राजस्थान के करौली में 2 अप्रैल 2022 (शनिवार) को हिन्दू नववर्ष पर निकली शोभायात्रा के दौरान हिंसा हुई थी। मुस्लिम भीड़ के हमले में शोभायात्रा में शामिल हिन्दू कार्यकर्ताओं के साथ हिंसा को काबू कर रहे पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। पुलिस ने अपनी FIR दोनों पक्षों को आरोपित किया था। कुछ लोग जेल काट कर निकल चुके हैं जबकि अभी कई लोग फरार हैं। ऑपइंडिया ने 10 जून, 2022 (शनिवार) को इस घटना में नामजद किए गए वैभव पाल से अभी के हालात की जानकारी ली।
प्रशासन साथ था तो हम निश्चिन्त थे
वैभव पाल ने ऑपइंडिया को बताया, “हमने शोभायात्रा की सभी कानूनी औपचारिकताएँ पूरी की थीं। इसी वजह से प्रशासन हमारे साथ था और हम निश्चिंत थे। जो हुआ उसका तो अनुमान भी नहीं था हमें। जहाँ घटना हुई थी वो जगह मुख्य मार्ग है और मंदिर जाने का रास्ता था। कोई मुस्लिम बहुल आबादी नहीं थी वहाँ। घटना स्थल से लगभग 100 मीटर दूरी से मुस्लिमों के घर शुरू होते हैं। हमला मुख्य मार्ग से हुआ था जिसमें हमलावर औरतें और बच्चे भी शामिल थे।”
हिन्दू हमलावर नहीं बल्कि पीड़ित
बकौल वैभव पाल, “हिन्दुओं की तरफ से हम तो हमला हुआ और न ही हिंसा। हम तो पीड़ित हैं। हमारे लगभग 70 लोग घायल हुए और हमारे वाहनों को भी तोड़ा गया। इसके बाद हम लोगों पर ही केस दर्ज कर दिया गया। अब कई दर्जन हिन्दू पुलिस के डर से घरों से फरार चल रहे हैं। न सिर्फ कई नामजद हिन्दू भागे हुए हैं बल्कि कई अन्य लोग भी सहमें हैं क्योकि पुलिस की FIR में कई आरोपित अज्ञात में भी हैं। मैं इस केस में नामजद हूँ और तब से अपने घर नहीं जा पाया हूँ। हालाँकि पुलिस हमारे परिवार से कोई अभद्रता नहीं कर रही है। शायद उन्हें भी पता है कि हम बेगुनाह हैं। लेकिन कॉन्ग्रेस सरकार न जाने क्या करवा रही है।”
अब खतरे से बाहर है अमित शर्मा की हालत
वैभव पाल ने आगे बताया, “हमले में सबसे ज्यादा अमित शर्मा घायल हुए थे। उन्हें छत से एक बड़ा पत्थर फेंक कर मारा गया था जो कई वीडियो में भी दिखा है। उनकी हालत गंभीर थी इसलिए उन्हें जयपुर भेज दिया गया था। फ़िलहाल अब वो ठीक हैं और उनकी हालत खतरे से बाहर है। इसी के साथ हमारे साथ एक संघ कार्यकर्ता को भी चाकू मार दी गई थी जिनकी हालत अब ठीक है। कई अन्य को भी पत्थर लगे थे लेकिन वो स्थानीय स्तर पर ही इलाज से ठीक हो गए थे।”
घटना के बाद मुस्लिमों ने हिन्दू युवाओं पर चुन-चुन कर दर्ज करवाए केस
वैभव ने बताया, “जिस दिन हिंसा हुई उस दिन पुलिस ने FIR दर्ज कर के दोनों पक्षों के दर्जनों लोगों को नामजद किया। लेकिन उसके लगभग 8 से 10 दिन बीत जाने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने चुन-चुन कर अलग-अलग घटनाओं में कई हिन्दू लड़कों पर FIR दर्ज करवाई। ये FIR अलग-अलग दिनों में लगातार दर्ज हुईं जिनकी संख्या लगभग 80 है। लगभग 60 से 70 हिन्दू युवक इन केसों में नामजद कर दिए गए जिसमें से अधिकतर फिलहाल इधर-उधर छिप और भटक रहे हैं। ये वो हिन्दू युवक हैं जो पुलिस द्वारा दर्ज FIR में नहीं आ पाये थे। इसका मकसद सिर्फ हिन्दुओं की प्रताड़ना है। इसमें कार्रवाई भी एकतरफा हो रही है।” वैभव ने ऑपइंडिया के पास दर्जनों FIR की कॉपी भी भेजी।
