मणिपुर हिंसा मामले में सोमवार (7 अगस्त, 2023) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने हिंसा की जाँच तथा राहत व पुनर्वास के काम की देखरेख के लिए हाई कोर्ट की 3 रिटायर्ड महिला जजों की न्यायिक समिति बनाई है। साथ ही सीबीआई (CBI) जाँच की निगरानी के लिए अधिकारी की नियुक्ति की है। वहीं, राज्य सरकार 42 SIT का गठन उन मामलों की जाँच के लिए करेगी जो सीबीआई के पास नहीं हैं।
मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल की अध्यक्षता में न्यायिक कमिटी बनाई। इस कमिटी में दिल्ली हाई कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश आशा मेनन और बॉम्बे हाई कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश शालिनी पनसाकर जोशी सदस्य के रूप में होंगी। यह कमिटी मुआवजे और पुनर्वास अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, यह न्यायिक कमिटी मणिपुर में हुई हिंसक घटनाओं की सीबीआई और मणिपुर पुलिस द्वारा की जा रही जाँच की निगरानी भी करेगी। यही नहीं, यह कमिटी राज्य में चल रहे राहत और बचाव कार्य, मुआवजा, पुनर्वास, समेत सभी मानवीय मुद्दों की देखरेख करेगी।
इसके अलावा कोर्ट ने कहा है कि महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी और एनआईए अधिकारी दत्तात्रेय पडसलगीकर भी जाँच एजेंसियों द्वारा विभिन्न स्तर पर की जा रही जाँच की निगरानी करेंगे। वह जाँच कर मामले की रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट को सौंपेंगे। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार ने यौन हिंसा से जुड़ी 11 एफआईआर सीबीआई को ट्रांसफर करने की बात कही थी। इसे कोर्ट द्वारा मंजूरी दे दी गई है। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सीबीआई टीम में कम से कम 5 अधिकारी डीएसपी रैंक के हों। ये अधिकारी ऐसे राज्यों से शामिल किए जाएँ जहाँ हिंदी बोली जाती है।
मणिपुर में हुई हिंसक घटनाओं की जाँच के लिए राज्य सरकार ने 42 एसआईटी बनाने की बात कही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर SIT में कम से कम एक इंस्पेक्टर दूसरे राज्य से होना चाहिए। साथ ही, दूसरे राज्यों से डीआजी रैंक के 6 अधिकारी होंगे।