Sunday, September 8, 2024
Homeरिपोर्टSC में जस्टिस खन्ना व दिनेश माहेश्वरी की नियुक्ति पर दिल्ली HC के पूर्व...

SC में जस्टिस खन्ना व दिनेश माहेश्वरी की नियुक्ति पर दिल्ली HC के पूर्व जज ने उठाया सवाल

कॉलेजियम की वजह से केएम जोसेफ़ की नियुक्ति के समय सरकार और कॉलेजियम में टकराव देखने को मिला था। इससे पहले भी कॉलेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति में वरिष्ठ जजों के बीच आपसी असहमति देखने को मिली है।

दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज कैलाश गंभीर ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कॉलेजियम के फ़ैसले का विरोध किया है। पूर्व जज ने अपने पत्र में जस्टिस संजीव खन्ना व जस्टिस दिनेश माहेश्वरी के सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति का विरोध किया है। राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कैलाश गंभीर ने लिखा – “राष्ट्रपति महोदय एक और ऐतिहिसिक भूल होने से रोकें।” अपने पत्र में पूर्व जज ने यह भी लिखा कि दिल्ली हाई कोर्ट में वरिष्ठता के क्रम में जस्टिस संजीव खन्ना से अधिक सीनियर तीन जज हैं।

यही नहीं अपने पत्र में पूर्व जज ने यह दावा किया कि कॉलेजियम के इस फ़ैसले के बाद देश भर के तीस वरिष्ठ जजों के साथ अन्याय होगा। कैलाश गंभीर ने यह भी कहा कि यह सभी वरिष्ठ जज जस्टिस खन्ना और दिनेश माहेश्वरी की तुलना में ज्यादा अनुभवी और काबिल हैं। ऐसे में कॉलेजियम के इस फ़ैसले के आधार पर यदि जस्टिस खन्ना और दिनेश माहेश्वरी की नियुक्ति हो जाती है, तो यह बड़ी ऐतिहासिक भूल होगी।

कॉलेजियम पर जस्टिस चेलमेश्वर उठाते रहे हैं सवाल

संविधान पीठ कॉलेजियम में रहते हुए जस्टिस चेलमेश्वर ने कॉलेजियम द्वारा जजों को नियुक्त करने की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा किया था। चेलमेश्वर ने कॉलेजियम के बारे में सितंबर 2016 को अपने बयान में कहा, “मुझे अपने अनुभवों के आधार पर यह लगता है कि कॉलेजियम में लोग गुट बना लेते हैं। राय व तर्क रिकॉर्ड किए बिना ही चयन हो जाता है। दो लोग आपस में बैठकर नाम तय कर लेते हैं और बाक़ी से ‘हाँ’ या ‘ना’ के लिए पूछ लेते हैं। कुल मिलाकर कॉलेजियम सबसे अपारदर्शी कार्यप्रणाली बन गई है, इसलिए मैं अब कॉलेजियम की मीटिंग में शामिल नहीं हो पाऊँगा।” कॉलेजियम के मामले में ऐसा पहली बार नहीं हुआ पहले भी कई जजों ने नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाया है।

कॉलेजियम को सरकार बता चुकी है अवैध

भाजपा सरकार ने कॉलेजियम के ख़िलाफ़ मार्च 2015 में सुप्रीम कोर्ट में दावा पेश किया था कि इस व्यवस्था में सबकुछ सही नहीं है। इस मामले में सरकार ने अपने पक्ष को रखते हुए कोर्ट को कॉलेजियम व्यवस्था की ख़ामियाँ गिनाई थी। हालाँकि, सरकार के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) के गठन को कोर्ट द्वारा झटका लग चुका है। कॉलेजियम की वजह से केएम जोसेफ़ की नियुक्ति के समय सरकार और कॉलेजियम में टकराव देखने को मिला था। इससे पहले भी कॉलेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति में वरिष्ठ जजों के बीच आपसी असहमति देखने को मिली है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

असम के मुस्लिम बहुल इलाकों में जनसंख्या से अधिक आधार कार्ड: CM सरमा का ऐलान- जिसका NRC का आवेदन नहीं, उसे AADHAAR नहीं

असम के सीएम सरमा ने कहा है कि जिन लोगों ने NRC के लिए आवेदन नहीं किया है, उन्हें आधार कार्ड नहीं जारी किया जाएगा।

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -