Friday, October 18, 2024
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शुरुआत कठिन चीजों से करें, खाली समय को खाली न समझें: जानिए परीक्षा पे चर्चा पर पीएम मोदी ने छात्रों से क्या कहा?

जीवन में सरलता और कठिन परिस्थितियों के संबंध में पीएम मोदी ने कहा कि वे इस संबंध में थोड़ी अलग राय रखते हैं। उन्होंने कहा कि अभिभावक बच्चों से कहते हैं कि पहले सरल प्रश्नों को हल करो किन्तु मैं कहता हूँ कि पहले कठिन प्रश्नों को हल करना चाहिए क्योंकि शुरुआत में ऊर्जा बनी रहती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7, अप्रैल को शाम 7 बजे ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम के तहत छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से वर्चुअल चर्चा की। पीएम मोदी ने कहा कि यह परीक्षा पे चर्चा का पहला वर्चुअल संस्करण है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कारण उन्हें इस बार छात्रों से मिलने के लिए वर्चुअल साधन का उपयोग करना पड़ रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि यह मात्र परीक्षा पे चर्चा नहीं है। बहुत कुछ बातें हो सकती हैं, हल्का-फुल्का माहौल बनाया जा सकता है। इसके माध्यम से एक नया आत्मविश्वास पैदा किया जा सकता है।

डर को समाप्त करने के प्रश्न पर पीएम मोदी ने कहा कि डर परीक्षा का नहीं अपितु उस माहौल का है जो छात्रों के आसपास बना दिया गया है कि परीक्षा ही सब कुछ है। इसके विषय में पीएम मोदी ने कहा कि जिंदगी में यह आखिरी मुकाम नहीं है।

जीवन में सरलता और कठिन परिस्थितियों के संबंध में पीएम मोदी ने कहा कि वे इस संबंध में थोड़ी अलग राय रखते हैं। उन्होंने कहा, “अभिभावक बच्चों से कहते हैं कि पहले सरल प्रश्नों को हल करो किन्तु मैं पढ़ाई को लेकर कहता हूँ कि पहले कठिन विषयों पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि शुरुआत में ऊर्जा बनी रहती है। पीएम मोदी ने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि वे सुबह कठिन चीजों से ही शुरुआत करते हैं।

खाली समय के विषय में पीएम मोदी ने बच्चों से कहा कि खाली समय को खाली न समझें अपितु खाली समय एक खजाना है। उन्होंने कहा कि खाली समय होना चाहिए अन्यथा जिंदगी एक रोबोट के जैसी हो जाएगी। उन्होंने खाली समय के सदुपयोग करने की बात कही।

अभिभावकों से बच्चों के विषय में चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि बच्चों पर मूल्यों को थोपने की बजाय मूल्यों को जीकर प्रेरित करें। ऐसा इसलिए क्योंकि आवश्यक नहीं कि अभिभावक जो कहें, बच्चे वही करें किन्तु बड़े जो भी करेंगे बच्चे उसे देखते हैं और उसे दोहराने के लिए लालयित रहते हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि सपने देखना अच्छा है किन्तु सपनों को लेकर बैठे रहना और सपनों के लिए सोते रहना सही नहीं है। उन्होंने बच्चों को स्किल का महत्व समझते हुए कहा कि बच्चों को दसवीं और बारहवीं से ही अपने आसपास के जीवन को ऑब्जर्व करना सीखना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने ट्रेनिंग और स्किल का महत्व भी समझाया।  

परीक्षा हॉल में बेहतर प्रदर्शन के लिए पीएम मोदी ने कहा कि यदि मन अशांत रहा या घबराहट से भरा रहा तो संभव है कि प्रश्नपत्र सामने आते ही सब भूल जाएं किन्तु इसके स्थान पर वर्तमान पर फोकस करना चाहिए और सारी दुविधाओं को परीक्षा हॉल के बाहर ही छोड़ देना चाहिए।

बच्चों को सफलता का मंत्र समझते हुए पीएम मोदी ने कहा कि छात्र जो पढ़ते हैं, वह कभी भी सफलता और विफलता का पैमाना नहीं हो सकता है बल्कि छात्र जीवन में जो करेंगे वह उनकी सफलता और असफलता को निर्धारित करेगा।

हर साल प्रधानमंत्री परीक्षा की अवधि के दौरान छात्रों से संवाद करते हैं जिससे वो छात्रों में आत्मविश्वास उत्पन्न कर सकें एवं उनके मन से परीक्षा और सामाजिक दबाव के डर को निकाल सकें। इस बार कोरोना वायरस के संकट के चलते यह कार्यक्रम वर्चुअली आयोजित किया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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