पाकिस्तान में बकरीद पर गाय को ज़बह करने से पहले उसे क्रेन से ऊँचाई से जमीन पर पटका जाता है, ताकि उसकी हड्डियाँ टूट जाएँ। सबसे बड़ी बात तो ये है कि मानवाधिकार से लेकर पशु अधिकार तक जैसी चीजों के लिए भारत और हिन्दुओं को लगातार कोसने वाले अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में से एक Reuters के लिए ये एक किस्म का ‘रीति-रिवाज’ है। इसमें उसे कोई क्रूरता नहीं दिखती, उलटा वो लोगों को ऐसे दिखा रहा है जैसे ये कोई खेल हो।
Reuters मजे लेकर इसका वीडियो दिखाते हुए पूछ रहा है कि क्या आपने कभी किसी गाय को इस तरह क्रेन से ले जाए जाते हुए देखा है? साथ ही उसने पाकिस्तान के कराची में हर साल होने वाली इस जघन्य वारदात का अलग-अलग एंगल से वीडियो भी शूट किया। इसके बाद वो सैयद एजाज अहमद से मिलवाता है, जो उसकी नजर में ‘पशुपालक’ है। फिर वो ईद उल-अज़हा के अवसर पर गाय को रस्सियों से जकड़ कर हत्या के लिए ले जाए जाते हुए दिखाता है।
सबसे बड़ी बात तो ये कि वो गोहत्या को पशु क्रूरता नहीं, बल्कि ‘मांस के लिए कुर्बानी’ कह कर सम्बोधित करता है। जमीन से 40 फीट ऊपर कैसे एक निरीह पशु को क्रेन से उठा लिया जाता है, ये देख कर किसी का भी दिल दहल जाए। इसके बाद Reuters दिखाता है कि कैसे लोग वहाँ पर खड़े होकर इस ‘तमाशे’ को देखते हैं। सैयद एजाज अहमद का कहना है कि जब जानवर छोटे होते हैं तो वो सीढ़ियों से उन्हें ऊपर ले जाता है, लेकिन वो बड़े हो जाते हैं तो ऐसा करना असंभव हो जाता है।
वो बताता है कि छत पर ‘पालने वाले’ जानवरों को इसीलिए वो क्रेन से नीचे लेकर आता है। Reuters की नज़र में एक व्यक्ति द्वारा हर साल की जाने वाली ये क्रूरता ‘प्रथा’ है, जो 18 वर्षों से चली आ रही है। सबसे बड़ी बात कि इसे देखने के लिए बड़ों के अलावा कई बच्चे भी आते हैं। उन लोगों का कहना है कि जानवरों को इस तरह क्रेन से जमीन पर पटका जाना खासा ‘आनंददायक’ है। हर साल लगभग 5-6 गायों की इसी तरह से हत्या कर दी जाती है।
लोग PETA से भी पूछ रहे हैं कि वो कहाँ सोया हुआ है, जो पशु अधिकार की रक्षा के नाम पर हिन्दुओं को गाली देता फिरता है। सबसे बड़ी बात कि रॉयटर्स इस क्रूरता को ‘Lifestyle’ की श्रेणी में दिखा रहा है। साथ ही एक खुशनुमा बैकग्राउंड संगीत भी वीडियो में बज रहा होता है। क्या Reuters और PETA जैसी संस्थाएँ हिन्दुओं को भला-बुरा कहने का कोई अधिकार रखती हैं? निरीह पशुओं की हत्या को मनोरंजन की तरह पेश करने वालों से और क्या उम्मीद।
The decision to promote this torture as ‘lifestyle’.
— Nivedita Tiwari (@TiwariNivedita) July 5, 2022
The choice of happy background music.
The knowledge that that ‘cattle’ is sacred to Hindus. @Reuters will pass this off as reportage, @peta will be conspicuously silent.
Hindumisia will remain unacknowledged. https://t.co/vu4ccHt4t5
2020 में भी कोरोना के बीच इस तरह का वीडियो पाकिस्तान से सामने आया था। तड़पती हुई गाय को क्रेन से गिरा कर चाकू से उसे मार डाला जाता है। प्रसिद्ध लेखक और इस्लाम पर कई पुस्तकें लिख चुके अंतरराष्ट्रीय लेखक तारिक फ़तेह ने इस वीडियो को ट्विटर पर शेयर करते हुए तब लिखा था कि पाकिस्तान के लोग गोहत्या कर के बकरीद मना रहे हैं और इससे अल्लाह को ख़ुश करना चाह रहे हैं। डॉक्टर वेदिका नामक ट्विटर यूजर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पूछा कि अगर अल्लाह को खुश करने के लिए ये किया जा रहा है तो फिर शैतान कैसे खुश होगा, ये सोचने वाली बात है।