दुनिया भर में हर साल एक नवंबर को ईसाई समुदाय ‘ऑल सेंट्स डे (All Saints Day)’ मनाता है। इस दिन ये लोग पवित्र आत्माओं को सम्मान देते हैं। ऑल सेंट्स डे की वास्तविक तारीख अभी तक निर्धारित नहीं की जा सकी है। माना जाता है कि यह 13 मई को 609 AD से इसे मनाया जा रहा है। इस दिन को मृतकों के दिन, सभी संतों के पर्व और हेलोमोस के सम्मान के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन स्पेन, पुर्तगाल और मैक्सिको, बेल्जियम, हंगरी और इटली जैसे देश दिवंगत परिवार के सदस्यों की कब्रों पर फूल चढ़ाते हैं।
ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, पोलैंड और रोमानिया जैसे देशों में मर चुके लोगों की कब्रों पर मोमबत्तियाँ जलाई जाती हैं। फिलीपींस में रिश्तेदारों की कब्रों पर जाकर उन्हें साफ-सुथरा किया जाता है।
1 नवंबर का दिन चुना
बताया जाता है कि मूल रूप से ‘ऑल सेंट्स डे‘ सबसे पहले सिर्फ रोम में मनाया जाता था, लेकिन 837 में पोप ग्रेगरी IV द्वारा ‘ऑल सेंट्स डे’ को पूरे मजहब में विस्तारित किया गया था। पोप ग्रेगरी IV ने ही ‘ऑल सेंट्स डे’ को 1 नवंबर को मनाने का निर्देश दिया था। ‘ऑल सेंट्स डे’ के दिन लोग भारी संख्या में चर्च जाते हैं और मास प्रेयर में हिस्सा लेते हैं। लैटिन समुदाय में लोग इस दिन अपने परिवार के मरे हुए लोगों के कब्र पर जाते हैं, वहाँ उनका पसंदीदा खाना बनवाते हैं और पार्टी करते हैं।
ऑल सेंट्स डे पवित्र दिन
बता दें कि मेथोडिस्ट संतों के जीवन और मृत्यु के लिए ईश्वर के प्रति अपनी ईमानदारी व्यक्त करने के लिए इसे ‘ऑल सेंट्स डे’ के रूप में मनाते हैं। ‘ऑल सेंट्स डे’ आमतौर पर कैथोलिकों के लिए दायित्व का पवित्र दिन होता है। इस दिन सभी से इसमें भाग लेने की उम्मीद की जाती है। प्रोटेस्टेंट सुधार के बाद, कई प्रोटेस्टेंट संप्रदायों ने ऑल सेंट्स डे मनाना जारी रखा। अधिकांश लोगों का मानना है कि यह 13 मई को 609 AD से चला आ रहा है। इस दिन कब्रिस्तान साफ-सुथरा और एक हरे-भरे बगीचे जैसा दिखता है।