23 सितंबर को शिलांग स्थित संस्थान के निदेशक सचिवालय के प्रवेश द्वार पर स्थापित एक भगवान गणेश की मूर्ति को छात्र संघ के दबाव के कारण सोमवार (सितंबर 30, 2019) को हटा दिया गया है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) मेघालय के अधिकारियों ने मात्र एक सप्ताह पहले स्थापित हुई मूर्ति को हटाने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि वहाँ के स्थानीय छात्र निकाय का मानना था कि इससे ईसाई बहुसंख्यक राज्य में ‘सांप्रदायिक तनाव’ पैदा हो सकता है।
बता दें कि जयंतिया स्टूडेंट्स यूनियन (जेएसयू) ने गणेश प्रतिमा को प्रमुखता से प्रदर्शित करने के एनआईटी के फैसले के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया था। ईसाई-बहुल राज्य के छात्र संघ ने कहा था कि गणेश की मूर्ति की स्थापना अन्य धर्मों के लोगों की भावनाओं को आहत कर रही है।
जानकारी के मुताबिक जेएसयू ने 26 सितंबर को एनआईटी मेघालय के निदेशक विभूति भूषण बिस्वाल को ज्ञापन भेजकर मूर्ति को तत्काल हटाने की माँग की थी। जेएसयू ने कथित तौर पर निदेशक को चेतावनी दी थी कि एनआईटी मेघालय में भगवान गणेश की मूर्ति को मुख्य रूप से परिसर में स्थापित करने के फैसले से ईसाई बहुमत वाले राज्य में ‘सांप्रदायिक तनाव’ पैदा हो सकता है।
छात्र संघ के दबाव डालने के बाद निदेशक विभूति भूषण बिस्वाल ने सोमवार को कहा कि भगवान गणेश की प्रतिमा की कोई ‘स्थापना’ नहीं की गई थी। यह केवल एक ‘सजावटी वस्तु’ थी, जिसे बरामदे में रख दिया गया था। उन्होंने कहा, “इसका कोई धार्मिक एंगल नहीं था।” भूषण बिस्वाल ने कहा कि इस मूर्ति को लेकर धार्मिक मुद्दा बनाने का उनका कोई इरादा नहीं था। छात्रों ने इसे अलग तरीके से ले लिया। जिसके बाद अब इसे हटा लिया गया है।
भगवान गणेश की इस मूर्ति की कथित तौर पर एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मूर्तिकार द्वारा नक्काशी किया गया था। जेएसयू ने प्रशासन को सुझाव दिया था कि गणेश की मूर्ति के बजाय विज्ञान, कला, साहित्य आदि के क्षेत्र से किसी प्रसिद्ध व्यक्तित्व की प्रतिमा की स्थापना करनी चाहिए।