiry of @BadruddinAjmal run Markazul Maarif child homes through specialized investigation agencies for its logistical relations with #AlQaida linked #Turkish charities. During raids @NCPCR_ found illegal activities at Dhubri, Goalpara, Nagao homes pic.twitter.com/X7WAcUADNx
— Legal Rights Observatory- LRO (@LegalLro) December 25, 2020
आयोग ने बताया कि कई जगह तो उसे सूचनाएँ भी ठीक से नहीं दी गईं। ज़रूरी कागजात मुहैया नहीं कराए गए। आयोग ने इस पर आश्चर्य जताया है कि नियमों के उल्लंघन के बावजूद इन्हें राज्य सरकारों द्वारा ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के तहत वित्त क्यों मुहैया कराया गया? बच्चों के लिए सुरक्षा नीति, खानपान, मेडिकल और डेली रूटीन को लेकर कुछ तय मानक हैं, जिनका वहाँ पालन नहीं किया जा रहा था।
आयोग ने कहा कि गोलपारा में एक संरक्षण गृह के भीतर स्कूल भी चल रहा है, जिसका वेरिफिकेशन जरूरी है। आयोग ने असम और मणिपुर की सरकारों से सिफारिश की है कि जिन गृहों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है, वहाँ के बच्चे-बच्चियों को किसी अन्य संस्थान में शिफ्ट किया जाए। साथ ही शिक्षा विभाग सरकारी फंड्स के उपयोग के डिटेल्स माँगे और जाँच करे। IHH को भी बच्चों के डिटेल्स भेजे गए होंगे, इसीलिए इसकी भी जाँच की जाए।
इसी महीने में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल द्वारा संचालित ‘अजमल फाउंडेशन’ के खिलाफ असम के दिसपुर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। गुवाहाटी के सीपी एम एस गुप्ता ने बताया था कि यह मामला सत्य रंजन बोराह द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद दायर किया गया था, जिसने एनजीओ पर विदेशी फंड प्राप्त करने और संदिग्ध गतिविधियों में इसका इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।