बाबा रामदेव ने बागेश्वर धाम के महंत धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि कुछ पाखंडी लोग टूट के उनके पीछे पड़ गए हैं। ऐसे लोग पूछ रहे हैं कि ये भगवान की कृपा क्या होती है? बालाजी की कृपा क्या होती है?
दरअसल बाबा रामदेव धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के गुरु रामभद्राचार्य जी के पास पहुँचे थे और वहीं मंच से उन्होंने धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “ये सब अगर बिना आँखों की देखनी हो तो आप पूज्य भद्राचार्य जी में देख लो। अगर आपको बाहर की आँखों से देखना हो तो यह आप धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री में देख लो। भगवान के अनुग्रह से व्यक्ति को सूक्ष्म जगत की अनुभूति होती है। लेकिन यह गुरु की कृपा और भगवत की कृपा से होता है। गुरु की कृपा, भगवत कृपा से बालाजी महाराज की कृपा होती है।”
उन्होंने आगे कहा, ”जब गुरु और भगवान की शरण में रहने वाला और दैवीय कृपा संपन्न जब कोई महापुरुष आशीर्वाद दे देता है तो व्यक्ति संकटों से मुक्त हो जाता है। यही काम धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी कर रहे हैं।” बाबा रामदेव ने कहा कि जहाँ तक बात रही तर्क-वितर्क की जिनको तर्क करना है तो वह महाराज जी (रामभद्राचार्य जी) के पास आ जाएँ। जिनको चमत्कार देखना हे वह महाराज जी के चेले (महंत धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री) के पास चले जाएँ।
बाबा ने आगे कहा, “मैं तो ज्यादा मीडिया के लोगों को फोन नहीं करता हूँ। लेकिन, मैंने कुछ को बोला है कि सब जगह पाखंड मत देखो। कुछ यह भी देख लो कि जो सच है, जो दिख रहा है आँखों से – वह केवल एक प्रतिशत है। अदृष्ट 99 प्रतिशत है।” उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले जब महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराष्ट्र गए थे तो वहाँ कथा के समापन के बाद ‘महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ के राष्ट्रीय संयोजक श्याम मानव ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया था।
साथ ही, उन्होंने कहा था कि उन्होंने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को चुनौती थी। इसलिए वे दो दिन पहले ही नागपुर से भाग गए। वहीं पूरे विवाद पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा था। उन्होंने कहा था कि उनकी प्रेरणा से लोग सनातन धर्म में वापसी कर रहे हैं। इसलिए मिशनरी के लोग करोड़ों खर्च कर उनके खिलाफ साजिश रच रहे हैं। वे इन साजिशों से नहीं डरते हैं। उन्होंने कहा था कि अब जनजातीय इलाकों में दरबार लगाए जा रहे हैं। इसकी वजह से उनके खिलाफ हमले बढ़ गए हैं और वामपंथी पीछे पड़ गए हैं।