प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (जून 7, 2021) को शाम 5 बजे राष्ट्र को सम्बोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि बीते सौ वर्षों में आई ये सबसे बड़ी महामारी है, त्रासदी है। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि इस तरह की महामारी आधुनिक विश्व ने न देखी थी, न अनुभव की थी, बावजूद इसके इतनी बड़ी वैश्विक महामारी से हमारा देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा है। उन्होंने कहा कि पूरी विश्व में वैक्सीन के लिए जो माँग है, उसकी तुलना में उत्पादन करने वाले देश और कंपनियाँ गिनी-चुनी हैं।
उन्होंने लोगों को कल्पना करने को कहा कि अगर यहाँ स्वदेशी वैक्सीन नहीं होती तो इतने बड़े देश का क्या होगा? उन्होंने याद दिलाया कि पहले भारत को वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे क्योंकि जब वैक्सीन का काम विदेशों में पूरा हो जाता था, यहाँ काम शुरू नहीं हो पाता था। उन्होंने पोलियो, हेपेटाइटिस बी और स्मॉल पॉक्स जैसी बीमारियों का नाम लिया। उन्होंने जानकारी दी कि 2014 में भारत में वैक्सीनेशन कवरेज मात्र 60% था।
उन्होंने कहा कि पुरानी रफ़्तार से भारत को पूरे देश के टीकाकरण में 40 साल लग जाते, लेकिन केंद्र सरकार ने ‘मिशन इंद्रधनुष’ के जरिए शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन कवरेज का लक्ष्य रखा, और 90% हासिल कर ली। उन्होंने कहा कि इसके लिए टीकाकरण की गति और दायरा, दोनों बढ़ाया गया। उन्होंने बच्चों को आने बीमारियों से बचाने के लिए नए टीके लाने की याद दिलाई और कहा कि सरकार को गरीबों और उनके बच्चों की चिंता थी, जो आज तक वंचित थे।
उन्होंने बताया कि शत-प्रतिशत टीकाकरण के रास्ते में कोरोना वायरस ने घेर लिया और दुनिया में ये आशंका थी कि भारत इतनी बड़ी आबादी को कैसे बचाएगा। उन्होंने बताया कि सेकेंड वेव के दौरान अप्रैल और मई के महीने में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई थी। भारत के इतिहास में कभी भी इतनी मात्रा में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई और इस जरूरत को पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया गया। सरकार के सभी तंत्र लगे।
पीएम मोदी ने बताया कि देश भर में 23 करोड़ से भी अधिक वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रयासों में सफलता तभी मिलती है, जब स्वयं पर विश्वास हो। उन्होंने कहा कि हमें हमारे वैज्ञानिकों पर पूरा भरोसा था। उन्होंने बताया कि रिसर्च वर्क के दौरान ही लॉजिस्टिक्स व अन्य तैयारियाँ शुरू कर दी गई थीं। उन्होंने बताया कि पिछले साल अप्रैल में ही वैक्सीन टास्क फोर्स का गठन कर दिया गया था, जाव कोरोना के कुछ हजार मामले ही आए थे।
उन्होंने ये भी बताया कि वैक्सीन निर्माता कंपनियों को हर स्तर पर मदद की गई। उन्होंने बताया कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मिशन कोविड सुरक्षा’ के माध्यम से उन्हें हजारों करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए। उन्होंने जानकारी दी कि आज देश में 7 कंपनियाँ विभिन्न प्रकार के वैक्सीन के निर्माण में लगी हुई हैं और 3 ट्रायल मोड में हैं। दूसरे देशों से वैक्सीन खरीद की भी प्रक्रिया तेज़ कर दी है। इन्होने बताया कि बच्चों के लिए दो वैक्सीन के लिए भी ट्रायल चल रहा है।
