जापान में लोग काफी समय से ज्यादा बच्चे पैदा करने में रूचि नहीं दिखा रहे। जन्म दर बढ़ाने के लिए सरकार ने कई तरह के कदम उठाए। फिर भी नतीजे निराशाजनक रहे। लेकिन जापान की एक कंपनी ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिससे जन्म दर बढ़ने की जापान की उम्मीदों को नया बल मिला है। इस कंपनी ने अपने वर्क कल्चर में बदलाव करते हुए देर रात काम पर रोक लगा दी। ओवरटाइम खज्म कर दिया। इससे न केवल कंपनी का टर्न ओवर बढ़ा, बल्कि कर्मचारियों के बच्चों की संख्या भी बढ़ी है।
इस कंपनी का नाम है इटोचू कॉर्प। साल 2010 में इस कंपनी के सीईओ बने मसाहिरो ओकाफूजी ने कई बड़े फैसले लिए। जहाँ एक ओर ओवर टाइम और नाइट शिफ्ट ओर जोर दिया जा रहा है, वहीं मसाहिरो ने रात 8 बजे के बाद कंपनी में काम करने पर रोक लगा दी। साथ ही बहुत जरूरी नहीं होने पर ओवर टाइम सिस्टम भी खत्म कर दिया।
कंपनी के सुरक्षाकर्मी और एचआर विभाग के कर्मचारी इस नीति को सुनिश्चित करने के लिए खुद रात के आठ बजे ही कंपनी का राउंड लगाते। जो भी कर्मचारी मिलता उसे घर जाने को कहते।देर रात काम की जगह कर्मचारियों से सुबह थोड़ा जल्दी आकर काम करने के लिए कहा जाने लगा। कंपनी ने सुबह जल्दी आकर काम करने वाले लोगों को अधिक पैसा भी देना शुरू कर दिया।लेकिन मसाहिरो ओकाफूजी के सीईओ बनने के बाद एचआर से लेकर गार्ड्स तक कर्मचारियों को 8 बजते ही घर जाने के लिए कहना शुरू कर देते थे। इसके बदले में कर्मचारियों को सुबह थोड़ा जल्दी आकर काम करने के लिए कहा जाता था। रात में जल्दी घर जाना और सुबह जल्दी ऑफिस आना तक तो फिर भी ठीक था। लेकिन कंपनी ने सुबह जल्दी आकर काम करने वाले लोगों को अधिक पैसा देना शुरू कर दिया। फिर क्या था कर्मचारी दिन में मन लगाकर काम करते और रात को टाइम से अपने घर पहुँच जाते।
एक दशक बाद यानी कि साल 2021 में जब कंपनी ने आँकड़े देखे तो पता चला कि प्रत्येक कर्मचारी के काम में 5 गुना की बढ़ोतरी हुई है। यही नहीं कंपनी के इस फैसले ने जापान की जन्म दर दोगुनी करने का ख्वाब भी जिंदा कर दिया। दरअसल, इस फैसले के बाद कंपनी मैनेजमेंट के सामने आया कि अपेक्षाकृत अधिक महिला कर्मचारियों ने मैटर्निटी लीव ली। साथ ही बच्चों को जन्म देने के बाद वे काम पर वापस भी आ गईं। इन आँकड़ों से कंपनी का मैनजमेंट हैरान रह गया।
जापान की सरकार जन्म दर बढ़ाने के लिए तमाम संसाधनों और प्रचार के कई तरीकों का उपयोग कर रही थी। यहाँ तक कि बच्चे पैदा करने पर पैसे भी दिए जा रहे थे। इसके बाद भी जन्म दर में बढ़ोतरी नहीं हो रही थी। लेकिन कंपनी के एक फैसले ने सब कुछ बदलकर रख दिया। अब कंपनी की प्रत्येक महिला कर्मचारी के पास औसतन दो बच्चे हैं। वहीं जापान की वर्तमान जन्म दर 1.3 है। इसका मतलब साफ है कि कंपनी की महिलाएँ बच्चे पैदा करने में देश की अन्य महिलाओं से कहीं अधिक आगे निकल गईं। कंपनी के मैनेजमेंट का कहना है कि वह तो प्रोडक्शन बढ़ाने निकले थे। उन्हें नहीं पता था कि इससे देश के लोगों का प्रोडक्शन बढ़ जाएगा।
इसके अलावा कंपनी ने कोरोना महामारी के दौर में भी कर्मचारियों को कई बड़ी छूट दी थी। मसलन कर्मचारी सप्ताह में दो दिन घर से काम कर सकते थे। इसके अलावा वर्किंग ऑवर यानी काम करने के घंटे भी 8 से घटाकर 6 कर दिए गए थे। माना जा रहा है कि इससे भी जनसंख्या वृद्धि में सहायता मिली है।