Friday, May 3, 2024
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हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान… और दर्ज हो गया देशद्रोह का केस: राणा दंपति के खिलाफ सरकारी वकील भी नहीं दिखा सके सबूत

राणा दंपति पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का इल्जाम मढ़ते हुए उनकी गिरफ्तारी हुई और इस केस की एफआईआर सामने आने के बाद पता चला कि राणा दंपति के ऊपर धारा 124-ए के तहत कार्रवाई की गई है, जो कि देशद्रोह की धारा है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास ‘मातोश्री’ के बाहर हनुमान चालीसा के पाठ का ऐलान करने वाली सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा के ऊपर देशद्रोह का केस दर्ज हुआ है। इससे पहले उन्हें हनुमान चालीसा ऐलान के बाद गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया गया था, जहाँ उन्हें 6 मई तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया। उनके मामले पर अगली सुनवाई कोर्ट में 29 अप्रैल को की जाएगी।

राणा दंपति पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का इल्जाम मढ़ते हुए उनकी गिरफ्तारी हुई और इस केस की एफआईआर सामने आने के बाद पता चला कि राणा दंपति के ऊपर धारा 124-ए के तहत कार्रवाई की गई है, जो कि देशद्रोह की धारा है। इसके अलावा अधिकारियों ने बताया कि दोनों के ऊपर आईपीसी की धाराओं 153 (ए) और 353 तथा मुंबई पुलिस अधिनियम (पुलिस की निषेधाज्ञा उल्लंघन) की धारा 135 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।

सांसद नवनीत राणा के वकील रिजवान मर्चेंट ने इस बाबत मीडिया को जानकारी दी और बताया कि कैसे पब्लिक प्रॉजिक्यूटर प्रदीप घरात ने इस बात पर बहस की कि मामला देशद्रोह की धारा 124ए के तहत आता है। रिजवान मर्चेंट का दावा है कि उन लोगों ने सरकारी वकील से रिमांड आवेदन में से वह हिस्सा दिखाने को कहा था जिससे राणा दंपति पर लगे आरोप साबित हों, लेकिन सबूत दिखाने में वह पूरी तरह असफल रहे।

रिजवान मर्चेंट ने बताया कि रिमांड आवेदन पर सिर्फ यही बात लिखी है कि वो लोग हनुमान चालीसा पढ़ने के लिहाज से मातोश्री पर आने की तैयारी कर रहे थे। राणा दंपति के वकील ने कहा, “हनुमान चालीसा और कुछ नहीं, बल्कि भगवान श्रीराम और हनुमान का गुणगान है। उन्होंने कहा कि जिस जगह पर हनुमान चालीसा पढ़ी जानी थी, वह जगह उस शख्स का आवास है जो दावा करते हैं कि उन्हें भगवान राम से प्रेम है, तो हनुमान चालीसा का पाठ किया जाना, उन पर कोई फर्क नहीं डालना चाहिए। राणा दंपति के वकील रिजवान ने कहा, “हनुमान चालीसा का पाठ करना धारा 153 ए के तहत नहीं आता। ये मामला फर्जी है। उन्हें (सरकारी वकील को) मालूम है कि उनके तर्क कितने कमजोर हैं। उन्हें मालूम है कि मामले में बेल मिल सकती है इसलिए उन्होंने दूसरी एफआईआर का मन बनाया है।” बता दें कि इससे पहले रिजवान मर्चेट ने इस पूरे मामले में अवैध करार देते हुए कहा था कि वह जल्द ही बेल के लिए याचिका डालेंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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