अरूण जेटली इन दिनों इलाज के लिए अमेरिका गए हुए हैं। अमेरिका में गंभीर बीमारी के ईलाज के दौरान भी जेटली राजनीतिक रूप से बेहद सक्रिय हैं। अमेरिका से ही अरूण जेटली ने विपक्ष पर ब्लॉग वार किया है। अपने ब्लॉग में जेटली ने लिखा, “सकारात्मक मानसिकता वाले लोगों से ही कोई राष्ट्र आगे बढ़ता है। बात-बात पर विरोध करने वालों से कोई राष्ट्र आगे नहीं बढ़ता है।”
इसके आलावा अपने ब्लॉग में किसी का नाम लिए बगैर जेटली ने लिखा है कि देश के पॉलिटिकल सिस्टम में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनको लगता है, वो पैदा ही देश में राज करने के लिए हुए हैं।
अपने ब्लॉग के ज़रिए जेटली ने विरोधी मानसिकता वाले लोगों पर लोकतंत्र को बर्बाद करने का आरोप भी लगाया। अरूण जेटली ने भले ही अपने ब्लॉग में राहुल गाँधी या कॉन्ग्रेस पार्टी का नाम नहीं लिखा हो, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से जेटली ने अपने ब्लॉग के ज़रिए विपक्ष पर ही हमला किया है।
यहीं नहीं इस ब्लॉग के ज़रिए जेटली ने लेफ़्ट या अल्ट्रा लेफ़्ट विचारधारा से प्रभावित लोगों के बारे में लिखा कि यह लोग भाजपा सरकार के किसी अच्छे काम को भी स्वीकारना नहीं चाहते हैं। इसी तरह कुछ लोगों का समूह है जो सिर्फ सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार करने में लगे हुए हैं।
जब संसद में जेटली ने विपक्ष को दिया करारा जवाब
पिछले दिनों संसद की कार्यवाही के दौरान देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली पूरी रौ में दिखे थे। राफेल मुद्दे पर चर्चा के दौरान उन्होंने राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस के हर एक आरोपों और सवालों का जवाब तो दिया ही था, साथ ही विपक्षी पार्टी पर करारा हमला बोला था।
राफेल सौदे में विमानों की खरीद से लेकर ऑफ़सेट पार्टनर चुनने और जेपीसी की माँग तक, जेटली ने हर एक मुद्दे पर कई बातों को स्पष्ट किया और साथ ही कॉन्ग्रेस पर पलटवार भी करते रहे। पूरी बहस के दौरान कॉन्ग्रेस के सांसद कागज़ के हवाई जहाज उड़ाते रहे जिस से लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन काफी नाराज़ दिखी थी।
जब कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी केंद्र सरकार पर आरोपों की झड़ी लगा रहे थे तब श्रीमती महाजन ने उन्हें टोकते हुए अनिल अम्बानी का नाम न लेने की सलाह दी और कहा कि जो सदन में नहीं हैं उनका नाम न लें।
कॉन्ग्रेस द्वारा राफेल की जांच के लिए जेपीसी के गठन की मांग को ठुकराते हुए जेटली ने कहा था:
“कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें स्वभाविक रूप से सच्चाई नापसंद होती है। उन्हें सिर्फ पैसे का गणित समझ में आता है, देश की सुरक्षा का नहीं। जेपीसी में संयुक्त संसदीय समिति नहीं हो सकती है, यह नीतिगत विषय नहीं है। यह मामला सौदे के सही होने के संबंध में है। उच्चतम न्यायलय में यह सही साबित हुआ है।”