छत्तीसगढ़ में ईसाई मिशनरियाँ लगातार मजबूर लोगों को धर्मांतरण के लिए उकसाती पाई जाती हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है। एक हिंदू युवक को पैसे का लालच देकर कहा गया कि वह अपने हिंदू पिता का दाह संस्कार ईसाई रीति-रिवाज से संपन्न करे, जिसके बाद युवक ने ऐसा ही किया और पिता को मुखाग्नि देने की जगह उन्हें दफन करवा दिया।
यह घटना छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के लोरमी थाना क्षेत्र अंतर्गत अटरिया वनग्राम गाँव की है। बताया जा रहा है, बुधराम बैगा की हाल ही में मृत्यु हुई थी, उनके दो बेटे हैं। इनमें से छोटे बेटे ग्रामसेवक ने अपने पिता को ईसाई मतानुसार दफन करवा दिया। रिपोर्ट के अनुसार, ग्राम सेवक को ईसाई धर्म में परिवर्तित होने और ईसाई रीति-रिवाज के अनुसार अपने मृत पिता को दफनाने के लिए ‘बाहरी लोगों’ ने पैसे देकर तैयार किया।
हालाँकि, इस घटना की जानकारी जब मृतक के बड़े बेटे को हुई तो उसने अपने जनजाति समुदाय के लोगों और जनप्रतिनिधियों को पूरी घटना के बारे में बताया। इस घटना को जानने के बाद हर कोई परेशान था। पड़ताल के बाद पता चला कि कुछ लोगों ने युवक का धर्मांतरण कराकर पूरी घटना को अंजाम दिया।
जानकारी सामने आने के बाद स्थानीय ग्रामीणों व मृतक के पुत्र ने स्थानीय लोरमी थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए कड़ी कार्रवाई की माँग की है।
स्थानीय लोगों का कहना है, यह धर्म परिवर्तन का खेल एक संस्था के द्वारा चलाया जा रहा है। यह संस्था बीते कई सालों से चल रही है। अटरिया ग्राम के ग्रामीणों ने कहा कि लगभग 20 साल पहले सरगुजा से उरांव जाति के लोग यहाँ रहने आए थे। उनके द्वारा ही लोगों को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है। ग्रामीणों की माँग है कि जिन लोगों के द्वारा भोले-भाले जनजातियों को लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
जाँच के बाद होगी कार्रवाई
इस मामले में पूर्व जिला पंचायत सदस्य ने कहा कि उनको धर्मांतरण की जानकारी मिलती रहती है। कुछ लोगों के द्वारा इस क्षेत्र में धर्म परिवर्तन कराने का काम किया जा रहा है। ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
इस मामले में स्थानीय खुड़िया चौकी के प्रभारी का कहना है कि धर्म परिवर्तन करवा कर मृतक को दफनाने की शिकायत मृतक के पुत्र एवं ग्रामीणों के द्वारा लिखित में दी गई है। इस पूरे मामले की जाँच की जा रही है, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
छत्तीसगढ़ के एक जनजातीय बाहुल्य गांव में 1250 लोगों की ‘घर वापसी’
पूरे देश में चल रहे धर्मांतरण के ‘व्यापार’ में छत्तीसगढ़ का एक लंबा इतिहास रहा है। दरअसल, बीसवीं सदी की शुरुआत में ब्रिटिश शासन के दौरान ईसाई मिशनरियों ने जब अपनी नींव रखी थी तब धर्मांतरण की साजिश की शुरुआत की थी। यही साजिश आज भी जारी है। ईसाई मिशनरी राज्य के जनजातीय बाहुल्य इलाकों को निशाना बनाते हैं।
मार्च 2022 में, ऑपइंडिया ने बताया था कि छत्तीसगढ़ में 1250 लोगों ने सनातन धर्म में वापसी की है। इस ‘घर वापसी में’ आर्य समाज के प्रतिनिधियों ने महायज्ञ की व्यवस्था की थी। साथ ही भाजपा के प्रदेश सचिव प्रबल प्रताप सिंह जुदेव ने सनातन धर्म में लौटे लोगों के पैर गंगाजल से धोकर स्वागत किया था।