नन से दुष्कर्म के मामले में केरल के रोमन कैथोलिक चर्च के बिशप फ्रेंको मुलक्कल (Roman Catholic Bishop Franco Mulakkal) को कोर्ट ने शुक्रवार (14 जनवरी 2022) को बरी कर दिया। इसके पीछे कोर्ट ने पीड़िता के बयानों में समानता का नहीं होना और आरोपित पर दोष को साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष द्वारा पर्याप्त सबूत नहीं उपलब्ध करने जैसे कई कारणों का हवाला दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जी गोपाकुमार द्वारा सुनाए गए 289 पन्नों के फैसले के अधिकांश विवरण बाद में सामने आए।
अपने फैसले में अदालत ने कहा कि पीड़िता का दावा है कि 13 मौके पर उसके साथ बलात्कार किया गया और सिर्फ उसके बयान के आधार पर इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। हालाँकि, कोर्ट ने माना कि मेडिकल जाँच में पीड़िता का हाइमन फटा हुआ पाया गया, लेकिन बचाव पक्ष का कहना है कि पीड़िता ने अपने पति के साथ यौन क्रियाओं में शामिल थी और इसकी शिकायत उसके चचेेरे भाई ने की थी। कोर्ट ने कहा कि केवल इस तथ्य से कि पीड़ित का हाइमन फटा हुआ पाया गया, लिंग प्रवेश या जबरदस्ती यौन शोषण नहीं कहा जा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के बयानों में समरूपता नहीं है। पीड़िता ने अपनी साथी सिस्टर्स को बताया था कि आरोपित मुलक्कल अपनी यौन इच्छाओं को दबाने में असमर्थ रहने के कारण ऐसा कर रहा था, जबकि अदालत में उसने कहा कि आरोपित ने 13 मौकों पर यौन संबंध बनाने के लिए उसे मजबूर किया, जिसमें पहली बार उसके जननांग में उँगली करना भी शामिल है। इन अलग-अलग बयानों को लेकर अभियोजन पक्ष उचित स्पष्टीकरण देने में विफल रहा है।
पीड़िता ने डॉक्टर को बताया था कि उसने कभी यौन संबंध नहीं बनाया है और इस बयान के आधार पर अदालत ने विभिन्न निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि पीड़िता के बयानों में समानता की कमी को देखते हुए उसे स्टर्लिंग विटनेस की श्रेणी में नहीं रखा और उसकी गवाही को पूर्ण विश्वसनीय नहीं माना। इस आधार पर कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष के आरोप को साबित करने के लिए ठोस सबूत नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, “अनाज को भूसी से अलग करना असंभव है। पीड़िता के बयान में अतिशयोक्ति है और उसने तथ्यों को छिपाने का हर संभव प्रयास किया।” अदालत ने कहा कि पीड़िता अन्य लोगों के प्रभाव में थी, जिनके इस मामले में अपने स्वार्थ निहित थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि ननों की आपसी प्रतिद्वंद्विता और लड़ाई की वजह पद और पावर को लेकर है और पीड़िता और उसकी सहायक ननों द्वारा रखी गई माँगें यदि चर्च स्वीकार कर लेता तो वे इस मामले को निपटाने के लिए तैयार थीं।
अदालत का फैसला सुनने के बाद बिशप मुलक्कल बार-बार अपने समर्थकों और वकीलों को गले लगा रहे थे, वहीं पीड़िता के पक्ष में खड़ा कुराविलांगड कॉन्वेट की नन का समूह अदालत के इस फैसले से हैरान थीं। इस लड़ाई का चेहरा रही सिस्टर अनुपमा ने कहा कि वे इस लड़ाई को जारी रखेंगी और इस फैसले को वह उच्च न्यायालय में चुनौती देेंगी।
बता दें कि मुलक्कल पहले भारतीय बिशप हैं, जिन्हें बलात्कार के मामले में गिरफ्तार किया गया थे। उन पर लगे रेप के आरोप में मामले में 83 गवाह, 30 से अधिक सबूत और 2,000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई थी।
बिशप आरोप था कि उसने 2014 और 2016 के बीच अपने कॉन्वेंट में एक नन के साथ 13 बार बलात्कार किया किया। उन पर नन को गलत तरीके से कैद करने, बलात्कार, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और आपराधिक धमकी देने का आरोप था। बिशप पर पैसा और राजनैतिक संपर्कों की वजह से बचे रहने का भी आरोप लग चुका है।