Sunday, May 5, 2024
Homeदेश-समाज'गाय काटना मजहबी अधिकार' पर सुप्रीम कोर्ट में हारा था मुस्लिम पक्ष, अब स्कूल...

‘गाय काटना मजहबी अधिकार’ पर सुप्रीम कोर्ट में हारा था मुस्लिम पक्ष, अब स्कूल में बुर्का/हिजाब पर कर्नाटक AG ने कहा – आर्टिकल 25 के तहत यह अधिकार नहीं

'मज़हबी अधिकार' के तहत सुप्रीम कोर्ट में बकरीद में गाय की कुर्बानी को जायज ठहराने की माँग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश सहित 5 जजों की बेंच ने तब इसे ख़ारिज कर दिया था। आज उसी 'मज़हबी अधिकार' के तहत स्कूलों में बुर्का/हिजाब की माँग की जा रही।

कर्नाटक बुर्का विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि यूनिफॉर्म की अनिवार्यता किसी भी छात्र या छात्रा के धार्मिक/मजहबी अधिकारों का हनन नहीं है। कर्नाटक सरकार के महाधिवक्ता (AG: Advocate General) ने कोर्ट को यह भी बताया कि ऐसे कदम से शैक्षणिक संस्थानों में किसी भी प्रकार के मज़हबी कपड़े पहन कर आने से रोक लगेगी, जिसमें हिजाब भी शामिल है। उच्चतम न्यायालय में यह सुनवाई बुधवार (21 सितम्बर 2022) को हुई।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये सुनवाई जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच कर रही है। इसी सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार के महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) प्रभुलिंग नवदगी ने दलील देते हुए कहा कि हिजाब समर्थक तमाम छात्राएँ इसे स्कूल के बाहर पहन सकती हैं। समान यूनिफॉर्म को कर्नाटक सरकार के महाधिवक्ता ने एकता और अनुशासन के लिए बेहद जरूरी बताते हुए कहा कि इससे पढ़ाई का अच्छा माहौल तैयार होता है।

वहीं हिजाब के समर्थन में बहस कर रहे वकीलों ने आर्टिकल 25 का उल्लेख करते हुए कोर्ट को बताया कि इसे पहनना मुस्लिम छात्राओं का ‘मज़हबी अधिकार’ है। इन्हीं वकीलों ने हिजाब की माँग को भी आर्टिकल 19 के तहत ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ करार दिया।

‘मज़हबी अधिकार’ या ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ वाली दलील के जवाब में कर्नाटक सरकार के महाधिवक्ता ने साल 1958 में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई का हवाला देते हुए बताया कि कैसे तब बकरीद में गाय की कुर्बानी को जायज ठहराने की माँग उठाते हुए उसे मजहबी अधिकार बताया गया था, जिसे मुख्य न्यायाधीश सहित 5 जजों की बेंच ने ख़ारिज कर दिया था।

कर्नाटक सरकार के महाधिवक्ता ने अपनी दलील में आगे बताया कि साल 1958 के बाद सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न मौकों पर धार्मिक/मजहबी अधिकारों के स्वतंत्रता की व्याख्या की है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ये बता चुका है कि हर मज़हबी गतिविधि को धार्मिक/मजहबी अधिकारों की स्वतंत्रता के नाम पर लागू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

महाधिवक्ता ने कहा कि शिक्षा में समानता स्थापित करने के लिए क्लास 10 तक के सभी बच्चों को मुफ्त में यूनिफॉर्म देने का फैसला किया है। इसी मामले में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने दलील देते हुए कहा कि क्या इसी को धार्मिक/मजहबी अधिकारों की स्वतंत्रता कहा जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट में ही मुस्लिम नमाज़ और हिन्दू हवन करना शुरू कर दें? उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक/मजहबी अधिकारों को मिलाने का विरोध भी किया।

उडुप्पी के जिस संस्थान से बुर्का विवाद की शुरुआत हुई थी, वहाँ के शिक्षकों ने इसी सुनवाई के दौरान अपने वकील आर वेंकटरमानी के माध्यम से कहा कि स्कूल में धार्मिक/मजहबी प्रतीकों की लड़ाई से वहाँ पढ़ाई का माहौल खराब होता है। अध्यापकों का पक्ष रखते हुए एक अन्य वकील डी शेषाद्रि नायडू ने कहा कि धर्म/मजहब बच्चों के दिल में होना चाहिए और उन्हें धार्मिक/मजहबी विवादों से दूर रह कर सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में 8 दिनों से चल रही यह सुनवाई अब अपने अंतिम दौर में है। इन 8 दिनों में 6 दिनों तक हिजाब समर्थक वकीलों ने अपना पक्ष कोर्ट में रखा था। बाकी 2 दिनों में कर्नाटक सरकार ने अपने पक्ष से सुप्रीम कोर्ट को अवगत करवाया है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘मुस्लिमों को आरक्षण देना देशद्रोह’: प्रोफेसर दिलीप मंडल ने बताया किसने संविधान को सबसे ज्यादा बदला, कहा – मनमोहन कैबिनेट में सिर्फ 1 OBC...

दिलीप मंडल ने कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण की बात करना देशद्रोह है, क्योंकि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की मनाही है।

‘हिंदुत्व ताकतों’ से लेकर ‘RSS की साजिश’ तक, कसाब को कलावा वाला ‘समीर’ बनाने में पाकिस्तान ही नहीं कॉन्ग्रेस का भी हाथ: तुष्टिकरण देख...

महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस के नेता प्रतिपक्ष वडेट्टीवार आतंकी अजमल कसाब को फाँसी के तख्ते पर पहुँचाने वाले वकील उज्ज्वल निकम को 'देशद्रोही' कह रहे हैं। केंद्रीय मंत्री रहते AR अंतुले ने 26/11 के पीछे 'हिंदुत्व ताकतों' का हाथ बताया था। दिग्विजय सिंह जैसों ने इसे 'RSS की साजिश' कहा था। कॉन्ग्रेस का हाथ, पाकिस्तान के साथ?

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -