माफिया अतीक अहमद के बेटे असद का एनकाउंटर होने के बाद इस मामले में दर्ज एफआईआर से खुलासा हुआ है कि यूपी एसटीएफ पहले असद और गुलाम को जिंदा पकड़ना चाहती थी। इंडिया टुडे द्वारा एक्सेस की एफआईआर में बताया गया है कि पुलिस जब दोनों आरोपितों को पकड़ने झाँसी गई तो वहाँ दोनों ने पुलिस पर गोलियाँ चलाईं। इसी के बाद जवाबी कार्रवाई में पुलिस को असद-गुलाम का एनकाउंटर करना पड़ा।
एफआईआर में बताया गया कि पुलिस को सूचना थी कि असद सफेद कुर्ते पजामे और गुलाम जींस टी-शर्ट में एक बिन लाइसेंसी नंबर वाली बाइक पर जा रहे हैं। जब पुलिस ने उन्हें पकड़ने के लिए उनका पीछा किया तो वो रुकने के बजाय भागने लगे। पुलिस ने उन्हें जिंदा पकड़ने का बहुत प्रयास किया। तभी उनकी गाड़ी बबूल के पेड़ के आगे फिसली और असद-गुलाम ने पुलिस को गाली देकर डराना धमकाना शुरू किया। पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की। थोड़ी देर बाद गोली चलनी बंद हो गई। पुलिस ने जाकर देखा तो दोनों चोटिल थे। पुलिस उन्हें अस्पताल लेकर गई जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक झाँसी में हुए एनकाउंटर के बाद असद और गुलाम का पोस्टमार्टम 9 बजे शुरू होकर रात के करीब 2:30 बजे तक हुआ। इस दौरान वहाँ 3 डॉक्टरों का पैनल था। पोस्टमार्टम में सामने आया असद को 2 गोलियाँ लगीं। एक गोली पीछे से पीठ में लगी जो दिल और सीने को चीरकर बाहर निकल गई जबकि दूसरी गोली सीने में लगी और गले में जाकर फँस गई। रिपोर्ट्स की मानें तो असद को जहाँ दो गोलियाँ लगीं, वहीं शूटर गुलाम को एक ही गोली लगी थी जो पीठ में लगकर दिल और सीने को चीरते हुए निकली और उसकी मौत हो गई।
शवों का पोस्टरमार्टम होने के बाद भी असद और गुलाम का शव देर रात तक पोस्टमार्टम हाउस में पड़ा रहा। न असद के परिवार में से कोई उसका शरीर लेने आया और न ही गुलाम के परिवार से कोई उसका शव लेने आया। बताया जा रहा है कि गुलाम के खिलाफ हुई कार्रवाई से उसके अपने परिजन भी संतुष्ट हैं उन्होंने कहा है कि पुलिस ने गुलाम के साथ सही किया।