शुक्रवार (2 सितंबर 2022) को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने देश को पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर भारतीय नौसेना को सौंप दिया, जिसका नाम ‘आईएनएस विक्रांत’ है। यह नाम 31 जनवरी 1997 को नेवी से रिटायर हुए एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत से लिया गया है। इसने 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थीं, वहीं अब इसके ‘पुनर्जन्म’ से दुश्मनों के दिलों की धड़कने तेज सी हो गई है।
‘मेड इन इंडिया’ INS विक्रांत की खासियत
‘जी बिजनेस’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नौसेना में करीब 25 वर्षों के बाद ‘INS विक्रांत’ की वापसी हुई है। इसका डिजाइन नौसेना के ‘वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो’ ने तैयार किया है, तो वहीं इसका निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड ‘कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड’ द्वारा किया गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि आसानी से 30 विमानों का संचालन इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर किया जा सकता है। आइए, कुछ बिंदुओं में भी इसकी विशेषताएँ समझें:-
- आईएनएस विक्रांत का वजन 45 हजार टन है। इसके साथ ही भारत दुनिया का 5वाँ ऐसा देश बन गया है, जिसके पास खुद का 45 हजार टन वजन वाला एयरक्राफ्ट कैरियर है।
- INS विक्रांत ऐसा विमान वाहक जहाज है, जो एक तरह से समुद्र के ऊपर तैरता एक एयरफोर्स स्टेशन है।
- इस विशाल जहाज से फाइटर जेट्स, मिसाइलें, ड्रोन के जरिए दुश्मनों को जंग में धराशायी किया जा सकता है।
- एयरक्राफ्ट कैरियर से 32 बराक-8 मिसाइल दागी जा सकती है।
- यह विमान वाहक जहाज 20 मिग-29 लड़ाकू विमान और दस हेलीकॉप्टरों को ले जाने में सक्षम है।
- आईएनएस विक्रांत पर कुल 30 एयरक्राफ्ट तैनात होंगे, जिनमें से 20 लड़ाकू विमान होंगे और 10 हेलीकॉप्टर होंगे।
- नवंबर 2022 से मिग-29 के एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत पर तैनात होने शुरू हो जाएँगे।
- इतने बड़े जहाज को चलाने के लिए GE मरीन के LM2500 इंजन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
विशाल आईएनएस विक्रांत का आकार व बनावट
‘DNA हिंदी’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह एयरक्राफ्ट कैरियर 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। INS विक्रांत में LM2500 मरीन इंजनों का इस्तेमाल किया जाएगा। इन इंजनों की क्षमता 88 मेगावॉट की है, यानी कि 1,18,010 हॉर्स पावर (HP) बताई जा रही है। इन्हीं तगड़ी इंजनों के कारण क्रूजिंग स्पीड 18 नॉटिकल मील है, वहीं अधिकतम स्पीड 28 नॉटिकल मील यानी 52 किलोमीटर प्रति घंटा तक रहने वाली है।
भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर में GE मरीन के इंजनों का ही इस्तेमाल किया जाता है। INS विक्रांत को लेकर GE मरीन ने बताया कि LM2500 इंजन 0.373 lb/Shp-hr यानी 227 ग्राम प्रति किलोवॉट घंटा के हिसाब से गैस का इस्तेमाल करता है। इसी वजह से इसकी रेंज 7500 नॉटिकल मील यानी 13,890 किलोमीटर है।
पीएम मोदी ने बताई स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर की विशेषताएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आईएनएस विक्रांत के अनावरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इसकी कुछ विशेषताओं का जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि विक्रांत बड़ा और भव्य है, विक्रांत अलग है, विक्रांत विशेष है। उन्होंने कहा कि विक्रांत सिर्फ एक युद्धपोत नहीं है, यह 21वीं सदी के भारत की कड़ी मेहनत, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है।
— Narendra Modi (@narendramodi) September 2, 2022
विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। pic.twitter.com/8AIVbIOhci
इस दौरान उन्होंने बताया कि आज यहाँ केरल के समुद्री तट पर भारत, हर भारतवासी, एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है। उन्होंने कहा कि INS विक्रांत पर हो रहा ये आयोजन विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है। उन्होंने बताया कि युद्धपोत से ज़्यादा ये एक तैरता हुआ एयरफील्ड है, यह तैरता हुआ शहर है।
अपने संबोधन में उन्होंने यह भी बताया कि INS विक्रांत में जितनी बिजली पैदा होती है उससे 5000 घरों को रोशन किया जा सकता है। इसका फ्लाइंग डेक भी दो फुटबॉल फील्ड से बड़ा है। इसमें जितने तार इस्तेमाल हुए हैं, वह कोचीन से काशी तक पहुँच सकते हैं। इसके एयरबेस में जो स्टील लगी है, वो स्टील भी स्वदेशी है।