Friday, October 18, 2024
Homeफ़ैक्ट चेकमीडिया फ़ैक्ट चेकफैक्ट-चेक: कुत्ते-गाय में नवभारत टाइम्स के पत्रकार ने लगाया हिन्दू-मुस्लिम 'एंगल'

फैक्ट-चेक: कुत्ते-गाय में नवभारत टाइम्स के पत्रकार ने लगाया हिन्दू-मुस्लिम ‘एंगल’

मिश्रा जी जैसे बड़े पत्रकारों से सत्य और तथ्य की लकीर बड़ी करने की उम्मीद की जाती है, न कि फ़ेक न्यूज़ के दौर में सिकुड़ रही लकीर को और छोटा करते जाने की। बेहतर होगा यह काम मिश्रा जी हिटलर का लिंग नापने वालों के लिए छोड़ दें।

“कुत्ते ने गाय को काटा, मालिकों में हुआ बवाल” ऑपइंडिया जैसे राष्ट्रीय स्तर पर जाने जाने वाले पोर्टल के कवर करने लायक खबर नहीं है। और यह बात हम किसी दर्प में नहीं, अपनी पत्रकारिक जिम्मेदारी में कह रहे हैं- जिम्मेदारी उन लाखों पाठकों की जो अपना समय हमारे पोर्टल को देते हैं, हमारे साथ आर्थिक सहयोग करते हैं और हमारी खबरें अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर करते हैं।

हमने कलम देश में एक गलत लेकिन प्रचलित नैरेटिव का काउंटर-नैरेटिव बनने के लिए उठाई है। लेकिन आज हमें ऐसी ‘छोटी’ खबर इसलिए कवर करनी पड़ रही है, क्योंकि यह दिखाना ज़रूरी है कि जिस नैरेटिव को काउंटर करने के लिए हम लड़ रहे हैं, वह कितने सूक्ष्म स्तर तक पैबश्त है। कितनी गहरी उसकी जड़ें हैं और कैसे वह छोटी-से-छोटी घटना पर अपना ‘एंगल’ लगाने में नहीं हिचकिचाता।

पटना के एक मोहल्ले बाकरगंज में एक व्यक्ति के कुत्ते ने दूसरे पड़ोसी की गाय को काट लिया तो दोनों में बवाल हो गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन सामान्य बात है। हमारे देश में तो “तेरे पेड़ की छाया मेरे कपड़े नहीं सूखने दे रही” पर हिंसक बवाल होते हैं, लोग ₹20 के विवाद पर ₹60-70 की गोली चलाकर हत्या कर देते हैं। और इसीलिए पुलिस का भी त्वरित पहुँचना कोई ‘बड़ी खबर’ नहीं है।

बड़ी खबर है नवभारत टाइम्स जैसे बड़े समाचार पत्र, जिसकी खबरों का संदर्भ अक्सर ऑपइंडिया भी लेता है, के पत्रकार का इसे ‘मुस्लिम कुत्ते ने हिन्दू के गाय को काटा’ जैसा वाहियात एंगल देना। ट्विटर पर नवभारत टाइम्स के पत्रकार नरेंद्र नाथ मिश्रा ने यही किया। बिना किसी सबूत के उन्होंने यह अफ़वाह उड़ाई कि हिन्दू “मुस्लिम के कुत्ते” की अफ़वाह सुनकर बवाल काटने लगे और बाद में कुत्ते का मालिक हिन्दू निकलने पर शांत हो गए। जिस दैनिक भास्कर की खबर को उन्होंने अपने ट्वीट के साथ लिंक किया है, उसमें ऐसा कुछ नहीं है। विरोध होने पर भी उन्होंने न अपने एंगल के पक्ष में कोई सबूत पेश किया और न ही अपनी गलती मानी।

मिश्रा जी जैसे बड़े पत्रकारों से सत्य और तथ्य की लकीर बड़ी करने की उम्मीद की जाती है, न कि फ़ेक न्यूज़ के दौर में सिकुड़ रही लकीर को और छोटा करते जाने की। बेहतर होगा यह काम मिश्रा जी हिटलर का लिंग नापने वालों और जीजा-साली के प्रेम संबंधों से लेकर नाबालिगों की डॉक्सिंग और छह महीने की बच्ची की स्टॉकिंग का शगल रखने वालों के लिए छोड़ दें। आप ‘गंभीर’ पत्रकार हैं, पत्रकारिता में गंभीरता दिखाएँ।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

हमास चीफ याह्या सिनवार को ढेर कर इजरायल ने गाजा में शांति का दिया खुला ऑफर, बोले नेतन्याहू- बंधकों को वापस करो, हथियार डालो,...

इजरायल में नरसंहार के मास्टरमाइंड याह्या सिनवार को ठिकाने लगाए पर नेतन्याहू ने कहा कि यह गाजा युद्ध का अंत नहीं बल्कि उसके अंत की शुरुआत है।

पत्नी सेक्स से करे इनकार, तो क्या पति के पास तलाक ही विकल्प: वैवाहिक बलात्कार पर सुप्रीम कोर्ट का सवाल, मैरिटल रेप को ‘अपराध’...

सुप्रीम कोर्ट ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की माँग करने वालों से पूछा कि यदि पति को सेक्स ना मिले तो क्या उसके पास तलाक ही विकल्प है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -