Friday, November 22, 2024
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‘इतनी कट्टर हो गई थी, कोई इस्लाम न कबूलता तो हत्या भी कर देती’ : ‘द केरल स्टोरी’ की असल कहानी, पीड़िता की जुबानी

श्रुति ये बताने का प्रयास करती हैं कि कैसे ये लोग धार्मिक प्रथाओं पर सवाल खड़ा करते हैं और जवाब न दो तो धर्म को और बुरा बताते जाते हैं। जब पीड़िता उस स्तर पर पहुँच जाती है कि उसके मन में सवाल खड़े हो तो वो अपने मजहब, अपनी विचारधारा का महिमामंडन करते हैं।

‘द केरल स्टोरी’ फिल्म की रिलीज के बाद कई लोग सामने आकर जबरन करवाए जा रहे इस्लामी धर्मांतरण के मुद्दे पर अपनी कहानियाँ साझा कर रहे हैं। ऐसे में ऑपइंडिया ने कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों का शिकार हुई कुछ पीड़िताओं से मुलाकत की। इनमें एक श्रुति भी हैं जो कासरगोड की रहने वाली हैं।

श्रुति ने ऑपइंडिया से बातचीत में बताया कि उन्हें इस हद तक कट्टरपंथी बना दिया गया था कि अगर कोई उनकी विचारधारा नहीं मानता और इस्लाम में कन्वर्ट करने से मना करता तो वह उसकी हत्या भी कर सकती थीं।

उनका कथिततौर पर केरल के मल्लापुरम के सेंटर में ब्रेनवॉश किया गया था। उनके भीतर न सिर्फ हिंदू धर्म के बारे में उल-जुलूल भरा गया था बल्कि देश को लेकर भी गलत सिखाया जाता था। उन्हें कहा जाता था – “भारत तुम्हारा मुल्क नहीं है। ये काफिरों का देश है। तुम्हारा देश वो है जहाँ से पैगंबर थे।”

श्रुति के अनुसार, उन्हें समझाया जाता था कि कैसे पूरे देश में इस्लाम का प्रसार करना चाहिए और देश को दारुल इस्लाम बनाना चाहिए। वे इतने सफाई से ऐसा करते हैं कि जो उनको सुनता है वे उनकी बातों पर विश्वास करने लगता है। आप यह मानने लगते हैं कि काफिरों के साथ जीना असंभव है।

श्रुति हैरान करने वाला खुलासा करते हुए कहती हैं, “मैं इतना कट्टरपंथी बन गई थी कि मैं हर उस व्यक्ति को इस्लाम में परिवर्तित करना चाहती थी जिसे मैं जानती था। मैं वास्तव में उन लोगों को मारने के लिए भी तैयार थी, जिन्होंने इस्लाम में परिवर्तित होने से इनकार कर दिया था।”

उन्होंने समझाया कि कैसे एक सुनियोजित ढंग से पूरा सिंडिकेट काम करता है। इन्हें कई इस्लामी समूह सपोर्ट देते हैं। इसके बद यह लोग उन लोगों को निशाना बनाते हैं जो अपनी धार्मिक जड़ों से कमजोर होते हैं।

श्रुति के अनुसार, पहले ऐसी लड़कियों को तलाशा जाता है जिन्हें हिंदू धर्म के बारे में ज्यादा न पता हो। इसके बारे में इन्हें इनके धर्म के बारे में भड़काया जाता है जिसका जवाब उन लड़कियों पर नहीं होता। पीड़िता बताती हैं कि ब्रेनवॉश करने की प्रक्रिया में ये लोग पूछते हैं कि भगवान राम को तुम पूजते हो? बताओ उन्होंने अपनी पत्नी को क्यों छोड़ा? महिलाओं को उन्होंने क्या इज्जत दी? तुम कृष्ण को पूजते हो जिनकी इतनी पत्नियाँ थीं? तुम बंदरों को मानते हो।

श्रुति ये बताने का प्रयास करती हैं कि कैसे ये लोग धार्मिक प्रथाओं और उसकी सामग्री पर सवाल खड़ा करते हैं और जब जवाब न दो तो वो धर्म को और बुरा बताते जाते हैं। जब पीड़िता उस स्तर पर पहुँच जाती है कि उसके मन में सवाल खड़े हो तो वो अपने मजहब, अपनी विचारधारा का महिमामंडन करते हैं। एक समय आता है कि पीड़िता को उसकी आदत हो जाती है। उनकी विचारधारा धीमे जहर की तरह काम करती है। श्रुति उस पूरे सिस्टम के बारे में बात करती हैं जिससे देश भर में ऐसे अपराध अंजाम दिए जा रहे हैं।

बता दें कि श्रुति ने इस इंटरव्यू में जो खुलासे किए वही कहानी सुदीप्तो सेन ‘द केरल स्टोरी’ के जरिए दिखा चुके हैं। इसमें उन्होंने बताया कि कैसे लड़कियों को निशाना बनाकर इस्लाम कबूल करवाया जाता है फिर ISIS में शामिल होने भेज दिया जाता है। ये फिल्म सत्य घटनाओं पर आधारित है। कॉन्ग्रेस समेत कई इस्लमी समूहों ने इसे नकारने का प्रयास किया। उन्होंने इसे प्रोपेगेंडा बताया। इसकी स्क्रीनिंग होने से रोकी। इसके बावजूद तमाम लोग आगे बढ़कर आए जिन्होंने इसे सराहा। हिंदू महिलाएँ सामने आईं जिन्होंने अपने निजी अनुभवों को मीडिया में बताया और दावा किया कि द केरल स्टोरी बिलकुल निराधार नहीं है-समाज में ऐसा होता है।

नोट: इंटरव्यू को अंग्रेजी में आप इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

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