प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (मार्च 30, 2021) को तमिलनाडु के धारापुरम में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कॉन्ग्रेस और डीएमके के गठबंधन पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान उन्होंने जनता से 25 मार्च 1989 को AIADMK की दिवंगत राजनेत्री व तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के साथ हुआ वाकया कभी न भूलने को कहा।
पीएम जनसभा में बोले, “डीएमके के युवराज ने वरिष्ठ नेताओं को किनारे कर दिया और उन पर आपत्तिजनक टिप्पणी भी की। डीएमके ने फिर भी उन्हें रोकने के लिए कोई कोशिश नहीं की। 25 मार्च 1989 की तारीख को कभी मत भूलिएगा। तमिलनाडु विधानसभा में डीएमके नेताओं ने किस तरह अम्मा जयललिता के साथ व्यवहार किया था?”
प्रधानमंत्री ने आज के भाषण में ‘अम्मा’ जयललिता के साथ हुई जिस घटना का जिक्र किया, उसे बीती 25 मार्च पूरे 32 साल बीत गए हैं। इसी तारीख को तमिलनाडु विधानसभा में जयललिता पर डीएमके के बड़े बड़े नेताओं ने हमला किया था।
सदन में हुए इस अपमान ने उनके मन पर ऐसा असर छोड़ा कि उन्होंने शपथ ले ली कि जब तक डीएमके के मुख्यमंत्री सदन में बैठेंगे वो विधानसभा नहीं आएँगी। उनकी इस एक शपथ ने उन्हें दो साल के अंदर आम राजनेत्री से राज्य की मुख्यमंत्री के पद तक पहुँचा दिया और देखते ही देखते वे राज्य की जनता के दिल में अम्मा बन कर राज करने लगीं।
Young crown prince of DMK, who has sidelined many senior leaders, too made horrible remarks. DMK did nothing to stop him. Never forget March 25, 1989. In Tamil Nadu Assembly, how did DMK leaders treat Amma Jayalalithaa Ji? DMK & Congress will not guarantee women empowerment: PM https://t.co/1RjgeENUbW
— ANI (@ANI) March 30, 2021
25 मार्च 1989 को तमिलनाडु विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ था। तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि को विपक्षी अन्नाद्रमुक विधायकों ने जमीन पर धकेल दिया था। जहाँ करुणानिधि पर हुए एक हमले का बदला लेने के लिए विपक्षी नेताओं ने न केवल जयललिता का विरोध किया बल्कि भरी सभा में उनकी साड़ी खींचकर, बाल नोचकर उन्हें चप्पल मारी। इस बीच उनके कंधे पर लगी सेफ्टी पिन खुल गई और चोट के कारण खून बहने लगा।
They threw Chappal at me, they pulled my hair, in fact they tore out some of my hair. My saree was pulled – Jaylalitha Ji on attack on her in the assembly. #Thalaivi ✌️ pic.twitter.com/n7qC1iSWuO
— Aryan Rajput (@AryanRajput21) March 25, 2021
एक इंटरव्यू में जयललिता ने कहा था,
“25 मार्च 1989 में विधानसभा में हुए हमले से ज्यादा मेरे लिए कुछ अपमानजनक नहीं है। मुख्यमंत्री करुणानिधि वहीं थे। उनकी दोनों पत्नियाँ भी वीआईपी बॉक्स में बैठकर देख रही थीं। उनके हर विधायक और मंत्री ने मुझे खींच-खींचकर शारीरिक शोषण किया। उनका हाथ जिस पर गया उन्होंने उसे खींचा चाहे कुर्सी हो,माइक हो या भारी ब्रास बेल्ट। अगर वह उस दिन सफल होते तो आज मैं जिंदा न होती। मेरे विधायकों ने उस दिन मुझे बचाया। उनमें से एक ने मेरी साड़ी भी खींची। उन्होंने मेरे बाल खींचे और कुछ तो नोच भी डाले। उन्होंने मुझ पर चप्पल फेंकी। कागज के बंडल फेंके। भारी किताबें मारी। उस दिन मैंने सदन को आँसुओं और गुस्से के साथ छोड़ा। मैंने कसम खाई कि जब तक ये आदमी मुख्यमंत्री बनकर सदन में होगा मैं यहाँ नहीं बैठूँगीं और जब मैं उस सदन में दोबारा गई तो मैं चीफ मिनिस्टर थी। मैंने दो साल में अपनी कसम पूरी की।”
बता दें कि तमिलनाडु की इस नेत्री का जीवन और यूपी में मायावती का राजनीतिक करियर लगभग एक जैसा है। वहाँ जयललिता 25 मार्च 1989 में सदन में हुई बदसलूकी के बाद 6 बार सीएम बनीं और उत्तर प्रदेश में मायावती, 1993 में गेस्ट हाउस कांड के बाद दलितों की एकमात्र नेता बनकर उभरीं।
दरअसल, 1993 में सपा और बसपा की गठबंधन में सरकार बनने के बाद मुलायम सिंह सीएम थे। साल 1995 में जब बसपा ने गठबंधन से अपना नाता तोड़ा तो मुलायम समर्थक आग बबूला हो गए और 2 जून को अचानक लखनऊ का गेस्ट हाउस घेर लिया। वहाँ मायावती पर हमला हुआ, उन्हें जान से मारने की कोशिश हुई। तभी भाजपा ने बसपा को समर्थन देने का ऐलान किया और घटना के अगले ही दिन मायवती पहली दफा यूपी की सीएम कुर्सी पर विराजमान हुईं। इनमें से 2 बार उन्हें कुछ कुछ माह बाद कुर्सी छोड़नी पड़ी और 2 बार उन्होंने अपना शासन काल पूरा भी किया।