Sunday, September 8, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयमैं खुश हूँ कि वो मारा गया, वह गलत रास्ते और गलत लोगों के...

मैं खुश हूँ कि वो मारा गया, वह गलत रास्ते और गलत लोगों के साथ था: श्री लंका आतंकी की अपनी बहन

“उसने अल्लाह को खो दिया क्योंकि उसने हदीथ गलत लोगों से सीखी, और लोगों को मारना सीख लिया। मुझे कहना चाहिए कि मैं खुश हूँ कि वह अब इस दुनिया में नहीं है।”

श्री लंका में पिछले रविवार हुए ईस्टर बम धमाकों के हमलावरों में से एक ज़ाहरान हाशिम की बहन को उसकी मौत का कोई अफ़सोस नहीं है। उनके मुताबिक उनका भाई गलत रास्ते पर था, और उसकी मौत की उन्हें ख़ुशी है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनके पति ने और उन्होंने ज़ाहरान से रिश्ते 2017 में ही तोड़ लिए थे जब वह आतंकवादियों की भाषा बोलने लगा था।

‘वे आतंकी हैं’

मदानिया नामक ज़ाहरान हाशिम की बहन ने यह सब श्री लंका की गुप्तचर टीम से इन्डियन एक्सप्रेस संवाददाता की मौजूदगी में कहा है। कल (शनिवार, 28 अप्रैल, 2019) सादे कपड़ों में श्री लंकाई सैन्य गुप्तचर विभाग (मिलिट्री इंटेलिजेंस) के अफसर कालमुनाई में हुए बम धमाकों के बाद मदानिया के घर पहुँचे थे। वह चाहते थे कि मदानिया और उनके पति शरीफ़ नियास अम्पारा शहर के पास मौजूद अस्पताल में चलकर धमाकों के लिए जिम्मेदार लाशों की शिनाख्त करें। गौरतलब है कि कालमुनाई में हुए बम धमाकों में मारे गए 15 लोग हाशिम परिवार के ही बताए जा रहे हैं। धमाके जिस घर में हुए, वह भी उनका ‘अड्डा’ माना जा रहा है, जहाँ वह ज़ाहरान के ईस्टर बम धमाकों के तीन दिन पहले से जाकर छिप गए थे।

मदानिया ने उनकी लाशें देखने से मना कर दिया और कहा कि वे केवल तस्वीरों से ही शिनाख्त करना पसंद करेंगी (उनके पति शरीफ़ ने यह बात अफ़सरों को बताई)। इस पर अफ़सरों ने उन्हें बताया कि यह उनका उनके घर वालों के अवशेषों को देखने का आखिरी मौका है। अपसरों ने कहा, “अगर वह आपके घर वाले ही निकलते हैं तो वैसे भी आप उनको आखिरी बार देख रही होंगी। वे आतंकी हैं।” लेकिन इस स्पष्ट संकेत के बाद भी मदानिया अपने बात पर टिकी रहीं।

कालमुनाई: मरने वालों में बच्चे, औरतें, बूढ़े

कालमुनाई में मरने वालों में 26-वर्षीय ज़ाहरान का एक भाई, उसकी पत्नी और दो बच्चे, एक दूसरा भाई मोहम्मद ज़ैन हाशिम (जो या तो फ़रार है, या ईस्टर धमाकों में मारा गया) की पत्नी और दो बच्चे, ज़ाहरान की एक दूसरी बहन, उसका पति और उसका बच्चा, ज़ाहरान के कम-से-कम दो बच्चे और इन सभी भाई-बहनों के बूढ़े माँ-बाप शामिल हैं। वह सभी ईस्टर धमाकों के तीन दिन पहले लापता हो गए थे। मदानिया के पति नियास, जो सेकेंड-हैंड वाहनों के छोटे-मोटे डीलर हैं, ने दावा किया कि अफ़सरों ने धमाकों में ज़िन्दा बचे दो लोगों की तस्वीर भी उन्हें दिखाई, जिन्हें उन्होंने ज़ाहरान की पत्नी और उसके बच्चों में से एक के रूप में पहचाना। हालाँकि पूछे जाने पर श्री लंका सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर सुमित अटापट्टू ने इस पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

मदानिया ने यह दावा किया कि उन्हें इस्लामिक स्टेट के बारे में कोई जानकारी नहीं है। “हमारी बात 2017 में ही तब बंद हो गई जब उसने अपने भाषणों में जहर उगलना शुरू कर दिया। वह उत्तेजक भाषण देता था और भीड़ खींचने में उसे महारत हासिल थी। पर जब उसने सरकार, मुल्क, झंडे, निर्वाचन, और दूसरे मजहबों के खिलाफ तकरीरें देना शुरू कर दिया, तो मुझसे और नहीं रहा गया। उसने हमारे परिवार पर कोहराम ला दिया है।”

इन्डियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि मदानिया और नियास का घर उस नेशनल तौहीद जमात की मस्जिद से महज़ 100 मीटर की दूरी पर है, जहाँ ज़ाहरान आतंकी बना था। स्थानीय लोगों का कहना है कि मस्जिद में पिछले दो सालों से मरम्मत का काम चालू है।

पहले ही था पुलिस की नजर में, लहराई थी तलवार

मदानिया बतातीं हैं कि उनके पति ज़ाहरान से दूर ही रहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि वह ऐसे रास्ते की ओर मुड़ चुका है, जो खतरनाक है। वह दूसरे मज़हबों ही नहीं, उदारवादी मुसलामानों और सूफ़ियों को भी अपशब्द कहता था – उसके लिए सूफ़ी नशेड़ी थे। पुलिस की भी उस पर नजर थी। इस बात की तस्दीक फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट से भी होती है, जिसमें यह दावा किया गया है कि एक दूसरे मज़हबी गुट के साथ टकराव में तलवार निकाल लेने के बाद से ज़ाहरान हाशिम पुलिस की नजरों में था।

मदानिया के मुताबिक ज़ाहरान ने सामान्य स्कूल में छठी कक्षा से ही जाना छोड़ दिया था। पर इस्लामिक पढ़ाई में उसकी रुचि बनी रही- इतनी ज्यादा कि उसने केवल कुरान रटने के लिए अरबी का कोर्स किया और 2006 में एक इस्लामिक अध्ययन केंद्र खोल डाला। मदानिया ने कहा, “उसने अल्लाह को खो दिया क्योंकि उसने हदीथ गलत लोगों से सीखी, और लोगों को मारना सीख लिया। मुझे कहना चाहिए कि मैं खुश हूँ कि वह अब इस दुनिया में नहीं है।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -