कुछ समय पहले एक नामी रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली से फ्लैट ख़रीदने वालों के साथ धोखाधड़ी का मामला सामने आया था जिसकी पूरी जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ऑडिटर्स को नियुक्त किया था।
इस मामले में हुई जाँच के बाद एक बेहद हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए ऑडिटर्स ने बुधवार (जनवरी 16, 2019) को कोर्ट में जानकारी दी है कि आम्रपाली ने 500 से अधिक लोगों के नाम पर सिर्फ़ 1, 5 और 11 रुपए प्रति वर्ग फुट की दर से फ्लैट बुक किए थे।
इस जाँच में ये भी मालूम चला कि फ्लैट ख़रीदने वालों के पैसों की हेराफेरी करने के लिए 23 बोगस कंपनियाँ बनाई गई थीं। हैरानी वाली बात ये है कि ये कंपनियाँ सिर्फ़ ऑफिस बॉय, चपरासी और ड्राइवरों के नाम पर बनाई गई थीं।
इस जाँच में दो फॉरेंसिक ऑडिटर्स ने कोर्ट में जानकारी दी है कि उन्होंने 655 ऐसे लोगों को नोटिस भेजा था जिनके नाम पर बेनामी फ्लैट बुक हुए थे लेकिन इन 655 में से 122 स्थान ऐसे थे जहाँ पर उन्हें कोई भी नहीं मिला।
इस पूरे मामले की अंतरिम रिपोर्ट फॉरेंसिक ऑडिटर्स द्वारा जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यू यू ललित की संयुक्त बेंच को सौंपी गई। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर चंद्र वाधवा के खाते में साल 2018 में ₹ 12 करोड़ थे। 12 करोड़ में से एक करोड़ उन्होंने अपनी पत्नी के अकॉउट में ट्रांसफर किए। इसके बाद 26 अक्टूबर 2018 को पहली बार न्यायालय में पेशी से ठीक एक दिन पहले कुछ अंजान लोगों को ₹4.75 करोड़ ट्रांसफर किए हैं।
वाधवा की इस हरक़त पर न्यायाधीशों की बेंच ने उन्हें अदालत की अवमानना की चेतावनी दी है। बेंच ने कहा कि वाधवा इस पूरी न्याय प्रकिया में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। कोर्ट ने वाधवा से कहा कि उन्हें पता था कि कोर्ट उनसे इस मामले पर सवाल पूछेगा इसलिए उन्होंने पहले ही पैसे ट्रांसफर कर दिए। बेंच ने कहा कि वो सारे पैसे 7 दिन के अंदर वापस चाहते हैं। इस पूरे मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को तय की गई है।