उत्तराखंड में अवैध तरीके से जमीन बेचे जाने का एक और मामला सामने आया है। आरोप है कि 22-23 सितंबर को एक समुदाय विशेष के लोगों ने SC/ST समुदाय के लोगों से एक बड़ी जमीन की टुकड़ी (23,760 स्कवायर फ़ीट) खरीदी है। लेकिन, राज्य के कानून के हिसाब से कलक्टर की अनुमति के बिना ये संभव नहीं है। ऑपइंडिया ने इस सम्बन्ध में भाजपा नेता अजयेन्द्र अजय से बात की, जिन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष इस मुद्दे को उठाया है।
ये भी पता चला है कि इस मामले में एक उच्च-स्तरीय जाँच के आदेश भी दे दिए गए हैं। ये मामला नैनीताल के सरना गाँव का है, जहाँ दलितों से उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ और संभल के मुस्लिमों ने बड़ी मात्रा में जमीन खरीदी है। अजयेंद्र अजय के अनुसार, दो दिनों में कुल 13 रजिस्ट्री हुई। लेकिन, राज्य का कानून कहता है कि SC/ST समुदाय के लोगों की जमीन को कलक्टर के आदेश के बाद ही खरीदा-बेचा जा सकता है।
अजयेन्द्र अजय ने बताया कि इस मामले में कुछ स्थानीय लोगों ने उनसे संपर्क किया था, जिन्होंने बताया कि बड़ी चालाकी से इस जमीन को कृषि योग्य से गैर-कृषि योग्य बना दिया गया है। उन्होंने बताया कि जमीन के मालिक, जो कि SC/ST हैं, उनसे जमीन की खरीद के लिए धमकी और लालच का सहारा लिया गया। यहाँ तक कि जमीन मालिकों की पत्नियों ने भी इस मामले में आपत्ति जताते हुए शिकायत दर्ज कराई है।
उन्होंने बताया कि इस जमीन के बिकने से उनके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उस जमीन पर इन्होंने लोन भी ले रखा था। लोगों का कहना है कि जमीन पर कई पार्टनरों का मालिकाना हक था, लेकिन खरीदे जाने से पहले सबकी सहमति नहीं ली गई। उन पार्टनर्स ने भी आपत्ति जताते हुए कलक्टर के दफ्तर में शिकायत दायर की है। इसके अलावा अजयेन्द्र ने इस जमीन की खरीद के लिए दी गई रकम का भी मुद्दा उठाया।
उन्होंने बताया कि इस जमीन करार में बाजार वैल्यू को वास्तविक मूल्य से 10% कम कर के दिखाया गया है। इसके लिए पेमेंट भी कैश में किया गया था, इसीलिए संदेह पैदा होता है कि जमीन खरीदी किसने। इसके पीछे कुछ गुप्त लोग या संगठन हो सकते हैं। भाजपा नेता ने बताया कि स्थानीय लोग बाहर के लोगों के नाम रजिस्ट्री करने में सहज नहीं हैं और समुदाय विशेष के लोगों द्वारा बड़ी संख्या में जमीन खरीदे जाने से यहाँ की डेमोग्राफी पर असर पड़ सकता है।
स्थानीय लोग उत्तराखंड को ‘देवभूमि’ मानते हैं, जहाँ बड़ी संख्या में मंदिर और मठ हैं, ऐसे में मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा यहाँ बड़ी संख्या में जमीन खरीदना परेशानी का सबब बन सकता है। अजयेन्द्र अजय ने कहा, “उत्तराखंड दो देशों के साथ अपनी सीमाएँ साझा करता है, ऐसे में यहाँ इस तरह की करतूतों का बढ़ना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बड़ा मुद्दा बन सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आग्रह है कि वो जमीन कानूनों को और कड़ा बनाएँ।”
धारी तहसील के एसडीएम योगेश सिंह ने बताया कि जमीन बेचने वाली SC/ST समुदाय के लोगों की पत्नियों से शिकायत प्राप्त हुआ है। जाँच चल रही है और इन आपत्तियों को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में रखा जाएगा। इससे पहले टिहरी डैम की जमीन पर अवैध मस्जिद का मामला भी सामने आया था। 20 वर्षों से वहाँ खड़ी उस अवैध मस्जिद को विरोध के बाद हटा दिया गया। उत्तराखंड में ‘लैंड जिहाद’ को लेकर यहाँ के निवासी खासे चिंतित हैं।
बता दें कि नैनीताल के विभिन्न क्षेत्रों में मुस्लिमों का दखल बढ़ता ही जा रहा है। उच्च न्यायालय के अधिवक्ता नितिन कार्की ने इस डेमोग्राफिक बदलाव के संबंध में आगाह करते हुए कुछ दिनों पहले ही जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है। घोड़ा, टैक्सी, नौका संचालन, टूरिस्ट गाइडिंग, होटलों इत्यादि को लीज में लेने में मुस्लिम समुदाय का दखल बढ़ा है। इनमें से अधिकतर खास कर के रामपुर, दडिय़ाल, स्वार, मुरादाबाद, बिजनौर और सहारनपुर के रहने वाले हैं।