संदिग्ध संगठन माइल्स2स्माइल NGO के संस्थापक आसिफ मुजतबा ने रविवार (20 अगस्त, 2023) को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक थ्रेड साझा किया, जिसमें हरियाणा सरकार पर उनके संगठन द्वारा तीन वर्षों में बनाए गए झुग्गियों/घरों को ध्वस्त करने का आरोप लगाया गया। उन्होंने कहा कि हरियाणा के नूहं जिले के फिरोजपुर झिरका का दौरा करने के बाद उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे कि मैं किसी युद्ध क्षेत्र में हूँ। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली (भाजपा) हरियाणा सरकार द्वारा अवैध निर्माण पर कार्रवाई के दौरान उनके संगठन द्वारा निर्मित कुल 106 मकानों/झुग्गियों को ध्वस्त कर दिया गया था।
Returning from #FirozpurJhirka at #Nuh feels like coming back from a war zone. One of the village of #FirozpurJhirka called #DoodhGhati looks like an earthquake affected area. In the entirety of 3.5 years of our relief works through #Miles2smile , I have never seen the… pic.twitter.com/xcsT5ZQXAF
— Aasif Mujtaba (@MujtabaAasif) August 20, 2023
उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “फिरोज़पुर झिरका से नूहं लौटते हुए ऐसा महसूस हो रहा है जैसे किसी युद्ध क्षेत्र से वापस आ रहे हैं। फ़िरोज़पुर झिरका का एक गाँव, जिसे दूधघाटी कहा जाता है, जो अब भूकंप प्रभावित क्षेत्र जैसा दिख रहा है। माइल्स2स्माइल के माध्यम से हमारे राहत कार्यों के पूरे 3.5 वर्षों में, मैंने बुलडोज़र द्वारा इतनी बड़ी तबाही कभी नहीं देखी। प्रशासन द्वारा कुल 106 झुग्गियों को जमींदोज कर दिया गया।”
55 years old Mamuri used to live with her joint family at the #DoodhGhati village. On the fateful day, the administration bulldozed the entire house, not giving her time to take out household goods from her house. + pic.twitter.com/P3Hq9xFZDZ
— Aasif Mujtaba (@MujtabaAasif) August 20, 2023
अपने पोस्ट में उन्होंने यहाँ तक दावा किया कि दूधघाटी के लोगों को उनके घरों से घरेलू सामान निकालने तक का समय नहीं दिया गया। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने दावा किया कि प्रशासन द्वारा अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान उनके संगठन माइल्स2स्माइल द्वारा निर्मित झुग्गियाँ में मौजूद सामान को बुलडोजर के नीचे कुचल दिया गया।
Through @miles2smile_ we have started relief & rehabilitation work in the village. We have also made lists as per priority and are hoping to relocate & rebuild houses of some of the families. pic.twitter.com/nKk22nAVYi
— Aasif Mujtaba (@MujtabaAasif) August 20, 2023
उन्होंने हरियाणा प्रशासन पर यहाँ तक आरोप लगाया कि लोगों को बिस्तर से सीधे उठाकर उनके झुग्गियों पर बुलडोजर चला दिया गया। हालाँकि, आसिफ ने गाँव में राहत कार्य के नाम पर फिर से निर्माण शुरू कर दिया है, जिसका लक्ष्य प्रभावितों के लिए घरों का पुनर्निर्माण करना है।
माइल्स2स्माइल्स ने नूहं के रोहिंग्याओं के लिए चलाए गए एक अभियान में पहले ही 2.52 लाख की राशि एकत्र कर ली है। जहाँ आसिफ नूहं के नगीना में अवैध ढाँचे गिराए जाने के बाद यह अभियान चला रहे हैं। वहीं यह भी बता दें कि नूहं हिंसा के दौरान दंगाइयों ने नगीना में एक बीजेपी नेता की तेल मिल को जला दिया था। बीजेपी के शिव कुमार आर्य की दुकान को लूटकर जला दिया गया। उन्हें 1.5 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा।
माइल्स2स्माइल क्या है?
दरअसल, माइल्स2स्माइल फाउंडेशन एक संदिग्ध संगठन है जिसने अवैध रोहिंग्याओं और 2020 में दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों के मुस्लिम पीड़ितों को मदद करने के लिए राहत कार्य के नाम पर समय-समय पर, संगठन ने अपने अभियानों के माध्यम से धन इकठ्ठा किया है और उनके रहने के लिए कच्चे-पक्के झुग्गियों का निर्माण किया है, साथ ही अवैध रोहिंग्याओं के बच्चों के लिए शिक्षा आदि की व्यवस्था की। सामान्य शब्दों में, यह एक ऐसा संगठन होने का दावा करता है जो संकटग्रस्त व्यक्तियों या समूहों को राहत और पुनर्वास प्रदान करता है और हाशिये पर खड़े और वंचितों का शैक्षिक उत्थान करता है।
इतना ही नहीं माइल्स2स्माइल को फण्ड उपलब्ध कराने के लिए प्रोपेगेंडा पोर्टल ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर सहित कई अन्य लेफ्ट-लिबरल ‘पत्रकारों’ ने भी अभियान चलाकर इस संस्था का पेमेंट लिंक साझा किए, जिनमें लोगों से एम2एस के अभियानों के लिए आर्थिक सहायता देने की बात कही गई थी।
बताया जाता है कि माइल्स2स्माइल फाउंडेशन की स्थापना दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगों के बाद मुस्लिम पीड़ितों का सहायता प्रदान करने के लिए करने के लिए बना था। इसने मुस्लिमों के लिए चिकित्सा शिविरों से लेकर आरोपितों को कानूनी सहायता तक प्रदान की। संगठन सीधे-सीधे मुस्लिमों और अवैध रोहिंग्या घुसपैठियों सहायता प्रदान करता है।
माइल्स2स्माइल्स का रोहिंग्या कनेक्शन
ऑपइंडिया ने अप्रैल 2022 में रिपोर्ट की थी कि माइल्स2स्माइल्स संगठन ने हरियाणा के नूहं में रोहिंग्या शिविर में एक शिक्षण केंद्र स्थापित की थी। फाउंडेशन ने हरियाणा के नूहं में शरणार्थी शिविरों में रोहिंग्या बच्चों के लिए कुरान की कक्षाओं की भी व्यवस्था की थी।
वहीं इस साल जनवरी में संगठन ने ट्विटर पर दावा किया था कि उसने हरियाणा के नूहं में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए निर्माण कार्य के लिए धन जुटाया था और कई घर भी बनाई थीं। गौरतलब है कि नूहं हरियाणा के मेवात से संबंधित है, यह क्षेत्र “मिनी पाकिस्तान” के रूप में भी कुख्यात है, जहाँ हिंदुओं के अपहरण, बलात्कार और जबरन धर्म परिवर्तन की रिपोर्ट नियमित रूप से सामने आती रही हैं।
आसिफ मुज्तबा ने मार्च 2022 में एक ट्वीट किया था कि रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हो रहे अत्याचार और नरसंहार को देखना उनके लिए दिल दहला देने वाला था। ऐसे में नूहं और दिल्ली में रोहिंग्याओं के साथ काम करने पर खुशी व्यक्त की थी।
क्या माइल्स2स्माइल्स ने अवैध रूप से घर बनाए?