पुलिस FIR में दर्ज लगभग कई हिन्दुओं की गिरफ्तारी हुई
वैभव ने आगे कहा, “घटना के दिन पुलिस द्वारा दर्ज करवाई गई FIR में नामजद 1 या 3 को छोड़ कर लगभग सभी लोग गिरफ्तार कर लिए गए हैं। उनमें से कईयों की जमानत भी हो चुकी है। घटना के दिन अपने काम से भी कहीं जा रहे व्यक्ति को पकड़ कर FIR में नामजद किया गया। कार्रवाई एकतरफा हो रही है। FIR में नामजद किए जा रहे अधिकतर 20 से 22 साल की उम्र के हैं। जबकि पुलिस ने अपनी ही FIR में लिखा है कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से हो रहा था। फिर हमको दोषी क्यों बना दिया गया ये अब तक नहीं जान पाया।”
हिंदुत्व और धर्म का काम करने वाले निशाने पर
वैभव ने कहा, “FIR करवाते समय उन सभी पर नजर रखी गई जो हिंदुत्व का काम करते थे। यहाँ तक कि धार्मिक आस्था रखने वाले और पूजा-पाठ करने वालों को भी जान बूझ कर निशाने पर लिया गया। 30-40 लोग ऐसे भी हैं जिन्हें धारा-151 में पकड़ा गया। हिन्दू सेना के साहिब गुर्जर और राजाराम गुर्जर को पुलिस ने हिंसा का मुख्य आरोपित बनाया है। मुस्लिम पक्ष को कॉन्ग्रेस पार्टी के विधायक लाखन सिंह मीणा ने पूरा सपोर्ट किया।”
मुख्य आरोपित मतलूब फरार जबकि उसके करीबी अस्पताल में कम्पाऊंडर
वैभव ने आगे कहा, “अब तक मतलूब नहीं पकड़ा गया। इलाके में चर्चा है कि मुख्य आरोपित कॉन्ग्रेस नेता मतलूब के करीबी मुश्ताक अहमद ने RSS कार्यकर्ता विपिन को चाकू मारी थी। मुश्ताक अहमद यहीं करौली के ही एक सरकारी अस्पताल में कम्पाउंडर है। उस पर पुलिस एक्शन लेगी या नहीं ये नहीं पता पर मुश्ताक अभी भी अस्पताल में दवाएँ बाँटने के काऊँटर पर काम करते हुए बताया जा रहा। करौली में इस बात की भी चर्चा है कि मुख्य आरोपित मतलूब को भागने में कॉन्ग्रेस विधायक ने मदद की थी। मुस्लिमों की तरफ से जेल भेजे गए तमाम लोग जमानत पा चुके हैं।”
फँसाए गए तमाम लोग छात्र इसलिए उनकी आर्थिक स्थिति खराब
वैभव के मुताबिक, “केसों में फँसाए गए अधिकतर लड़के युवा और छात्र जीवन वाले हैं। उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हैं। उनके पास पैरवी के पैसे नहीं हैं। उनकी पढ़ाई लिखाई भी खराब हो रही है। हम लोगों की तरफ से कोई भी बोलने वाला नहीं है। हिन्दुओं में बहुत ऐसे परिवार हैं जिनके घर की हालत बहुत खराब है और वो जमानत आदि में सक्षम नहीं हैं। जबकि दूसरे पक्ष की तरफ से सीधे सरकार ही काम पर लगी हुई है। उनका साथ कॉन्ग्रेस विधायक ही दे रहा है।”