वे बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के महंत हैं। नाम है- धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri)। भक्तों के लिए वे बागेश्वर धाम सरकार, बागेश्वर महाराज हैं। पर वे खुद को हनुमान जी का सेवक मानते हैं। वे तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्यस्वामी के शिष्य हैं। विरोधी उन पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाते हैं। वे अपनी शक्तियों को ध्यान विधि का परिणाम बताते हैं, जो उन्हें दादा गुरु से प्राप्त हुई है।
कहाँ है बागेश्वर धाम?
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के राजनगर तहसील में गढ़ा नाम का एक छोटा सा गाँव है। यही पर अवस्थित है- बागेश्वर धाम। करीब 1500 की आबादी वाले इस गाँव में एक छोटी पहाड़ी पर बागेश्वर धाम सरकार (Bageshwar Dham Sarkar) का मंदिर है। यहाँ, रामभक्त हनुमान, अपने बाल्य स्वरूप बालाजी के रूप में विराजमान हैं। इस जगह पर बागेश्वर भोलेनाथ और संन्यासी बाबा की कृपा भी बताई जाती है।
बागेश्वर धाम की महिमा
दावे किए जाते हैं कि बागेश्वर धाम में बालाजी के दर्शन करने से कई असाध्य रोग दूर हो जाते हैं। लोग यहाँ नौकरी, शादी से लेकर व्यापार और राजनीतिक भविष्य को लेकर अर्जी बाँधने आते हैं। अर्जी वस्त्रों में लिपटा एक नारियल होता है, जिसे मंदिर प्रांगण में बाँध दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि बालाजी की कृपा से अर्जी स्वीकार होती है और लोगों की मन्नतें पूरी हो जाती हैं।
विवादों के बीच बागेश्वर धाम
इस समय बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक खास वर्ग के निशाने पर हैं। उनके आरोपों को लेकर महंत का कहना है कि घर वापसी का अभियान चलाए जाने के कारण वे निशाने पर हैं। भले मीडिया में इस विवाद की इन दिनों खूब चर्चा हो, भले बागेश्वर सरकार इस समय रायपुर में हैं, लेकिन बागेश्वर धाम अपनी ही गति से चल रहा है।
बागेश्वर धाम के सेवादार मनोज त्रिवेदी ने ऑपइंडिया को बताया कि यहाँ हर साल कन्याओं का सामूहिक विवाह होता है। इस साल महा शिवरात्रि (18 फरवरी 2023) पर 121 कन्याओं का विवाह होना है। ये कन्या आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से होती हैं या फिर अनाथ। इस समय धाम में इस आयोजन को लेकर तैयारियाँ चल रही है।
मनोज त्रिवेदी ने बताया, “बागेश्वर धाम में गुरुजी (धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री) हर साल गरीब कन्याओं का विवाह कराते हैं। इस साल भी महा शिवरात्रि पर 121 कन्याओं का विवाह होना है। गुरुजी अपनी बहन और बेटी मानकर कन्याओं को विदा करते हैं। गुरुजी उनको वो सब देते हैं जो एक पिता अपनी बेटी को देने की कोशिश करता है। साल 2021 में 108 कन्याओं का विवाह हुआ था। इस साल फिर हो रहा है।”
मनोज त्रिवेदी के अनुसार सामूहिक विवाह का यह आयोजन चार साल से हो रहा है। उनके अनुसार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बचपन में ही इसके लिए संकल्प लिया था। अब उसको हर साल निभा रहे हैं। वे बताते हैं, “गुरुजी का जीवन अभावों से भरा हुआ था। वे बहुत गरीब थे। उनकी बहन की शादी के समय उनके पैसा पैसा नहीं था। तब उन्होंने संकल्प लिया था कि यदि कभी बालाजी की उन पर कृपा होगी और वे जो भी कमाएँगे उससे वह गरीब कन्याओं की शादी कराएँगे। गुरुजी चाहते हैं कि जैसे वो अपनी बहन की शादी के लिए परेशान और दुखी हुए थे ऐसा किसी भाई को न होना पड़े। इसलिए, वह कन्याओं का विवाह कराते हैं।”
विवाह के रजिस्ट्रेशन के लिए बागेश्वर धाम में बकायदा एक कार्यालय बना हुआ है। धाम से मिली जानकारी के अनुसार 2019 में 17 कन्याओं, 2020 और 2021 में 21 कन्याओं का और 2022 में 108 कन्याओं का विवाह कराया था। 2022 में जिन कन्याओं का विवाह हुआ था, उनमें 12 ऐसी थीं जिनके पिता नहीं थे। वहीं, एक कन्या ऐसी थी जिसके माता-पिता दोनों नहीं थे। विवाहित जोड़ों को धाम की तरफ से ही रामचरितमानस के साथ-साथ वो हरेक वस्तु प्रदान की जाती है जो एक गृहस्थी को शुरू करने के लिए आवश्यक है।
बागेश्वर धाम में भंडारा लगातार तीन साल से चल रहा है। इसे अन्नपूर्णा कहते हैं। मनोज त्रिवेदी ने बताया, “गुरुजी नहीं चाहते कि धाम में आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली पेट लौटे। इसलिए अन्नपूर्णा शुरू किया गया। यह 3 साल से चल रहा है। यहाँ हर रोज हजारों लोग प्रसाद पाते हैं।”
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर लग रहे आरोपों को लेकर जब मनोज त्रिवेदी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “जो लोग गुरुदेव पर आरोप लगा रहे हैं उन्हें दरबार में जाना चाहिए। दरबार में बैठेंगे तो गुरुदेव उनकी सारी पोल खोल देंगे। यहाँ एक से बढ़कर एक लोग आए और चले गए। मीडिया वाले नहीं टिके। नेता लोग आते हैं और प्रणाम कर चले जाते हैं। गुरुजी पर बालाजी का आशीर्वाद है। वह जो कह देते हैं वही होता है।”
बागेश्वर धाम और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री में जो आस्था मनोज की है, वैसी ही आस्था यहाँ आने वाले हर व्यक्ति के भीतर दिखती है। यही आस्था उन्हें यहाँ तक खींच कर लाती है और यही 26 साल के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को अपने मनमोहक मुस्कान के साथ यह कहने की ताकत भी देती है कि टोपी वालों से भी सीता-राम बुलवा देंगे। चिंता न करो।