अक्षय कुमार की आगामी फिल्म ‘पृथ्वीराज’ रिलीज से पहले ही विवादों में फँस गई है। फिल्म को लेकर राजपूत और गुर्जर समाज में ठन गई है। राजस्थान के अजमेर में फिल्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है। असल में राजपूत और गुर्जर समाज, दोनों के संगठन उन्हें अपना बता रहे हैं। गुर्जर संगठनों का आरोप है कि फिल्म में सम्राट पृथ्वीराज चौहान को राजपूत समाज से बताया गया है, जो सही नहीं है। यही कारण है कि अजमेर के वैशाली में स्थित भगवान देवनारायण मंदिर में प्रदर्शन हुआ।
‘यश राज फिल्म्स’ की इस मूवी का निर्देशन चंद्रप्रकाश द्विवेदी कर रहे हैं, जो नब्बे के दशक में ‘चाणक्य’ का किरदार निभा कर घर-घर में लोकप्रिय हो गए थे। राजपूत संगठनों का कहना है कि ये साबित करने की कोई ज़रूरत नहीं है कि पृथ्वीराज चौहान राजपूत थे, क्योंकि यही वास्तविकता है। राजपूत नेता भँवर सिंह ने कहा कि असलियत को बदला नहीं जा सकता है। वहीं गुर्जर समाज ने अजमेर जिला प्रशासन के समक्ष याचिका दायर कर फिल्म की रिलीज को रोकने की माँग की है।
ज्ञापन में गुर्जर संगठनों की तरफ से माँग रखी गई है कि फिल्म को रिलीज होने से पहले उनके समाज के प्रतिनिधियों को दिखाया जाए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास भी इस सम्बन्ध में पत्र भेजा गया है। 2017 में ‘मिस वर्ल्ड’ प्रतियोगिता की विजेता रहीं मानुषी छिल्लर भी इस फिल्म से बॉलीवुड में कदम रख रही हैं। फिल्म में उन्होंने संयोगिता का किरदार निभाया है। वहीं संजय दत्त और सोनू सूद के अलावा 2007 में ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ से चर्चा बटोरने वाले मानव विज भी इस फिल्म में महत्वपूर्ण किरदारों में दिखेंगे।
फिल्म की रिलीज डेट 21 जनवरी, 2022 ही रखी गई थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के फिर सिर उठाने के कारण ये तय तारीख़ पर रिलीज नहीं हो पाएगी। शाहिद कपूर की ‘जर्सी’ से लेकर बड़े बजट की एसएस राजामौली की ‘RRR’ तक, कई फिल्मों ने अपनी रिलीज टाल दी है। ‘श्री राजपूत करणी सेना’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजेंद्र सिंह शक्तावत का कहना है कि प्राचीन काल में गोचर हुआ करते थे, जो बार में गुज्जर और फिर गुर्जर बन गए। उन्होंने गुर्जर शब्द को जाति नहीं, स्थान सूचक बताया। राजपूत संगठनों का कहना है कि फिल्म का नाम ‘पृथ्वीराज’ सम्मानसूचक नहीं है, इसे ‘पृथ्वीराज चौहान’ होना चाहिए।
‘पृथ्वीराज’ मूवी में गुर्जर सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जीवन गाथा को दिखाना होगा..मूवी ‘पृथ्वीराज’ विजय महाकाव्य के आधार पर बने..न कि मनगढ़ंत काल्पनिक महाकाव्य पृथ्वीराज रासो पर..
— HIMMAT SINGH GURJAR -हिम्मत सिंह गुर्जर (@himmatsinghgur1) December 27, 2021
..@yrf नहीं तो विरोध पुरे देश में होगा..@akshaykumar @duttsanjay @SonuSood @yrf pic.twitter.com/ytltYd8XUC
वहीं गुर्जर नेता हिम्मत सिंह ने ‘पृथ्वीराज रासो’ महाकाव्य को पूरी तरह काल्पनिक बताते हुए कहा कि चंदबरदाई ने इसे 16वीं शताब्दी में मिश्रित स्थानीय भाषाओं में लिखा था, पृथ्वीराज चौहान के निधन के कई वर्षों बाद। उन्होंने कहा कि कवि ने प्रिंगल भाषा का उपयोग किया है, जबकि पृथ्वीराज चौहान के समय संस्कृत का इस्तेमाल होता था। हिम्मत सिंह ने 13वीं शताब्दी से पहले राजपूतों के अस्तित्व को नकारते हुए कहा कि पृथ्वीराज चौहार के पिता सोमेश्वर गुर्जर जाति से ताल्लुक रखते थे, इसीलिए वो भी गुर्जर हुए। इससे पहले सम्राट मिहिर भोज को लेकर भी ऐसा ही विवाद सामने आया था।