Tuesday, November 19, 2024
973 कुल लेख

अनुपम कुमार सिंह

भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

मंदिर में छेड़खानी, मस्जिद मतलब शांति: सलीम-जावेद का रामगढ़, जहाँ ‘रहीम चाचा’ ही एकलौते बेदाग मानुष

1975 में आई रमेश सिप्पी की बॉलीवुड फिल्म 'शोले', जिसकी कहानी सलीम-जावेद ने लिखी थी। यहाँ हम इसी फिल्म का पोस्टमॉर्टम करेंगे।

जब प्रतापपुर में गिरी थीं 13 लाशें: लालू के लाडले शहाबुद्दीन के घर छापेमारी की कीमत पुलिस को ही चुकानी पड़ी थी

बिहार सरकार ने ने इसे 'कोल्ड ब्लडेड मर्डर' करार दिया और एनकाउंटर को फेक बताया। मंत्री ने ने पुलिस को ही क्रूर बता दिया और दावा किया कि पुलिसकर्मियों ने अपने वरिष्ठों के आदेश की अवहेलना की।

सिंहासन खाली हुई लेकिन जनता नहीं, सत्तालोलुप नेता आए: जेपी के वो चेले, जिन्होंने उड़ा दी गुरु की ही ‘धज्जियाँ’

यूपी-बिहार ही नहीं, पूरे देश में कई ऐसे बड़े नेता हैं, जो आज राजनीति के इस मुकाम पर इसीलिए हैं क्योंकि उन पर कभी जयप्रकाश नारायण का हाथ था। लेकिन, इन नेताओं की प्राथमिकता में जनता कभी रही ही नहीं।

2 बेटों को तेजाब से नहला कर मार डाला, गवाह बनने पर तीसरे की भी कर दी हत्या: आज भी शहाबुद्दीन के भय के...

आज हम चंदा बाबू की बात करने जा रहे हैं, जिनके दो बेटों को तेज़ाब से नहला कर मार डाला गया। तीसरा गवाह था, लेकिन उसकी भी हत्या हो गई। बुजुर्ग दम्पति आज भी शहाबुद्दीन के खौफ के बीच जीते हैं।

जब सीमा पार किए बिना ही भारतीय वायुसेना ने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए: कहानी अनूठे ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ की

कारगिल की विषम परिस्थितियाँ, सीमित संसाधनों के प्रयोग का दबाव, सीमा पार न करने का आदेश और छोटे लक्ष्यों को भेदने की चुनौती - भारतीय वायुसेना के शौर्य की एक अनूठी गाथा।

वो ऑपरेशन, जिसके लिए मुस्लिम मुल्कों की आलोचना का शिकार बने थे जॉर्ज बुश: कैसे रास्ते पर आया ब्लैकमेलर Pak!

एक ऐसा समय था जब पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर अरबों डॉलर मिलते थे। धीरे-धीरे भारत ने उसे बेनकाब करना शुरू किया और अब इस्लामी मुल्क भी उसे लताड़ते हैं।

जब छपरा जेल के 1300 कैदियों ने कर लिया था कारागार पर कब्जा: कहानी लालू-राबड़ी युग के ‘जंगलराज’ की

बिहार में लालू-राबड़ी युग के जंगलराज की एक से बढ़ कर एक कहानियाँ हैं। इनमें से एक है छपरा जेल काण्ड। जी हाँ, जेल में रहने वाले कैदियों ने ही जेल पर कब्जा कर लिया था।

बलरामपुर गैंगरेप: गाल, छाती, जाँघ, कोहनी, घुटना… हैवानियत के वक्त दरिंदों ने हर जगह दिए निशान

बलरामपुर में दलित छात्रा के साथ हुई गैंगरेप की घटना काफी भयावह है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट उसके साथ हुई दरिंदगी को उजागर करता है।