ईरान में दो प्रदर्शनकारियों को शनिवार (7 जनवरी 2023) को सूली पर चढ़ा दिया गया। दोनों युवकों पर आरोप था कि ये महसा अमिनी के साथ हुए अत्याचार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और इस दौरान इनके कारण एक सुरक्षाकर्मी की जान चली गई। ऐसे मामलों में 3 अन्य लोगों को सजा-ए-मौत दी गई है जबकि 11 को जेल की सजा सुनाई गई है।
खबरों के मुताबिक, दोनों प्रदर्शनकारियों पर फैसला देते हुए न्यायपालिका ने कहा, “मोहम्मद मेहदी करमी और सैयद मोहम्मद हुसैनी, जिन दो लोगों के अपराधों के कारण रुहोल्लाह अजमियाँ शहीद हुए, उन्हें आज फाँसी पर लटका दिया गया है।”
इरोपीय यूनियन के शीर्ष राजनयिकों ने इस घटना की निंदा की। उन्होंने ईरान से कहा कि वो फौरन प्रदर्शनकारियों को सजा-ए-मौत देने पर रोक लगाएँ। ब्रिटिश के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवर्ली ने कहा कि ईरान को फौरन अपने लोगों को सजा-ए-मौत देने पर रोक लगानी चाहिए।
बता दें कि इससे पहले 12 दिसंबर 2022 को हिजाब विरोधी प्रदर्शन के दौरान 23 साल के एक युवक को फाँसी पर लटकाया गया था। युवक का नाम माजीदरेगा रेहनवर्द था। उसे शहर में सरेआम फाँसी दी गई थी। अंतिम वीडियो में रेहन ने कहा था कि उसकी मौत का मातम नहीं मनाया जाना चाहिए। उसकी मौत के बाद कोई कुरान न पढ़े। वीडियो को ईरानी ह्यूमन राइट एनजीओ के डायरेक्टर महमूद अमीरी ने अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया था। वीडियो में रेहनवर्द की आँखों पर पट्टी बँधी थी। दो नकाबपोश गार्डों ने उसे घेर रखा था।
उल्लेखनीय है कि ईरान में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन 16 सितंबर को 22 साल की एक लड़की महसा अमिनी की मौत के बाद शुरू हुए थे। पुलिस ने महसा को हिजाब नहीं पहनने के लिए गिरफ्तार किया था। कस्टडी में उसकी जान चली गई थी। जब ईरान में इस घटना का विरोध शुरू हुआ तो लोगों में डर पैदा करने के लिए नौजवानों को सरेआम फाँसी दी जाने लगी। सबसे पहले मोहसिन शेखरी नाम के प्रदर्शनकारी को सूली पर चढ़ाया गया था। उन्हें रेहनवर्द से भी पहले 8 दिसंबर 2022 को फाँसी दी गई थी।