हज और उमराह के लिए सऊदी अरब जाने पर जीएसटी में छूट की माँग वाली विभिन्न निजी टूर ऑपरेटरों की याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस एएम खानविलकर, एएस ओका और सीटी रविकुमार की बेंच ने यह फैसला दिया।
Supreme Court rejects petitions by various private tour operators seeking GST exemption for Haj and Umrah services offered by them to pilgrims travelling to Saudi Arabia pic.twitter.com/cN3edJe5ti
— ANI (@ANI) July 26, 2022
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस ओका ने कहा, “हमने छूट और भेदभाव दोनों के आधार पर याचिकाओं को खारिज कर दिया है।”
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में टूर ऑपरेटरों ने जीएसटी को भेदभावपूर्ण बताते हुए छूट देने की माँग की थी। इन प्राइवेट कंपनियों की दलील दी थी कि जिस तरह हज कमेटी के जरिए हज पर जाने वालों को कोई सर्विस टैक्स नहीं देना पड़ता, उसी तरह निजी ऑपरेटर के माध्यम से हज यात्रा को भी GST से मुक्त रखना चाहिए। ये तर्क देते हुए कहा गया था कि हाजियों को दी जाने वाली सेवाएँ जैसे विमान यात्रा, आवास आदि मजहबी गतिविधियों के लिए छूट दी जानी चाहिए। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद अब जीएसटी में छूट देने की माँग खारिज कर दी है।
बता दें कि तीर्थयात्रियों की हवाई यात्रा पर 5% जीएसटी (इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ) लागू होता है। ये ऐसे यात्रियों पर लगता है जो केंद्र द्वारा दी गई हज या उमराह जैसी मजहबी यात्राओं के लिए प्राइवेट या चार्टर संचालन की सेवाओं का उपयोग करते हैं। हालाँकि, यदि किसी मज़हबी तीर्थयात्रा के संबंध में किसी निर्दिष्ट संगठन की सेवाओं को विदेश मंत्रालय द्वारा द्विपक्षीय व्यवस्था के तहत सुविधा या छूट प्रदान की जाती है, तो यह दर शून्य होगी।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भारत के बाहर अतिरिक्त क्षेत्रीय गतिविधियों पर जीएसटी लगाए जाने का मामला अभी चालू रखा है क्योंकि यह दूसरी बेंच के सामने विचाराधीन है। इसमें तर्क ये था कि भारत के बाहर उपभोग की जाने वाली सेवाओं पर जीएसटी नहीं लगाया जा सकता। उनका तर्क था कि पंजीकृत निजी टूर ऑपरेटरों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का यात्री इस आधार पर लाभ उठाते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 245 के अनुसार अतिरिक्त क्षेत्रीय गतिविधियों पर कोई कर कानून लागू नहीं हो सकता।