मध्य प्रदेश के सीहोर स्थित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (NIMHR) के डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक को नौकरी से निकाल दिया गया है। उसके अवैध तरीके से कक्षाएँ लेने, हिंदू चरित्रों की गलत व्याख्या करने और मनमाने तरीके से संस्थान को चलाने के तौर-तरीकों को लेकर जनवरी 2023 में ऑपइंडिया ने विस्तार से एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट के बाद उसके खिलाफ जाँच शुरू हुई थी। साथ ही उससे ग्वालियर में निर्माणाधीन डिसेबल स्पोर्ट सेंटर के उपनिदेशक का अतिरिक्त प्रभार भी छीन लिया गया था।
ऑपइंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट आप इस लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं
ऑपइंडिया की रिपोर्ट के बाद मोहम्मद अशफाक की बर्खास्तगी को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) भी आंदोलनरत था। सीहोर के विधायक सुदेश राय ने भी केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक को पत्र लिखकर कार्रवाई की माँग की थी। NIMHR इसी केंद्रीय मंत्रालय के अधीन आता है। जाँच के दौरान संस्थान में आर्थिक अनियमितता भी सामने आई थी। 22 मई 2023 को NIMHR के डायरेक्टर ने मोहम्मद अशफाक की बर्खास्तगी का आदेश जारी किया। इसमें कहा गया है कि डिप्टी रजिस्ट्रार के पद पर मोहम्मद अशफाक की नियुक्ति दो साल के प्रोबेशन पर 30 मई 2022 को की गई थी। अब उसकी सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का फैसला किया गया है।
मोहम्मद अशफाक के खिलाफ PMO को पत्र
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (NIMHR) के छात्रों ने 16 दिसंबर 2022 को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को तीन पन्नों का एक पत्र भेजा था। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक को भी इस पत्र की कॉपी भेजी गई थी। पत्र में NIMHR के डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक पर संस्थान को मनमाने तरीके से संचालित करने, कक्षा लेने, ऐतिहासिक हिंदू चरित्रों की विकलांगता के संदर्भ में गलत व्याख्या करने, छात्रों को करियर बर्बाद करने की धमकी देने जैसे आरोप लगाए गए थे।
पत्र में कहा गया था कि मोहम्मद अशफाक आसपास के इलाकों के अपने समुदाय के लोगों को संस्थान के नाम पर अनुचित लाभ दिलाने का वादा करते हैं। कथित इस्लामी तौर-तरीकों से संस्थान का माहौल किसी ‘पागलखाने’ जैसा कर दिया है। पत्र में इसके कारण छात्रों के भारी ‘मानसिक दबाव’ में होने की बात कही गई थी। पत्र में कहा गया था, “तत्काल संस्थान पर ध्यान दीजिए वरना यह पूरी तरह जेहादी अड्डा बन जाएगा। वह (मोहम्मद अशफाक) हमारा भविष्य खराब करने की धमकी देता है, इसलिए यह पत्र आपको बिना साइन के भेज रहे हैं। आप इस राष्ट्रीय संपत्ति को जेहादी से बचा लीजिए।”
ऑपइंडिया की रिपोर्ट
छात्रों की शिकायत के बाद इस मामले पर लंबी खामोशी रही। मीडिया में इस घटना की रिपोर्टिंग तक नहीं हुई। ऑपइंडिया ने 23 जनवरी 2023 को पहली बार इस संस्थान की दुर्दशा पर रिपोर्ट प्रकाशित की। हमसे बातचीत में मोहम्मद अशफाक ने क्लास लेने की बात तो कबूली थी, लेकिन अन्य आरोपों को खारिज कर दिया है। उसका कहना था कि कम अटेंडेंस के कारण कुछ छात्रों को परीक्षा देने से रोका गया है, उन्होंने ही शिकायत की होगी। लेकिन जब हमने संस्थान के कुछ छात्रों और कुछ पूर्व तथा वर्तमान कर्मचारियों से बात की तो जो तथ्य सामने आए वे इस बात की पुष्टि कर रहे थे कि इस संस्थान को नियमों को ताक पर रखकर संचालित किया जा रहा है। यह बात भी सामने आई थी कि मोहम्मद अशफाक की नियुक्ति से पहले संस्थान में ऐसा माहौल नहीं था।
फिर मेनस्ट्रीम मीडिया की टूटी नींद
ऑपइंडिया की रिपोर्ट के बाद दिल्ली से पीएमओ की जाँच टीम सीहोर गई। मोहम्मद अशफाक से पूछताछ हुई। विजिलेंस की टीम ने उसके खिलाफ आर्थिक गबन के आरोपों की जाँच शुरू की। उससे ग्वालियर के सेंटर का अतिरिक्त प्रभार वापस ले लिया गया। इसके बाद मेनस्ट्रीम मीडिया और स्थानीय अखबारों ने इस मामले की रिपोर्टिंग शुरू की। एबीवीपी जैसे छात्र संगठन और स्थानीय जन प्रतिनिधि भी आगे आए।
क्या है NIMHR
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (NIMHR) अपनी तरह का देश का इकलौता संस्थान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि की उपज है। मध्य प्रदेश के सीहोर में 2019 में इसकी शुरुआत हुई। फिलहाल पुराने जिला पंचायत भवन से इसका संचालन हो रहा है। भोपाल-इंदौर हाइवे पर सीहोर जिले के सैकड़ाखेड़ा गाँव में करीब 25 एकड़ जमीन पर करीब 180 करोड़ रुपए की लागत से संस्थान का कैंपस तैयार हो रहा है। देश के इस पहले राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान में 9 विभाग होंगे। 12 पाठ्यक्रमों का संचालन होना है। फिलहाल 3 पाठ्यक्रम चल रहे हैं। ये हैं;
- डिप्लोमा इन वोकेशनल रिहैबिलिटेशन इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी (DVR-ID)
- डिप्लोमा इन कम्युनिटी बेस्ड रिहैबिलिटेशन (DCBR)
- सर्टिफिकेट कोर्स इन केयर गिविंग (CCCG)
DVR-ID एक साल, DCBR दो साल और CCCG दस महीने का पाठ्यक्रम है। प्रत्येक पाठ्यक्रम में 30-30 सीटें हैं। फिलहाल संस्थान में 100 से ज्यादा छात्र हैं। इनमें करीब 60 फीसदी छात्राएँ बताई जाती हैं।
संस्थानों की आवाज बनिए
मोहम्मद अशफाक पर मजहबी जूनून में एक राष्ट्रीय स्तर के संस्थान का मदरसे सा हाल करने का आरोप था। पर हम जानते हैं कि हमारे संस्थानों में मजहबी घुसपैठ का यह इकलौता उदाहरण नहीं है। मध्य प्रदेश के ही इंदौर के एक सरकारी लॉ कॉलेज में पढ़ाई की आड़ में लव जिहाद और मजहबी कट्टरता को बढ़ावा देने, देश और सेना के खिलाफ दुष्प्रचार किए जाने का मामला सामने आ चुका है। जरूरत है अपने हरेक संस्थानों को ऐसे मोहम्मद अशफाकों से बचाने की। इसलिए आवश्यक है कि अपने आसपास के संस्थानों की गतिविधियों पर नजर रखिए। कुछ भी संदिग्ध दिखे तो आवाज उठाइए। आवाज उठाना जरूरी है। ऑपइंडिया ने भी आवाज ही उठाई थी। आज परिणाम सामने है!