जहाँ एक तरफ अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर जबरन कब्ज़ा करते हुए तालिबान ने मुल्क की सत्ता हथिया ली है और शरीयत के हिसाब से शासन चलाना शुरू कर दिया है, भारत के कुछ मुस्लिम नेता उसकी निंदा की जगह तारीफ़ करने में लगे हुए हैं। इसमें नया नाम ‘जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस’ के नेता शफाकत अली वटाली का जुड़ा है। अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है, लेकिन उसे लेकर कुछ नहीं कहा जा रहा।
शफाकत अली वटाली ने ट्विटर पर लिखा, “भारत की सांप्रदायिक ताकतें यहाँ की मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से तालिबान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ISI, ISIS, अलकायदा इत्यादि का नाम लेकर भारतीय मुस्लिमों को बदनाम कर रहे हैं। ऐसा कर के वो हिन्दुओं के बीच एक असुरक्षा की भावना पैदा कर रहे हैं। साथ ही राष्ट्र के असल मुद्दों से ध्यान भटका कर चुनाव जीतने के लिए साम्प्रदायिक घृणा के माहौल के निर्माण में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।”
Taliban,Afghanistan,Pakistan,ISI,ISIS,Al Qaida etc being used by communal forces through Indian media,social media,to demonise Indian Muslims,manufacture a sense of insecurity among Hindus,create communal hatered to divert attention of Nation from core issues and to win elections https://t.co/qQoJyPdHtK
— Shafqat Watali (@shafqatwatali) August 27, 2021
एक अन्य ट्वीट में भी उन्होंने तालिबान के अलावा सब को दोष दे दिया, लेकिन तालिबान के विरोध में एक शब्द भी नहीं कहा। उन्होंने अफगानिस्तान के पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह से पूछा कि अमेरिका द्वारा प्रशिक्षित किए गए अफगानिस्तान के 3 लाख सैनिकों का क्या हुआ? साथ ही उन्होंने ये भी पूछा कि राष्ट्रपति अशरफ गनी कहाँ हैं? उन्होंने अफगान नेताओं व अमेरिका को ‘निर्दोष नागरिकों के कत्लेआम’ के लिए जिम्मेदार ठहराया।
इसी तरह वामपंथी पार्टी CPI(M) ने भी बयान जारी किया था कि अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के कब्जे का इस्तेमाल भाजपा इस्लामोफोबिया फ़ैलाने के लिए किया जा रहा है। उसने ‘हिंदुत्व ताकतों’ की भी आलोचना की थी। उसने मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा बढ़ने का दावा करते हुए कहा था कि ‘कुछ मौलानाओं द्वारा तालिबान के समर्थन’ में दिए गए बयानों का इस्तेमाल कर के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे नेता बयान दे रहे हैं।
जहाँ तक वटाली की बात है, वो राजनीति में आने से पहले IGP के पद पर तैनात थे। हाल ही में जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने भी केंद्र सरकार को अफगानिस्तान जैसा हाल करने की धमकी दी थी। उन्होंने कहा था, “अमेरिका को देखो, अफगानिस्तान से बोरिया-बिस्तर बाँध कर भागने पर मजबूर हो गया। इसलिए, हम कश्मीरियों की परीक्षा मत लो।” महबूबा का कहना था कि कश्मीरी बड़े बहादुर औऱ सहनशील हैं, लेकिन उनके सहनशीलता का बाँध टूटा तो सरकार हार जाएगी।