एक नए वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि पृथ्वी एक ‘जीवित वस्तु’ है। रिसर्च के बाद एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट ने पाया है कि जिस धरती पर हमलोग रहते हैं, वो न सिर्फ जीवित है बल्कि उसके पास अपनी बुद्धि भी है। वैज्ञानिकों ने इसे ‘प्लानटेरी इंटेलिजेंस’ नाम दिया है। जिसमें किसी भी ग्रह के पास सामूहिक ज्ञान से लेकर जानने-समझने की क्षमता की बात भी की गई है। इस रिसर्च को ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एस्ट्रोबायोलॉजी’ में प्रकाशित किया गया है। बता दें कि वेदों में ही पृथ्वी को जीवित मानते हुए इसे ‘भूदेवी’ कहा गया है। अर्थववेद में लिखा है कि पृथ्वी सिर्फ एक वस्तु नहीं, बल्कि जीवित प्राणी है।
इस रिसर्च पेपर में वैज्ञानिकों ने कहा है कि ऐसे कई सबूत मिले हैं जो बताते हैं कि पृथ्वी पर फंगी का अंडरग्राउंड नेटवर्क मौजूद है। ये आपस में लगातार ‘बातचीत’ करते रहते हैं। इससे रेखांकित किया गया है कि धरती के पास अपनी ‘अदृश्य बुद्धिमत्ता’ मौजूद है। इस पेपर को तैयार करने वाले ‘यूनिवर्सिटी ऑफ रोचस्टर’ के एडम फ्रैंक ने बताया कि हम सामुदायिक रूप से ग्रह के इंट्रेस्ट्स में उन्हें प्रतिक्रिया नहीं दे सकते। उनका इशारा उन मानवीय गतिविधियों की तरफ था, जिससे पृथ्वी पर असर पड़ रहा है।
धरती में ये बदलाव मानवीय गतिविधियों की वजह से पर्यावरण, प्रदूषण और संसाधनों के दोहन में आ रहे हैं। रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी की बुद्धि और ज्ञान को समझ कर हमें इसका भान होगा कि हम इसके साथ कैसा व्यवहार करें और इसकी मदद करने के साथ-साथ संसाधनों का उपयोग किस तरह से करें। उनका मानना है कि इससे मानवों को एलियंस की खोज में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि सच्ची ‘प्लानटोरी इंटेलिजेंस’ तभी देखने को मिलेगा, जब तकनीक के उच्च-स्तर पर पहुँची सभ्यता एक-दूसरे की हत्या नहीं करेगी।
Thousands of Years ago Atharva Veda said "Earth is not just an entity but a living being"
— Kashmiri Pandit कश्मीरी पण्डित (@KashmiriPandit7) June 5, 2020
"Bhūmisūkta (12.1)says; माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः
"Earth is mother & I am the child"
& after causing irreparable damage Western World now wants to celebrate #EnvironmentDay pic.twitter.com/vE5N61x6tW
रिसर्च के लेखकों का मानना है कि इस अध्ययन से क्लाइमेट चेंज से निपटने के तौर-तरीकों के साथ-साथ दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावनाएँ तलाशने में भी मदद मिलेगी। ऐसे ग्रह, जहाँ ‘जीवन’ और ‘बुद्धिमत्ता’ का विकास हो सके। ‘ग्रहीय बुद्धिमत्ता’ के कॉन्सेप्ट पर विचार करें तो पृथ्वी के पास तर्क-वितर्क की क्षमता के साथ-साथ फंगस के माध्यम से सूचनाओं के आदान-प्रदान की योग्यता भी है। ये ऐसा ही है, जैसे पेड़-पौधे फोटोसिंथेसिस के माध्यम से खुद को ज़िंदा रखते हैं।