कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के दामाद व पार्टी की महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा के पति कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा के ऊपर आयकर विभाग ने आरोप लगाया है कि वाड्रा ने राजस्थान में बेनामी लेन-देन से अपनी कमाई को 11 वर्षों से 106 करोड़ रुपए कम बताया। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के अनुसार, अब इस राशि को निर्धारित वर्ष 2010-11 से 2020-21 के दौरान उनकी आय में जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है।
EXCLUSIVE: Robert Vadra under-reported income by Rs 106 crore over 11 years, alleges Income Tax Department https://t.co/P0dk3EeU0f via @IndianExpress
— Ritika Chopra (@RitikaChopra__) March 9, 2022
इसके अलावा, आयकर विभाग ने वाड्रा की सात कंपनियों की आय में भी लगभग 9 करोड़ रुपए जोड़ने का प्रस्ताव रखा है, जो कि मूल्यांकन वर्ष 2010-11 से 2015-16 के बीच का है। इन सातों कंपनियों के नाम- मैसर्स आर्टेक्स, स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी, स्काईलाइट रियल्टी, ब्लूब्रीज ट्रेडिंग, लैंबोदर आर्ट्स, नॉर्थ भारत आईटी पार्क और रियल अर्थ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कम आय से संबंधी जानकारी का मामला वाड्रा के ख़िलाफ़ राजस्थान में भूमि सौदों में कथित चोरी से जुड़ा है जो बेनामी लेन-देन (निषेध) अधिनियम के तहत आता है। विभाग ने इस संबंध में दिसंबर 2021 में भी प्रवर्तन को अपने निष्कर्षों से अवगत कराया था, जिसमें ये 106 करोड़ की आय और उनकी सात कंपनियों की 9 करोड़ रुपए की कम आय के बारे में जानकारी थी।
इस संबंध में वाड्रा से संपर्क करने पर उन्होंने कहा, “इसकी वही वजह है जो पिछले कई सालों में रही…मेरा नाम सामने लाने का उनके लिए ये सही समय है। ये स्पष्ट तौर पर दुर्भावनापूर्ण बदला है। मेरी कानूनी टीम इस बारे में आप लोगों को स्पष्ट जवाब दे पाएगी।”
उल्लेखनीय है कि 106 करोड़ रुपए की आय का लगभग आधा अमाउंट जो विभाग का दावा है कि वाड्रा ने छुपाया, कथित तौर पर सिर्फ दो साल में कमाया गया था। वाड्रा ने 2013-14 वर्ष में 20 करोड़ रुपए और 2019-20 में 28 करोड़ रुपए की जानकारी छिपाई। अब इस मामले में सूत्रों का कहना है कि वाड्रा और उनकी कंपनियों के पास आय की कथित तौर पर कम जानकारी देने पर आयकर विभाग की जाँच पड़ताल को चैलेंज करने का मौका होगा।
बता दें कि आईटी अधिनियम 1961 की धारा 270 ए के तहत, आयकर चोरी पर या आय की कम जानकारी देने के लिए देय कर पर 50 प्रतिशत का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा यदि गलत जानकारी देने के कारण कम आय की जानकारी का खुलासा होता है तो जुर्माना देय कर का 200 फीसद भी हो सकता है।