कॉन्ग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है। एक के बाद एक कई नेताओं ने पार्टी का हाथ छोड़ दूसरी पार्टी का दामन थाम लिया है। इसी कड़ी में त्रिपुरा कॉन्ग्रेस अध्यक्ष प्रद्योत किशोर देबबर्मन के इस्तीफ़ा देने के बाद बुधवार (25 सितंबर) को 10 और नेताओं ने पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी है। पार्टी छोड़ने वाले नेताओं ने यहाँ तक चेताया है कि वो जल्द ही एक नया राजनीतिक दल बना सकते हैं। यह नया राजनीतिक दल आदिवासी और ग़ैर-आदिवासियों के मुद्दों पर ध्यान देगा।
नए राजनीतिक दल की संभावनाओं के विषय पर श्रीदाम देबबर्मन ने बताया कि अंतिम फ़ैसला प्रद्योत किशोर की सलाह के बाद लिया जाएगा। उन्होंने संभावना जताई कि अगर नई पार्टी अस्तित्व में आई तो अगले साल होने वाले एडीसी चुनाव में वो हिस्सा लेगी।
त्रिपुरा कॉन्ग्रेस के महासचिव दिनेश देबबर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,
“हमने कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव लुइजिन्हो फ्लेरियो को त्रिपुरा में पार्टी की मौजूदा स्थिति से अवगत कराया था। ऐसे हालातों में महाराज प्रद्योत किशोर के पास इस्तीफ़ा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।”
इस्तीफ़ा देने वाले नेताओं ने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने फ्लेरियो के ख़िलाफ़ बातें लिखी थी। इस पत्र में नेताओं ने फ्लोरियो पर ग़ैर ज़रूरी हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया, इसी वजह से 2013 के विधानसभा चुनाव में सीपीएम ने बड़े अंतर के साथ जीत हासिल की थी।
वहीं, प्रद्योत देबबर्मन का कहना था, “आलाकमान ने मुझे NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के लिए त्रिपुरा में दायर एक याचिका वापस लेने के लिए कहा था, लेकिन मैं राज़ी नहीं हुआ।” पार्टी छोड़ने वाले नेताओं का दावा था कि महाराज प्रद्योत को इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि उन्होंने NRC लागू करने का माँग की थी और भ्रष्ट नेताओं के साथ किसी भी तरह का समझौता करने से इनकार कर दिया था।
दरअसल, त्रिपुरा के माणिक्य राजपरिवार से संबंध रखने वाले प्रद्योत देबबर्मन ने त्रिपुरा में NRC की समीक्षा की पैरवी की थी। उन्होंने इस संबंध में 22 अक्टूबर 2018 को शीर्ष अदालत में एक याचिका भी दायर की थी।