प्रधानमंत्री ने एक ‘नजल वैक्सीन’ के निर्माण को लेकर तैयारी तेज़ होने की बात कही, जिसे इंजेक्ट न कर के नाक में स्प्रे कर के दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इतने कम समय में वैक्सीन का निर्माण पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इसकी सीमाएँ भी हैं। उन्होंने बताया कि भारत ने भी WHO के मानकों के हिसाब से काम किया और संसद के विभिन्न दलों और मुख्यमंत्रियों से बैठकों में मील सुझावों को प्राथमिकता दी। प्रधानमंत्री ने कहा;
“इस साल 16 जनवरी से शुरू होकर अप्रैल महीने के अंत तक, भारत का वैक्सीनेशन कार्यक्रम मुख्यत: केंद्र सरकार की देखरेख में ही चला। सभी को मुफ्त वैक्सीन लगाने के मार्ग पर देश आगे बढ़ रहा था। देश के नागरिक भी, अनुशासन का पालन करते हुए, अपनी बारी आने पर वैक्सीन लगवा रहे थे। इस बीच, कई राज्य सरकारों ने फिर कहा कि वैक्सीन का काम डी-सेंट्रलाइज किया जाए और राज्यों पर छोड़ दिया जाए। तरह-तरह के स्वर उठे। जैसे कि वैक्सीनेशन के लिए एज ग्रुप क्यों बनाए गए? दूसरी तरफ किसी ने कहा कि उम्र की सीमा आखिर केंद्र सरकार ही क्यों तय करे? कुछ आवाजें तो ऐसी भी उठीं कि बुजुर्गों का वैक्सीनेशन पहले क्यों हो रहा है? भाँति-भाँति के दबाव भी बनाए गए, देश के मीडिया के एक वर्ग ने इसे कैंपेन के रूप में भी चलाया।”
प्रधानमंत्री ने आलोचनाओं की बात करते हुए कहा कि देश में कम होते कोरोना के मामलों के बीच, केंद्र सरकार के सामने अलग-अलग सुझाव भी आने लगे, भिन्न-भिन्न माँगें होने लगीं और पूछा जाने लगा, सब कुछ भारत सरकार ही क्यों तय कर रही है? राज्य सरकारों को छूट क्यों नहीं दी जा रही? राज्य सरकारों को लॉकडाउन की छूट क्यों नहीं मिल रही? पीएम ने याद किया कि ‘One Size Does Not Fit All’ जैसी बातें भी कही गईं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा ऐलान किया कि आज ये निर्णय़ लिया गया है कि राज्यों के पास वैक्सीनेशन से जुड़ा जो 25 प्रतिशत काम था, उसकी जिम्मेदारी भी भारत सरकार उठाएगी। ये व्यवस्था आने वाले 2 सप्ताह में लागू की जाएगी। इन दो सप्ताह में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर नई गाइडलाइंस के अनुसार आवश्यक तैयारी कर लेंगी। उन्होंने ये घोषणा भी की कि सोमवार (जून 21, 2021) से देश के हर राज्य में, 18 वर्ष से ऊपर की उम्र के सभी नागरिकों के लिए, भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी।
प्रधानमंत्री ने ऐलान किया कि वैक्सीन निर्माताओं से कुल वैक्सीन उत्पादन का 75 प्रतिशत हिस्सा भारत सरकार खुद ही खरीदकर राज्य सरकारों को मुफ्त देगी। नए फैसले के अनुसार, देश की किसी भी राज्य सरकार को वैक्सीन पर कुछ भी खर्च नहीं करना होगा। अब तक देश के करोड़ों लोगों को मुफ्त वैक्सीन मिली है। अब 18 वर्ष की आयु के लोग भी इसमें जुड़ जाएँगे। सभी देशवासियों के लिए भारत सरकार ही मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध करवाएगी।
बकौल पीएम मोदी, भारत सरकार ने फैसला लिया है कि देश में बन रही वैक्सीन में से 25 प्रतिशत, प्राइवेट सेक्टर के अस्पताल सीधे ले पाएँ, ये व्यवस्था जारी रहेगी। प्राइवेट अस्पताल, वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज पर अधिकतम 150 रुपए ही सर्विस चार्ज ले सकेंगे। इसकी निगरानी करने का काम राज्य सरकारों के ही पास रहेगा। आज सरकार ने फैसला लिया है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अब दीपावली तक आगे बढ़ाया जाएगा। यानी, नवंबर तक 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को, हर महीने तय मात्रा में मुफ्त अनाज उपलब्ध होगा।