Sunday, September 8, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीय'तालिबान विरोधियों के सिर काट लिए जाएँ': मौलवियों के फतवा के बाद तालिबान का...

‘तालिबान विरोधियों के सिर काट लिए जाएँ’: मौलवियों के फतवा के बाद तालिबान का फैसला – सरकार की आलोचना पर शरिया के तहत सज़ा

काबुल में मौलवियों की एक बैठक हुई थी, जिसमें शामिल होने वालों से तालिबान सरकार के विरोधियों के सिर काटने के लिए फतवा जारी करने के लिए कहने के हफ्तों बाद ये निर्देश जारी किए गए।

अफगानिस्तान में कब्जा करने के बाद से ही तालिबान वहाँ पर लगातार लोकतंत्र, लोगों की आजादी और बोलने के अधिकारों को कुचलने की कोशिश करता रहा है। ताजा मामले में तालिबानी सरकार ने एक नया तुगलकी फरमान जारी कर ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’, उसके कथित ‘स्कॉलर्स’ और अधिकारियों की आलोचना करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।

तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने अपने नेता मुल्ला हेबतुल्लाह अखुंदज़ादा का हवाला देते हुए ये नए निर्देश जारी किए है। मुजाहिद ने तल्ख लहजे में कहा कि इन दिशानिर्देशों और ‘शरिया’ के पालन की जिम्मेदारी लोगों और मीडिया की है। तालिबान प्रशासन के द्वारा दिया गया ये निर्देश जनता को तालिबान कार्यकर्ताओं और अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाने से भी रोकता है।

तथाकथित निर्देश उन असंतुष्टों की गिरफ्तारी और प्रताड़ना की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें उन्होंने लड़कियों की शिक्षा और महिलाओं और मानवाधिकारों को कुचलने रोकने के लिए तालिबान की आलोचना की थी। दरअसल, हेरात के एक इस्लामिक स्कॉलर मुजीबुर रहमान अंसारी द्वारा काबुल में मौलवियों की एक बैठक की थी, जिसमें शामिल होने वालों से तालिबान सरकार के विरोधियों के सिर काटने के लिए फतवा जारी करने के लिए कहने के हफ्तों बाद ये निर्देश जारी किए गए।

तालिबान नेता के दिशा-निर्देशों में उल्लेख किया गया है कि इस तरह की कार्रवाई ‘नकारात्मक प्रचार’ है, जिससे अनजाने में दुश्मनों की ही मदद होती है। तालिबानी आदेश में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी सैनिक को छूता है या उसके कपड़े खींचता है अथवा उससे बुरी बातें करता है तो तालिबानी कानून के मुताबिक उसे दंडित किया जाएगा।

गौरतलब है कि तालिबान मौजूदा वक्त में ‘नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट’ से लड़ाई लड़ रहा है, जिसने इस्लामिक कट्टरपंथियों पर नागरिकों को गिरफ्तार करने, मारने और उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। इसी सप्ताह संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके मुताबिक, अफगानिस्तान में यातना और दुर्व्यवहार के 54 मामले और मनमाने ढंग से गिरफ्तारी और हिरासत के 113 मामले, इनकंपनीडो हिरासत के 23 मामले और राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा से जुड़े व्यक्तियों की 18 हत्याओं के मामले दर्ज किए गए हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -