जयपुर में भारत की आजादी के अमृत काल के तहत दो दिवसीय जयपुर डायलॉग फोरम आयोजित किया गया। पिछले हफ्ते (5-6 नवंबर 2022) हुए इस फोरम में विभिन्न क्षेत्रों के नामचीन हस्तियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर यहाँ चर्चा की। देश का इतिहास कैसा रहा, वर्तमान किन परिस्थितियों से गुजर रहा है, भविष्य में क्या-क्या चुनौतियाँ आ सकती हैं, इन बिंदुओं पर भी तरह-तरह के मत रखे गए।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, आनंद रंगनाथन, अंबर जैदी, ओमेंद्र रत्नू, नीरज अत्री, गुरु प्रकाश, कपिल मिश्रा, आर जगन्नाथन, शाजिया इल्मी, विक्रम संपत, सुशांत सरीन – ये कुछ चंद बड़े नाम हैं, जिन्होंने जयपुर डायलॉग फोरम में विभिन्न सत्रों में विचार मंथन को धार दिया। बहुत सारी बातें और चर्चाओं के बीच यहीं पर देश के लिए 7 चुनौतियों पर भी चर्चा हुई।
देवी-देवताओं का अपमान, देश को बनाते मजाक का पात्र
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि देश अब मानसिक गुलामी के दौर से निकल रहा है। 2014 में आया परिवर्तन का दौर निरंतर जारी है। साथ ही उन्होंने चेताया कि एक समूह के द्वारा देश को मजाक का पात्र बनाया जा रहा है। यहाँ तक कि देवी-देवताओं का अपमान करने से नहीं चूक रहे लोग।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पिछले 50 वर्षों में फिल्मों में सिखों और सेना के जवानों का खुला उपहास किया गया, जो आज भी जारी है। उन्होंने कहा, “जहाँ भी दुनिया में लेफ्ट लिबरल है, वहाँ उदारता नहीं है। वो हमारे दिमाग में बड़े सटीक नैरेटिव भरते हैं। युवा पीढ़ी को इसे समझना होगा।” उन्होंने कहा, “जैसे ही नेरेटिव वाला विष निकलेगा, हमारी शक्ति सामने आ जाएगी।”
‘सभी धर्म एक समान’ सिर्फ दिखावा, एक खास धर्म पर चर्चा भी असंभव
आनंद रंगनाथन ने कथित लिबरलों और वामपंथ पर प्रहार करते हुए कहा कि वे ‘सभी धर्म एक समान’ का ढोल पीटते हैं लेकिन व्यवहार में ऐसा नहीं मानते। इसी मामले पर भरत गुप्त ने कहा कि इस्लाम का इतिहास बताने वाली बहुत अधिक पुस्तकें नहीं हैं। ऐसे में जो उपलब्ध है, उसकी ही ठीक-ठीक व्याख्या होनी चाहिए।
अजय चुंगरू ने इस मामले की तह में जाते हुए कहा कि सभी धर्मों में सवाल उठाने की स्वतंत्रता नहीं है। यहाँ तक कि नास्तिक बनने की स्वतंत्रता भी नहीं है। उन्होंने बताया कि 13 इस्लामिक देश ऐसे हैं, जहाँ नास्तिकों को मार दिया जाता है। जबकि हिंदू धर्म में नास्तिक को भी अभिव्यक्ति की आजादी है।
हिंदुत्व को नीचा दिखाने के लिए इतिहास से खेल
इतिहासकार विक्रम संपत ने तरह-तरह के उदाहरण देकर समझाया कि कैसे देश में विभिन्न तरीकों से हिन्दुत्व का विरोध किया गया… जो मुगल काल से आजादी के बाद भी जारी रहा। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब नए इतिहास पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि फिल्मों में हिन्दुस्तान की बेटी-महिलाओं की नीलामी के दृश्य दिखाकर देश-विदेश में हमारी संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया गया।
‘भारत- भूत, वर्तमान और भविष्य’ विषय पर चर्चा करते हुए ओमेंद्र रत्नू ने कहा कि हिंदू समाज का गौरवशाली इतिहास रहा है। दूसरे धर्म के या कथित लिबरल इतिहासकारों ने लेकिन इसकी गलत जानकारी देकर भ्रमित किया।
इस पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए तुफैल चतुर्वेदी ने कहा कि दूसरे धर्म के लोग भारत में राज और कारोबार करने नहीं, बल्कि धर्म का प्रचार-प्रसार करने आए थे। उन्होंने यह भी बताया कि भारत की खोज करने वाले भी पादरी ही थे।
आतंक और जिहाद के साए में कश्मीरी हिंदू
‘धारा 370 हटाने के बाद 3 साल का मूल्यांकन’ – जयपुर डायलॉग फोरम में यह भी एक विषय था। इस पर अजय चुंगरू ने कहा कि कश्मीर से धारा 370 हटा दी गई लेकिन पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने इसका सम्मान नहीं किया। भारत ने इसे विकास से जोड़ जरूर दिया बावजूद कश्मीरी सत्ता की सीढ़ी गिने-चुने मुस्लिमों तक सीमित करने के प्रयास होते रहे।
इसी विषय पर गुरु प्रकाश ने कहा कि 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 और 35a हटाने से पहले कश्मीर में संवैधानिक फ्रॉड जारी था। सुशील पंडित ने इस मामले को आगे बढ़ाते हुए आरोप लगाया कि अब घाटी में पर्यटन के नाम पर जेहाद के लिए फंडिंग की जा रही है।
धर्मांतरण
इस मामले पर पत्रकार अंबर जैदी ने चिंता जताते हुए कहा कि कश्मीर और केरल में व्यापक स्तर पर धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। लड़कियों को सेक्स टॉय बनाकर देश के बाहर भेजा जा रहा है, लेकिन कोई कथित लिबरल उस पर सवाल खड़ा नहीं कर रहा है।
जय आहूजा ने कहा कि देश में मेवात एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ के ढाई सौ गाँव हिंदू-विहीन हो चुके हैं। जिस गाँव में मुस्लिम आबादी अधिक है, वहाँ भारतीय कानून के बजाय शरिया लागू हो चुका है। मुस्लिम-बहुल आबादी वाले क्षेत्रों की समस्या पर उन्होंने याद दिलाया कि धारा 370 हटाने पर भी कश्मीर के कानूनों में बदलाव नहीं आ पाया है।
लोकतंत्र के कमजोर होते खंभे
‘लोकतंत्र या वोट खरीद’ विषय पर चर्चा वाले सत्र में महाराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार भाऊ तोरसेकर ने कहा कि लोकलुभावन नारे, बातें, उपहार, शराब, नकदी आदि ने लोकतंत्र को चोट पहुँचाई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सत्ताधारी को जिम्मेदार बनाना होगा।
कपिल मिश्रा ने इस विषय पर चर्चा में कहा कि भारत दुनिया का सबसे सशक्त लोकतांत्रिक व्यवस्था का देश है। लेकिन न्यायपालिका, मीडिया और ब्यूरोक्रेसी ने अपना धर्म नहीं निभाया और इस कारण से विधायिका पथभ्रष्ट हो गई।
ओमकार चौधरी ने कहा कि लोकतंत्र में मुफ्त की बंदरबाँट पर राज्यों पर कई लाख करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। भारत दुनिया की पाँचवीं सशक्त अर्थव्यवस्था घोषित हुई है, लेकिन अभी इसे दुरुस्त किया जाना चाहिए।
हिंदुओं का शोषण, मंदिरों पर नियंत्रण
आनंद रंगनाथन ने ‘जिसका साथ उसका विकास’ नारा देते कहा कि भारत में हिंदू 9वें नागरिक हैं। उन्होंने बताया कि जेएनयू में कहा जाता है कि भारत हिंदू राष्ट्र बन गया है जबकि सच्चाई यह है कि भारत में हिंदुओं का निरंतर शोषण हो रहा है। सरकार मंदिरों का नियंत्रण कर रही है। पंडित और पूजा के अधिकार बदल दिए गए हैं। यहाँ तक की दान-दक्षिणा भी सरकारी खजाने में जमा हो रही है। उनके अनुसार हिंदुओं की दुर्दशा का कारण अल्पसंख्यकों का ताकतवर होना नहीं बल्कि बहुसंख्यकों का लगातार कमजोर होना है।
इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु जैन ने कहा कि समाज की संस्कृति निरंतर प्रदूषित हो रही है। यौन हिंसा बढ़ रही है। सनातन संस्कृति को मजबूत करने से ही देश फिर विश्व गुरु बनेगा।
पंडित सतीश शर्मा ने कहा कि हिंदू विरोधी तंत्र को तोड़ने के लिए अभिमन्यु की बजाए अर्जुन बनना होगा। धार्मिक मामले और न्यायपालिका पर बात करते हुए पत्रकार आर जगन्नाथन ने कहा कि धर्म और आस्था के मामलों में अदालत को निजी राय नहीं देनी चाहिए।
‘जयपुर डायलॉग-2022’ को संबोधित करने, चर्चा में भाग लेने आए सभी वक्ताओं, विद्वानों का पूर्व आईएएस व जयपुर डायलॉग के चेयरमैन संजय दीक्षित और अध्यक्ष सुनील कोठारी ने आभार जताया।