कॉन्ग्रेस ने शुक्रवार (8 सितंबर, 2023 ) को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) द्वारा आवारा कुत्तों को पकड़ने का एक वीडियो साझा किया। कॉन्ग्रेस ने आवारा कुत्तों को पकड़कर कहीं और छोड़ देने के अभियान को लेकर बीजेपी की मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की।
जबकि, दिल्ली में MCD आम आदमी पार्टी के हाथों में है, जो I.N.D.I.A. गठबंधन में कॉन्ग्रेस की प्रमुख साझेदार है। ऐसे में इस तथ्य से अनजान गठबंधन की सबसे पुरानी पार्टी ने कॉन्ग्रेस केंद्र की भाजपा सरकार पर पशु क्रूरता का आरोप लगाया।
कॉन्ग्रेस ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म (पूर्व में ट्विटर) पर दावा किया (आर्काइव), “जी20 शिखर सम्मेलन की तैयारी में मोदी सरकार द्वारा निर्दोष आवारा कुत्तों पर की गई चौंकाने वाली क्रूरता को देखने के लिए इस वीडियो को देखें। कुत्तों को उनकी गर्दन से पकड़कर घसीटा जा रहा है, लाठियों से पीटा जा रहा है और पिंजरे में डाला जा रहा है।”
Watch this video to witness the shocking cruelty inflicted upon innocent street dogs by the Modi government in preparation for the G20 summit.
— Congress (@INCIndia) September 8, 2023
Dogs are being dragged by their necks, beaten with sticks and thrown into cages. They are being denied food and water, and they are… pic.twitter.com/gObDAqiqiq
आगे यह भी दावा किया गया है, “उन्हें भूखा रखा जा रहा है, और उन्हें अत्यधिक तनाव और भय का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में यह जरूरी है कि हम इसके खिलाफ आवाज उठाएँ और इन बेजुबान पीड़ितों के लिए न्याय की माँग करें।”
कॉन्ग्रेस ने अपनी पोस्ट में जो वीडियो शेयर किया है, जिसमें ‘पीपुल्स फॉर एनिमल्स (पीएफए)’ का लोगो भी लगा था। हालाँकि, कॉन्ग्रेस का यह झूठ बहुत देर तक नहीं चल सका। ऑपइंडिया को असली वीडियो मिला, जिसे पीएफए ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम पेज पर मंगलवार (5 सितंबर, 2023) को अपलोड किया था। कैप्शन में एनजीओ ने स्ट्रीट डॉग्स को परेशान करने के लिए AAP के नेतृत्व वाले दिल्ली नगर निगम को सीधे तौर पर दोषी ठहराया है।
NGO ने केजरीवाल सरकार से पूछा है, “एमसीडी की कार्रवाइयाँ कई महत्वपूर्ण सवाल उठाती हैं: जी20 शिखर सम्मेलन मुख्य रूप से नई दिल्ली क्षेत्र में केंद्रित है, तो एमसीडी पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली से दूर के क्षेत्रों को क्यों साफ़ कर रही है? कानून के अनुसार, स्टरलाइज्ड कुत्तों को हटाया नहीं जा सकता।”
एनजीओ ने आगे सवाल किया, “माननीय SC ने सभी नगरपालिका एजेंसियों को AWBI मार्गदर्शन के तहत इन नियमों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। किसी लिखित आदेश के अभाव में, क्या एमसीडी कर्मचारी कहीं से भी कुत्ते गाड़ी में भरकर उठाने के लिए अधिकृत हैं? दो दिन के एक छोटी से इवेंट (G-20) के लिए इस तरह की भारी क्रूरता भरी कार्रवाई और खर्च को कैसे उचित ठहराया जा सकता है?”
लोगों ने कॉन्ग्रेस के फर्जी दावे पर उठाए सवाल
दरअसल, कॉन्ग्रेस ने बड़ी चालाकी से मूल वीडियो के संदर्भ और आवारा कुत्तों को स्थानांतरित करने में एमसीडी की भूमिका को नजरअंदाज कर दिया। इसके बजाय, पार्टी ने मोदी सरकार को निशाना बनाने के लिए इसे सुअवसर के रूप में भुनाने की कोशिश की।
जिस पर तन्मय शंकर ने लिखा, “अगर ऐसा है, तो AAP को I.N.D.I.A गठबंधन से हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि MCD पर AAP का नियंत्रण है।”
फिर तो INDI Alliance से “आप” को बाहर कर देना चाहिए क्योंकि MCD तो आप ही देख रही हैं। 😎
— Tanmay Shankar 🇮🇳 (@Shanktan) September 9, 2023
दूसरे ने लिखा, “एमसीडी में केजरीवाल सरकार है। उनसे पूछो।”
MCD में केजरीवाल सरकार है उनसे पूछो ।
— Vikass Singh Rajput (@vikassingh_bjp) September 8, 2023
कॉन्ग्रेस ने फैलाई जी-20 शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं का अपमान करने की झूठी खबर
हालाँकि, यह पहली बार नहीं है कि जब कॉन्ग्रेस ने जी-20 शिखर सम्मेलन के बहाने मोदी सरकार पर झूठा आरोप मढ़ने और जनता को गुमराह करने का काम किया है।
इससे पहले 7 सितंबर, 2023 को भी पवन खेड़ा और शशि थरूर जैसे कॉन्ग्रेस नेताओं ने झूठा दावा किया कि राष्ट्रीय राजधानी में होर्डिंग्स लगाए गए थे, जिसमें कथित तौर पर दिखाया गया था कि पीएम मोदी अन्य वैश्विक नेताओं की तुलना में लोकप्रियता में आगे हैं।
होर्डिंग में पीएम मोदी की तस्वीर के साथ-साथ मैक्सिको, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इटली, ब्राजील और अमेरिका के राष्ट्राध्यक्षों की तस्वीर भी है, जो हर नेता की लोकप्रियता को दर्शाता है। पीएम मोदी की छवि का आकार सबसे बड़ा है, क्योंकि उनकी लोकप्रियता 78% के साथ सबसे ज्यादा है।
शशि थरूर ने भी एक्स पर तस्वीर पोस्ट करते हुए दावा किया था कि बीजेपी अतिथि देवो भव के भारतीय दर्शन के बजाय चाटुकारिता में लगी हुई है। बाद में थरूर और खेड़ा दोनों ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया.
दरअसल, होर्डिंग की तस्वीर पुरानी थी। इसे विजय गोयल ने ‘मॉर्निंग कंसल्ट’ सर्वेक्षण के बाद पोस्ट किया था जिसमें या बताया गया था कि पीएम मोदी की लोकप्रियता अन्य नेताओं की तुलना में बहुत ज़्यादा है। बता दें कि इस सर्वेक्षण में PM मोदी 78% वोटों के साथ सबसे लोकप्रिय नेता थे।
एसोसिएटेड प्रेस की 6 अप्रैल की एक रिपोर्ट में यह तस्वीर छपी थी, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि तस्वीर कम से कम 5 महीने पुरानी थी। 12 अप्रैल की नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट में भी उसी होर्डिंग की एक अलग तस्वीर थी।