हरियाणा के नूहं जिले में मुस्लिम भीड़ द्वारा हिंसा फैलाने की घटनाओं के कुछ दिनों बाद, हरियाणा सरकार ने गुरुवार, 3 अगस्त 2023 को 200 से अधिक दंगाइयों के अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई की। अतिक्रमण हटाओ अभियान कुछ दिनों तक जारी रहा। इसके बाद पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष 17 अगस्त को पेश किए गए एक हलफनामे में, नूहं जिले के उपायुक्त (डीसी) धीरेंद्र खडगटा ने अवैध निर्माण के खिलाफ राज्य प्रशासन द्वारा हाल ही में चलाए गए अभियान के संबंध में “पिक एंड चूज़ नीति” के आरोपों का खंडन किया।
डीसी ने बताया कि अधिकांश अतिक्रमणकारियों को दो से छह साल पहले उनके अवैध निर्माण से संबंधित नोटिस जारी किए गए थे। हलफनामे में कहा गया है कि पाँच विभागों, सार्वजनिक प्राधिकरणों और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) ने 7 अगस्त तक नूहं में अपने संबंधित क्षेत्रों में नियमित अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया था।
हलफनामे में कहा गया है, “यहाँ यह उल्लेख करना जरुरी है कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने डीपीसी स्तर पर दुकानों, मस्जिदों और झुग्गियों की नींव के रूप में अनधिकृत निर्माण का पता लगाया था।”
400 पन्नों के हलफनामे के अनुसार, नूहं में अतिक्रमण हटाओ अभियान से कुल 354 लोग प्रभावित हुए, जिनमें से 71 हिंदू और 283 मुस्लिम थे। इसके अलावा, यह भी कहा गया कि ध्वस्त की गई 38 दुकानों में से 55 प्रतिशत दुकानें हिंदुओं की थीं। बताया गया कि कुल 443 संपत्तियाँ ध्वस्त की गईं, जिनमें 162 स्थायी जबकि 281 अस्थायी थीं। हलफनामे में इस बात पर भी जोर दिया गया कि जाति, पंथ या धार्मिक विचारों का सरकार के फैसलों पर कोई असर नहीं पड़ता।
हलफनामे के अनुसार, 2011 की जनगणना के अनुसार, जिले की कुल आबादी 10,89,263 थी, जिसमें 79.20 प्रतिशत मुस्लिम और 20.37 प्रतिशत हिंदू थे। “2011 की जनगणना स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि नूहं मुस्लिम बहुल जिला है। इसके अलावा, 2023 में नूहं में 14,21,933 लोगों के रहने का अनुमान है। यहाँ यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नूहं जिले में क्रमशः फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना तहसील में मुस्लिमों की आबादी लगभग 87% है।”
जैसा कि सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नूहं में जिन भी निर्माण पर कार्रवाई हुई वो संरचनाएँ अवैध थीं। ऐसे में क्या इसका मतलब यह है कि माइल्स2स्माइल संगठन ने नूहं में अवैध रोहिंग्या घुसपैठियों के लिए “राहत कार्य” के रूप में घरों या झुग्गियों के निर्माण से पहले प्रशासन से पूर्व अनुमति नहीं ली थी? जबकि माइल्स2स्माइल फाउंडेशन स्पष्ट रूप से अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार कर रहा है कि उसके द्वारा बनाई गई अर्ध-स्थायी” घर/झुग्गियाँ अवैध थीं क्योंकि सरकार द्वारा दो साल से अधिक समय पहले से ही नोटिस देने के बाद उन्हें ध्वस्त किया गया था। विशेष रूप से, उनके रोहिंग्यों और दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगो के मुस्लिम पीड़ितों के लिए चलाये गए रहत कार्यों की की रिपोर्ट ऑपइंडिया द्वारा 2021 में की गई थी, जो सरकार के हलफनामे से मेल खाता है कि अतिक्रमण दो वर्षों से अधिक पुराना है और लम्बे समय से वहाँ अवैध निर्माण हो रहा था।
नूंह हिंसा मामले में गिरफ्तार रोहिंग्या
रिपोर्टों के अनुसार, वर्तमान में नूहं में लगभग दो हजार रोहिंग्या रह रहे हैं और उनमें से बड़ी संख्या में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी शरणार्थी कार्ड धारक हैं। हाल ही में 31 जुलाई को नूहं में हुई हिंसा में शामिल होने के कारण रोहिंग्यों पर फिर से नजर गई है। नूहं हिंसा मामले में भी पुलिस ने इन पर 20 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं और करीब 25 रोहिंग्या शरणार्थियों को गिरफ्तार किया है।
प्रारंभिक जाँच से पता चला है कि संयुक्त राष्ट्र ने इन सभी को शरणार्थी पहचान पत्र दिए थे। बता दें कि नूहं में रहने वाले ज्यादातर रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन राज्य से हैं। 2017 में हिंसा के बाद वे भारत के कई रास्तों से होते हुए नूहं आए और यहीं बस गए।