Friday, November 22, 2024
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जिस ‘मुस्लिम बोर्डिंग’ की राजश्री साहू महाराज ने की थी स्थापना, उसकी ₹3500 करोड़ की संपत्ति पर अब वक्फ ने जमाया हक: पंजीकरण से संगठन के अधिकारी नाराज

संगठन के उपाध्यक्ष आदिल फरास का भी कहना है, "सामान्य कानून के अनुसार, वक्फ बोर्ड को इस बदलाव के संबंध में नोटिस जारी करना चाहिए था। हमें तो ऐसा कोई नोटिस ही नहीं मिला। हम अपना स्टैंड लेंगे तब सोसायटी के अध्यक्ष और प्रशासक हज यात्रा से लौट आएँगे।"

महाराष्ट्र के कोल्हापुर की मोहम्मदेन एजुकेशन सोसायटी और उसकी 3500 करोड़ रुपए की संपदा पर राज्य वक्फ बोर्ड ने अपना कब्जा कर लिया है। ये सोसायटी राजश्री साहू महाराज ने साल 1906 में स्थापित की थी जिसे किंग एडवर्ड मोहम्मदेन एजुकेशन सोसायटी उर्फ मुस्लिम बोर्डिंग भी कहा जाता है।

23 जून को इसी सोसायटी के ट्रस्टी को वक्फ बोर्ड ने कहा कि उन्होंने ध्यानपूर्वक सारे दस्तावेजों को छाना और ये पता चला कि ये संस्थान वक्फ का है। वहीं सोसायटी ये बात कहती रही कि इस संस्थान को वक्फ बोर्ड नहीं चलाता है।

बता दें कि वक्फ संपत्तियाँ वो होती हैं जिन्हें किसी शख्स ने अल्लाह के नाम पर दान में दे दिया हो और वक्फ उसका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए करता हो। इस मामले में टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट बताती है, मुस्लिम बोर्डिंग को वक्फ बोर्ड से रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और रजिस्ट्रेशन नंबर भी मिल गया है। संगठन को पहले राज्य चैरिटी आयुक्त द्वारा अधिकृत किया गया था।

वक्फ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एमबी तहसीलदार ने इस संबंध में बताया कि वो उन्हें वो सबूत संतोषजनक लगे जो ये साबित करने के लिए दिखाए गए थे कि मोहम्मदेन एजुकेशन सोसायटी हकीकत में वक्फ की संपत्ति है और उसे वक्फ एक्ट 1995 के तहत संचालित होना चाहिए। उन्होंने बताया कि इन सबूतों में साहू महाराज द्वारा जारी सनद भी थे। इसमें वक्फ संपत्तियों की बिक्री और खरीद पर सख्त प्रतिबंध कानून द्वारा लगाए गए हैं।

उल्लेखनीय है कि एक अध्यक्ष की देखरेख में एक समिति मुस्लिम बोर्डिंग के लिए दैनिक व्यवसाय का संचालन करती है। मजहब और शिक्षा से जुड़ी गतिविधियाँ संस्था की देखरेख में होती हैं। ऐसे में अधिकारियों की इच्छा नहीं है कि ये संस्थाएँ वक्फ बोर्ड के कड़े नियमों के तहत चलें। अधिकारी इसे स्वतंत्र रखना चाहते हैं क्योंकि शाह महाराज ने शैक्षिक लक्ष्यों को देखते हुए इसकी स्थापना की थी।

संगठन के उपाध्यक्ष आदिल फरास का भी कहना है, “सामान्य कानून के अनुसार, वक्फ बोर्ड को इस बदलाव के संबंध में नोटिस जारी करना चाहिए था। हमें तो ऐसा कोई नोटिस ही नहीं मिला। हम अपना स्टैंड लेंगे तब सोसायटी के अध्यक्ष और प्रशासक हज यात्रा से लौट आएँगे।” टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट, बताती है कि मुस्लिम बोर्डिंग को वक्फ संपति बताते हुए वक्फ बोर्ड ने मुस्लिम बोर्डिंग से उनके सदस्यों की एक लिस्ट, वित्तीय रिकॉर्ड और अन्य जानकारी भी माँगी है। इसमें पंजीकरण में बदलाव के बारे में राज्य चैरिटी आयुक्त कार्यालय को भी सूचित किया गया है। साथ ही कहा गया है कि अब से संपत्ति का मालिकाना हक उसके पास होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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