Saturday, April 20, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयईद उल-अज़हा पर गाय को क्रेन से पटक कर ज़बह करना 'प्रथा'? हैप्पी म्यूजिक...

ईद उल-अज़हा पर गाय को क्रेन से पटक कर ज़बह करना ‘प्रथा’? हैप्पी म्यूजिक के साथ रॉयटर्स ने इसे बताया Lifestyle: लोगों ने PETA से पूछा – कहाँ हो?

सबसे बड़ी बात कि रॉयटर्स इस क्रूरता को 'Lifestyle' की श्रेणी में दिखा रहा है। साथ ही एक खुशनुमा बैकग्राउंड संगीत भी वीडियो में बज रहा होता है।

पाकिस्तान में बकरीद पर गाय को ज़बह करने से पहले उसे क्रेन से ऊँचाई से जमीन पर पटका जाता है, ताकि उसकी हड्डियाँ टूट जाएँ। सबसे बड़ी बात तो ये है कि मानवाधिकार से लेकर पशु अधिकार तक जैसी चीजों के लिए भारत और हिन्दुओं को लगातार कोसने वाले अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में से एक Reuters के लिए ये एक किस्म का ‘रीति-रिवाज’ है। इसमें उसे कोई क्रूरता नहीं दिखती, उलटा वो लोगों को ऐसे दिखा रहा है जैसे ये कोई खेल हो।

Reuters मजे लेकर इसका वीडियो दिखाते हुए पूछ रहा है कि क्या आपने कभी किसी गाय को इस तरह क्रेन से ले जाए जाते हुए देखा है? साथ ही उसने पाकिस्तान के कराची में हर साल होने वाली इस जघन्य वारदात का अलग-अलग एंगल से वीडियो भी शूट किया। इसके बाद वो सैयद एजाज अहमद से मिलवाता है, जो उसकी नजर में ‘पशुपालक’ है। फिर वो ईद उल-अज़हा के अवसर पर गाय को रस्सियों से जकड़ कर हत्या के लिए ले जाए जाते हुए दिखाता है।

सबसे बड़ी बात तो ये कि वो गोहत्या को पशु क्रूरता नहीं, बल्कि ‘मांस के लिए कुर्बानी’ कह कर सम्बोधित करता है। जमीन से 40 फीट ऊपर कैसे एक निरीह पशु को क्रेन से उठा लिया जाता है, ये देख कर किसी का भी दिल दहल जाए। इसके बाद Reuters दिखाता है कि कैसे लोग वहाँ पर खड़े होकर इस ‘तमाशे’ को देखते हैं। सैयद एजाज अहमद का कहना है कि जब जानवर छोटे होते हैं तो वो सीढ़ियों से उन्हें ऊपर ले जाता है, लेकिन वो बड़े हो जाते हैं तो ऐसा करना असंभव हो जाता है।

वो बताता है कि छत पर ‘पालने वाले’ जानवरों को इसीलिए वो क्रेन से नीचे लेकर आता है। Reuters की नज़र में एक व्यक्ति द्वारा हर साल की जाने वाली ये क्रूरता ‘प्रथा’ है, जो 18 वर्षों से चली आ रही है। सबसे बड़ी बात कि इसे देखने के लिए बड़ों के अलावा कई बच्चे भी आते हैं। उन लोगों का कहना है कि जानवरों को इस तरह क्रेन से जमीन पर पटका जाना खासा ‘आनंददायक’ है। हर साल लगभग 5-6 गायों की इसी तरह से हत्या कर दी जाती है।

लोग PETA से भी पूछ रहे हैं कि वो कहाँ सोया हुआ है, जो पशु अधिकार की रक्षा के नाम पर हिन्दुओं को गाली देता फिरता है। सबसे बड़ी बात कि रॉयटर्स इस क्रूरता को ‘Lifestyle’ की श्रेणी में दिखा रहा है। साथ ही एक खुशनुमा बैकग्राउंड संगीत भी वीडियो में बज रहा होता है। क्या Reuters और PETA जैसी संस्थाएँ हिन्दुओं को भला-बुरा कहने का कोई अधिकार रखती हैं? निरीह पशुओं की हत्या को मनोरंजन की तरह पेश करने वालों से और क्या उम्मीद।

2020 में भी कोरोना के बीच इस तरह का वीडियो पाकिस्तान से सामने आया था। तड़पती हुई गाय को क्रेन से गिरा कर चाकू से उसे मार डाला जाता है। प्रसिद्ध लेखक और इस्लाम पर कई पुस्तकें लिख चुके अंतरराष्ट्रीय लेखक तारिक फ़तेह ने इस वीडियो को ट्विटर पर शेयर करते हुए तब लिखा था कि पाकिस्तान के लोग गोहत्या कर के बकरीद मना रहे हैं और इससे अल्लाह को ख़ुश करना चाह रहे हैं। डॉक्टर वेदिका नामक ट्विटर यूजर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पूछा कि अगर अल्लाह को खुश करने के लिए ये किया जा रहा है तो फिर शैतान कैसे खुश होगा, ये सोचने वाली बात है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ईंट-पत्थर, लाठी-डंडे, ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे… नेपाल में रामनवमी की शोभा यात्रा पर मुस्लिम भीड़ का हमला, मंदिर में घुस कर बच्चे के सिर पर...

मजहर आलम दर्जनों मुस्लिमों को ले कर खड़ा था। उसने हिन्दू संगठनों की रैली को रोक दिया और आगे न ले जाने की चेतावनी दी। पुलिस ने भी दिया उसका ही साथ।

‘भारत बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है, नई चुनौतियों के लिए तैयार’: मोदी सरकार के लाए कानूनों पर खुश हुए CJI चंद्रचूड़, कहा...

CJI ने कहा कि इन तीनों कानूनों का संसद के माध्यम से अस्तित्व में आना इसका स्पष्ट संकेत है कि भारत बदल रहा है, हमारा देश आगे बढ़ रहा है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe